जटिल रोगों के इलाज में कारगर औषधीय पौधे की खेती होगी, वन विभाग खुद भी उगाएगा 'आरोग्यपचा'

जटिल रोगों के इलाज में कारगर औषधीय पौधे की खेती होगी, वन विभाग खुद भी उगाएगा 'आरोग्यपचा'

वन विभाग कोल्लम के कुलाथुपुझा रेंज में आरोग्यपचा की स्थानीय प्रजाति के संरक्षण के तहत खेती करने के लिए पूरी तरह तैयार है. वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया, "पिछले अध्ययनों से यह साबित होता है कि प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र में उगने वाले पौधे औषधीय महत्व के मामले में अधिक शक्तिशाली होते हैं

आरोग्यपचा की होगी खेती (सांकेतिक तस्वीर)आरोग्यपचा की होगी खेती (सांकेतिक तस्वीर)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 02, 2024,
  • Updated Jun 02, 2024, 1:33 PM IST

केरल के कोल्लम जिला स्थित कुलाथुपुझा रेंज में आरोग्यपचा की खेती की जाएगी. आरोग्यपचा को ट्राइकोपस ज़ेलेनिकस भी कहा जाता है. इस पौधे को आदिवासियों का चमत्कारी पौधा कहा जाता है. इसका इस्तेमाल थकान मिटाने के लिए और अन्य रोगों का इलाज करने के लिए किया जाता है. एक समय था जब कानी समुदाय इस पौधे को संरक्षित करते थे और इसका इस्तेमाल करते थे. हालांकि 1980 के दशक से पहले तक कानी समुदाय के लोग इसे छुपाकर रखते थे.उसके बाद इसका रहस्य खुला.हालांकि उस वक्त भी समुदाय के लोग भी इसे बाहरी दुनिया में लाने से झिझकते थे. 

पर जब से यह पौधा दुनिया के सामने आया तब से लोग इस दुर्लभ पौधों के औषधीय गुण के बारे में कई तरह के शोध किए गए हैं. इसके बाद इसकी पहुंच को आसान बनाने के लिए अब वन विभाग कोल्लम के कुलाथुपुझा रेंज में आरोग्यपचा की स्थानीय प्रजाति के संरक्षण के तहत खेती करने के लिए पूरी तरह तैयार है. द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया, "पिछले अध्ययनों से यह साबित होता है कि प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र में उगने वाले पौधे औषधीय महत्व के मामले में अधिक शक्तिशाली होते हैं. यह पौधा पश्चिमी घाट के दक्षिणी छोर पर पाया जाता है और यह तत्काल ऊर्जा बढ़ाने का काम करता है.

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शुरुआती चरण में लगाए जाएंगे 3000 पौधे

उन्होंने आगे बताया कि शुरुआती चरण में विभाग की तरफ से करीब 3,000 पौधे लगाए जाएंगे. यह परियोजना अगले सप्ताह शुरू होगी.  कुलाथुपुझा रेंज को इसकी खेती करने के लिए इसलिए चुना गया है क्योंकि यहां कि जलवायु और मिट्टी की गुणवत्ता इसकी खेती के लिए उपयुक्त है. इसलिए यहां पर पौधों को अधिक देखभाल की जरूरत नहीं होगी. विशेषज्ञों के अनुसार, दशकों बाद भी इस पौधे की असली क्षमता का दोहन नहीं हो पाया है. केरल विश्वविद्यालय के पूर्व शोधकर्ता पीके अनूप कहते हैं कि "इसके औषधीय गुणों के अलावा, इसे खिलाड़ियों और सैनिकों को पूरक के रूप में दिया जा सकता है. लेकिन हमें और अधिक विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है क्योंकि इसके बारे में लिखित जानकारी नहीं है. 

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प्रकृति के लिए है फायदेमंद

उन्होंने कहा कि इस प्रजाति का पारिस्थितिकी महत्व बहुत अधिक है. साथ ही कहा कि रबर की खेती से हमारे जंगल का प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र नष्ट हो जाता है. लेकिन आरोग्यपचा जैसे पौधे जो देशी और स्थानीय पौधे हैं.  प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने में मदद करते हैं. इसकी खेती से जगंलों पर निर्भर रहने वाले समुदायों की कमाई भी बढ़ेगी.डॉ. अनूप यह भी बताते हैं कि आरोग्यपचा का आर्थिक महत्व बहुत ज़्यादा है क्योंकि औषधीय पौधों की मांग बढ़ रही है.
 

 

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