Kenkatha Cow: केनकथा नस्ल की गाय हैं बहुत खास, बैल होते हैं ताकतवर, जानें पहचान और विशेषताएं 

Kenkatha Cow: केनकथा नस्ल की गाय हैं बहुत खास, बैल होते हैं ताकतवर, जानें पहचान और विशेषताएं 

Kenkatha Cow Dairy Farming: केनकथा भारत की देसी नस्ल है, इसे केनवारिया नस्ल भी कहा जाता है. यह एक ऐसी नस्ल है जो कठिन वातावरण में जीवित रहने की क्षमता के लिए जानी जाती है. वहीं प्रौढ़ गायों का वजन लगभग 300 किलोग्राम, जबकि बैलों का वजन लगभग 350 किलोग्राम होता है. ऐसे में आइए केनकथा नस्ल के गायों की पहचान और विशेषताएं जानते हैं- 

केनकथा नस्ल गाय की पहचान और विशेषताएं, सांकेतिक तस्वीर केनकथा नस्ल गाय की पहचान और विशेषताएं, सांकेतिक तस्वीर
व‍िवेक कुमार राय
  • Noida ,
  • Aug 22, 2023,
  • Updated Aug 22, 2023, 5:11 PM IST

केनकथा भारत की देसी नस्ल है, इसे केनवारिया नस्ल भी कहा जाता है. केनकथा नस्ल के मवेशी ज्यादातर मध्य प्रदेश के टीकमगढ़, उत्तर प्रदेश के ललितपुर, हमीरपुर और बांदा जिले में पाए जाते हैं. वहीं इस नस्ल के मवेशी सड़क पर हल्के बहाव और खेती के लिए बहुत लोकप्रिय हैं. मालूम हो कि केनकंठा नस्ल के मवेशियों का नाम केन नदी से लिया गया है, क्योंकि इस नस्ल के मवेशी बुंदेलखंड के क्षेत्र में इस नदी के किनारे पाले जाते हैं. यह एक ऐसी नस्ल है जो कठिन वातावरण में जीवित रहने की क्षमता के लिए जानी जाती है. वहीं केनकथा नस्ल के बैल छोटे लेकिन मजबूत होते हैं और चट्टानी इलाकों में खेती के लिए अच्छे होते हैं.

इसके अलावा, केनकथा गायों का शरीर छोटा, सिर छोटा और चौड़ा, माथा डिश के आकार का, कमर सीधी और और कान लटके हुए होते हैं. इस नस्ल की पूंछ की लंबाई मध्यम होती है. इसके अलावा, इस नस्ल के प्रौढ़ गायों की ऊंचाई लगभग 132 सेमी. और प्रौढ़ बैलों की ऊंचाई लगभग 127 सेमी. होती है. वहीं प्रौढ़ गायों का वजन लगभग 280-320 किलोग्राम, जबकि बैलों का वजन लगभग 350-380 किलोग्राम होता है. ऐसे में आइए केनकथा नस्ल के गायों की पहचान और विशेषताएं जानते हैं- 

केनकथा नस्ल गाय की पहचान और विशेषताएं

केनकथा नस्ल गाय की पहचान और विशेषताएं

•    यह एक ऐसी नस्ल है जो कठिन वातावरण में जीवित रहने की क्षमता के लिए जानी जाती है.
•    बैल छोटे लेकिन मजबूत होते हैं और चट्टानी इलाकों में खेती के लिए अच्छे होते हैं.
•    गायों और बच्चों का भरण-पोषण केवल चरने पर होता है, जबकि बैलों को आमतौर पर अच्छी गुणवत्ता वाले भूसे खिलाए जाते हैं.
•    फसलों के भूसे और भूसी का उपयोग पशुओं के चारे के रूप में किया जाता है. 
•    केनकथा नस्ल के मवेशी रंग में भूरे और काले रंग के होते हैं. 
•    सिर छोटा और चौड़ा होता है और माथा झुका हुआ होता है.
•    पूंछ की लंबाई मध्यम होती है.
•    नर के कंधों पर शरीर की औसत ऊंचाई 127 सेमी और मादा की 120 सेमी होती है.
•    बैलों के शरीर की औसत लंबाई 119 सेमी और गायों की औसत लंबाई 114 सेमी होती है.
•    बैलों का औसत वजन 350-380 किलोग्राम होता है, जबकि गायों का औसत वजन 280-300 किलोग्राम होता है.

इसे भी पढ़ें- Himachali Pahari Cow: ये है हिमाचल की देसी नस्ल की पहली गाय, इसके बैल भी होते हैं खास, जानें पहचान और विशेषताएं

केनकथा गाय पालन के दौरान किन बातों का ध्यान रखें?

गाभिन पशुओं का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए. दरअसल, अच्छा प्रबंधन करने से अच्छे बछड़े जन्म लेते हैं और दूध की मात्रा भी अधिक मिलती है. इसके अलावा, बछड़े को सिफारिश किए गए टीके लगवाएं और रहने के लिए उचित आवास की व्यवस्था करें.

MORE NEWS

Read more!