जम्मू-कश्मीर में कड़ाके की ठंड पड़ रही है. कई स्थानों पर न्यूनतम तापमान माइनस में चला गया है. ऐसे मौसम में किसान अपने खेतों में फसलों का कैसे खयाल रखें, इसे लेकर सलाह जारी की गई है ताकि किसान इस मौसम से होने वाले नुकसान से बच सकें. किसानों के लिए जारी की गई सलाह में कहा गया है कि रबी फसलों की खेती जैसे भूरा सरसों, ओट, गेहूं, मटर और लेंटिल के खेतों में जलजमाव नहीं होने दें. जलजमाव से बचने के लिए खेत से जल निकासी की उचित व्यवस्था करें. इसके साथ ही चारा फसलों के खेतों में भी ठंड के समय में जल जमाव नहीं होने दें. इसके साथ ही केसर की खेती करने वाले किसान भी खेत में जलनिकासी की उचित व्यवस्था करें.
सेब किसानों के लिए जारी की गई सलाह में कहा गया है कि अगर भारी बर्फबारी होती है तो सेब के पेड़ में बर्फ जम जाती है. ऐसे हालात में किसान पेड़ के तनों से बर्फ हटाने के लिए बर्फबारी के बाद पेड़ को हिलाकर बर्फ हटाएं. जो पेड़ के तने बर्फ के वजन को संभालने में सक्षम नहीं हैं, उन पेड़ों के तनों को संभालने के लिए खूंटा गाड़कर सहारा दें. साथ ही पौधों के तनों का वजन कम करने के लिए पत्तियों की छंटाई करें और तनों को मोटी डाल से बांध दें. अगर पेड़ जड़ के हल्का उखड़ कर झुक जाए तो धीरे-धीरे उसे सीधा उसी तरह खड़ा कर दें और मुख्य तने को सहारा प्रदान करें.
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अगर पेड़ के तने ऊपरी भाग से टूट जाएं तो टूटी हुई जगह से दो से तीन इंच नीचे से तने को सावधानी से काट दें. फिर काटे हुई जगह पर बोर्डिएक्स या चौबतिया पेस्ट का लेप लगा दें. अगर भारी वजन के कारण या गलती से कोई डाली टूट जाए पर पेड़ की छाल जुड़ी हुई है तो उसे फिर से वापस उसी अवस्था में लेकर आएं और उसे रस्सी के इस्तेमाल से मजबूती से बांध दें या फिर कील से ठोक कर सीधा कर दें. यह सुनिश्चित करें कि वह जोड़ पूरी तरह मजबूती से बंधा हुआ है. इसके बाद उस जोड़ में बोर्डिएक्स या चौबतिया का पेस्ट लगाएं. अगर कहीं पर पेड़ के जड़ दिखाई दें तो उसपर मिट्टी चढ़ा दें.
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सब्जियों की खेती करने के लिए किसान खेतों की अच्छे से जुताई करें और सड़ी हुई खाद खेत में डाले. इसके साथ ही खेत में वर्मी कंपोस्ट का भी इस्तेमाल करें. नर्सरी तैयार करने के लिए सीडबैग या पॉलिबैग का इस्तेमाल करें. जिन किसानों ने पॉलिहाउस के अंदर साग की खेती की है वो उसकी तुड़ाई कर सकते हैं. इसके अलावा खुले में खेती करने वाले किसान अपने खेतों में खरपतवार का नियंत्रण अच्छे तरीके से करें. पशुओं में किसी भी प्रकार के रोग के लक्षण होने पर उन्हें स्वस्थ पशुओं से दूर रखें.