भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) ने हरियाणा के किसानों को फसलों का मुआवजा देने के लिए CM को पत्र लिखा है. दरअसल, हरियाणा में आई बाढ़ को लेकर किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने सीएम नायब सिंह सैनी से मुलाकात की. मुलाकात में फसलों का मुआवजा सहित अलग-अलग 13 मांगों को लेकर चढूनी ने सीएम सैनी को पत्र सौंपा. पत्र में लिखा है कि हरियाणा के किसान लगातार प्राकृतिक आपदाओं, महंगी खेती लागत और बाजार की अस्थिरता से जूझ रहे हैं. इन परिस्थितियों में किसानों की आजीविका बचाने के लिए सरकार की नीतियां और सहयोग बहुत जरूरी है. ऐसे में सरकार इन 13 समस्याओं और मांगों पर संज्ञान ले और जरूरी कमद उठाए.
1. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे और मुआवजा: बाढ़ और जलभराव से प्रभावित क्षेत्रों में तुरंत सर्वे कराया जाए. किसानों को बिना 5 हेक्टेयर की शर्त लगाए हुए नुकसान का पूरा मुआवजा दिया जाए. न्यूनतम मुआवजा राशि प्रति एकड़ 50,000 रुपये सुनिश्चित की जाए.
2. ट्यूबवेल और मोटरों का मुआवजा: बाढ़ से खराब हुए नलकूप और मोटरों के लिए 2-3 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए और बिजली कनेक्शन बिना शर्त शिफ्ट किए जाएं. यह बिंदु वर्तमान मुआवजा सूची में शामिल नहीं है, अतः इसे तुरंत शामिल किया जाए.
3. नदियों, नहरों और नालों की सफाई और जल संरक्षण: हर साल जलभराव से किसानों की फसलें डूब जाती हैं. इसके स्थायी समाधान के लिए नहरों और नालों की सफाई, पक्के पुलों का निर्माण और ड्रेनेज व्यवस्था मजबूत की जाए. साथ ही बरसाती पानी को तालाबों और टैंकों में संग्रहित कर सिंचाई में प्रयोग करने की व्यवस्था हो.
4. खेतों में जमा रेत बेचने की अनुमति: बाढ़ के बाद खेतों में रेत जमने से भूमि अनुपजाऊ हो जाती है. ऐसे में किसानों को यह रेत बेचने की अनुमति दी जाए और इसे खनिज सूची से बाहर किया जाए. साथ ही यमुना जैसी नदियों में भूमि कटाव से प्रभावित किसानों को नदी में आई रेत का मालिकाना हक दिया जाए, ताकि वे इसे बेचकर अपनी आजीविका चला सकें.
5. चीका क्षेत्र में हांसी-बुटाना नहर का निर्माण: चीका क्षेत्र में सिंचाई और जलभराव की गंभीर समस्या है. इसका स्थायी समाधान हांसी-बुटाना नहर का निर्माण घागर नदी के नीचे से कराया जाए.
6. आंदोलनों और प्रदर्शनों से संबंधित केस वापसी: किसानों पर आंदोलनों के दौरान शांतिपूर्ण ढंग से किए गए प्रदर्शनों पर भी मुकदमे दर्ज किए गए हैं. ये मुकदमे किसानों पर मानसिक और आर्थिक बोझ डालते हैं. ऐसे में सभी केस तुरंत वापस लिए जाएं.
7. खाद वितरण व्यवस्था में सुधार: फसल बुवाई के समय पर किसानों को पर्याप्त मात्रा में यूरिया और डीएपी उपलब्ध नहीं हो पाती. पोर्टल से खरीद की बाध्यता भी किसानों के लिए अव्यवहारिक है, क्योंकि इसमें केवल एमएसपी वाली फसलें दर्ज होती हैं. ऐसे में खाद खुले बाजार में बिक्री के लिए उपलब्ध कराई जाए और वितरण में पारदर्शिता लाई जाए.
8. धान की खरीद 15 सितंबर से प्रारंभ हो: वर्तमान में धान की 90 दिन की किस्में समय से पहले तैयार हो जाती हैं. खरीद में देरी के कारण किसानों को नुकसान होता है. ऐसे में धान की सरकारी खरीद 15 सितंबर से शुरू की जाए और मंडियों में साफ-सफाई, तौल और भुगतान की पारदर्शी व्यवस्था हो.
9. कपास का MSP पर पूरा खरीद: अमेरिका से आयात शुल्क हटने के बाद कपास का बाजार भाव बहुत घट गया है. किसानों को नुकसान से बचाने के लिए सरकार पूरी कपास का एमएसपी पर खरीद सुनिश्चित करें. कपास के नुकसान पर मुआवजा जहां कपास की फसल प्राकृतिक आपदा या कीट प्रकोप से खराब हुई है, वहां प्रति एकड़ 70,000 रुपये मुआवजा दिया जाए ताकि किसान दोबारा खेती कर सकें.
10. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को बनाए पारदर्शी: वर्तमान में फसल बीमा योजना में गड़बड़ियां हैं और क्लेम समय पर नहीं मिलते. बीमा राशि का निर्धारण पारदर्शी हो और यह कानून बनाया जाए कि बीमा कंपनियों किसानों को एक महीने के भीतर भुगतान करें.
11. गन्ने का दाम 500 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया जाए: गन्ना किसानों की लागत लगातार बढ़ रही है. ऐसे में गन्ने का दाम 500 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया जाए और गन्ना और पॉपुलर फसलों के लिए अलग मुआवजा दिया जाए.
12. टावर लाइनों के लिए मार्केट रेट समिति का विस्तार: वर्तमान समिति केवल एक राज्य से दूसरे राज्य जाने वाली टावर लाइनों के लिए मार्केट रेट तय करती है. प्रदेश के अंदर पावर हाउस से पावर हाउस जाने वाली लाइनों पर भी यह नियम लागू होना चाहिए ताकि किसानों को समान मुआवजा मिल सके.
13. बिजली की टावर लाइनों का मुआवजा: 220 kv ईश्वर वाल से नीमड़ी वाली टावरों का मुआवजा, लाइन तैयार होने के बाद भी नीमड़ी वाली के किसानों के खाते में नही डाला जा रहा है.