किसान आंदोलन से उपजी समस्या से निपटने के लिए सरकार की रणनीति सवालों के घेरे में है. मोदी सरकार को इस मामले में अब अपनों की आलोचना का भी सामना करना पड़ रहा है. आरएसएस के Frontal Organisation बीकेएस ने मौजूदा किसान आंदोलन में उपजी हिंसा के लिए सरकार के गलत रवैये को जिम्मेदार ठहराया है. राजस्थान के किशनगढ़ में BKS की तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में सरकार को केंद्र की मोदी और राज्यों की सरकारों को दो टूक कहा गया कि राष्ट्र हित के दायरे में रहते हुए किसान हित ही बीकेएस की मूल नीति है और इसे सरकार कमजोरी न समझे. तीन दिन तक चली बैठक में श्री अन्न एवं किसान आंदोलन को लेकर अहम प्रस्ताव पारित करते हुए Millets के लिए सरकार से Detailed Marketing Policy बनाने की मांग की गई.
बीकेएस की सालाना राष्ट्रीय बैठक में किसान आंदोलन की मांगों पर सहमति जताते हुए आंदोलन को Politically Motivated बताया. साथ ही आंदोलन से निपटने के लिए सरकार की नीति को भी दोषपूर्ण करार दिया गया. बीकेएस की ओर से जारी बयान के मुताबिक बैठक में किसान आन्दोलन पर अलग से प्रस्ताव पारित कर उस पर चर्चा की गई. इसमें देशभर से आए किसान प्रतिनिधियों ने कहा कि देश के लिए किसान हित सर्वोपरि होता है, लेकिन संगठन हिंसा का हिमायती नहीं है. ऐसे में सरकारें किसानों के अनुशासन और संवाद की प्राथमिकता को कमजोरी न समझे.
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हालांकि मिश्र ने आंदोलन में किसान के नाम पर राजनीतिक एवं चुनावी पैंतरेबाजी होने की आशंका से भी इंकार नहीं किया. उन्होंने पारित प्रस्ताव के हवाले से कहा कि इस आंदोलन के राजनीतिक से प्रेरित होने के कारण नुकसान सिर्फ किसानों का हो रहा है. यह दुखद है. प्रस्ताव में कहा गया है कि आज देश में हिंसक आंदोलन के द्वारा किसान आंदोलन के प्रति समाज में नकारात्मक भाव पैदा किया जा रहा है. ऐसे में बीकेएस ने सरकार से मांग की है कि हिंसक आंदोलन को प्रोत्साहन, समर्थन और सहायता मिलना बंद होना चाहिए. शासन, प्रशासन एवं समाज को भी हिंसक तरीकों के प्रति Zero Tolerance की नीति अपनानी चाहिए.
किसान संघ ने किसानों की बेहतरी के लिए सरकार को कुछ सुझाव पेश करते हुए कहा कि किसानों को लागत के आधार पर उनकी उपज का लाभकारी मूल्य मिलना बेहद जरूरी है. साथ ही सरकार कृषि उत्पादन की लागत को तभी कम कर सकती है, जबकि खेती से जुड़ी सभी वस्तुओं को GST से मुक्त किया जाए.
इतना ही नहीं बीकेएस ने सरकार से किसान सम्मान निधि में पर्याप्त बढ़ोतरी करने की भी मांग की है. इसके अलावा जहर मुक्त जैविक खेती को प्राथमिकता देकर GM Seeds को अनुमति नहीं देने की मांग की गई है. बीकेएस ने दलील दी है कि बीज मिलना, किसानों का अधिकार है. संगठन ने मंडी एवं बाजार में किसानों का शोषण रोकने के लिए सरकार से पुख्ता इंतजाम करने की भी मांग की है.
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बीकेएस के प्रवक्ता राहुल धूत ने बताया कि बैठक में Millets Farming और उपयोग को बढ़ावा देने का प्रस्ताव भी पारित किया गया. इसमें कहा गया है कि दुनिया को स्वास्थ्यवर्धक भोजन देने के लिए श्री अन्न उपजाने वाला देश भारत दुनिया के लिए मददगार बन सकता है. इस दिशा में मोदी सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए बीकेएस ने कहा है कि किसान तभी श्री अन्न की खेती को अपनाएंगे जब उन्हें इसकी उपज को बेचने के लिए बाजार की पर्याप्त सुविधा मिलेगी.
धूत ने कहा कि प्रस्ताव में सरकार को श्री अन्न के लिए व्यापक Marketing Policy बना कर यथाशीघ्र लागू करना चाहिए. किसान संघ ने सुझाव दिया कि श्री अन्न के पारंपरिक बीजों के साथ कोई छेड़खानी न हो, इसके पर्याप्त उत्पादन एवं उचित मूल्य में उपलब्धता सुनिश्चित की जाए.