दुनिया भर में दूध से बने उत्पादों की मांग पूरे साल रहती है. वहीं देश के ग्रामीण क्षेत्रों में खेती के बाद पशुपालन को आय का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है. सरकार भी दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए डेयरी फर्मिंग करने वाले किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. वहीं, डेयरी फार्मिंग करने वाले किसान आमतौर पर उन नस्लों के मवेशियों का चुनाव करते हैं, जिन नस्लों के मवेशियों से अधिक दूध प्राप्त किया जा सके, शक्तिशाली हों, बैल अच्छे भारवाहक हों और जल्दी बीमार नहीं पड़ते हों आदि. हालांकि, मौजूदा वक्त में इसमें थोड़ा बदलाव आ गया है. दरअसल, अब किसान गायों की उन नस्लों की पालन करना चाहते हैं जो ज्यादा मीथेन गैस का उत्सर्जन नहीं करती हों. क्योंकि गायों की वजह से क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन पर प्रभाव पड़ता है. वहीं भविष्य में इससे मुक्ति मिल सकती है.
यूनाइटेड स्टेट्स इनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी की मानें तो मीथेन गैस में कार्बन डाइऑक्साइड से लगभग 25 गुना ज्यादा गर्मी होती है. ये गैस सीधे-सीधे ग्लोबल वार्मिंग का काम करती है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक कनाडाई डेयरी किसान बेन लोविथ ने अपने 107 गायों और बछड़ियों को कृत्रिम रूप से गर्भाधान कराया है. वहीं, जब बछड़े पैदा होंगे तो वे कम डकार लेंगे जिससे कम मीथेन गैस का उत्सर्जन होगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक, कनाडाई डेयरी किसान बेन लोविथ को सीमन बेचने वाली जेनेटिक्स कंपनी सेमेक्स ने कहा है कि कम-मीथेन उत्सर्जन करने वाले नस्ल को अपनाने से कनाडा के डेयरियों से मीथेन गैस उत्सर्जन को सालाना 1.5 प्रतिशत और 2050 तक 20 से 30 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है. वहीं कंपनी ने 80 देशों में कम मीथेन गुण वाले सीमन को बेचना शुरू कर दिया है.
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हालांकि, कुछ डेयरी उद्योग के एक्सपर्ट्स ने कहा है कि कम मीथेन उत्सर्जन के बारे में वे असहमत हैं, उनका कहना है कि इससे मवेशियों को पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. मालूम हो कि दुनिया के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में पशुधन का हिस्सा 14.5 प्रतिशत है. वहीं कार्बन डाइऑक्साइड के बाद मीथेन दूसरी सबसे बड़ी ग्रीनहाउस गैस है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सिर्फ गायें ही नहीं, बल्कि छोटे दीमक से लेकर बड़े पशु तक खाना पचाने की प्रक्रिया में मीथेन गैस निकालते यानी उत्सर्जन करते हैं, लेकिन गायें इनमें सबसे ऊपर हैं. नासा की रिपोर्ट के मुताबिक, एक गाय पूरे सालभर में डकारने के दौरान 80 से 120 किलो तक मीथेन गैस उत्सर्जित करती है. ये गैस उतनी ही है, जितना एक फैमिली कार पूरे साल चलने पर कार्बन डाइऑक्साइड निकालती है. वहीं, प्रदूषण कार से भी हो रहा है, लेकिन मीथेन गैस ग्लोबल वार्मिंग के लिए ज्यादा जिम्मेदार है.