दलहनी सब्जियों में मटर का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है. मटर की खेती से जहां एक ओर कम समय में अधिक पैदावार मिलती है तो वहीं ये भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में भी सहायक होती है. फसल चक्र के अनुसार यदि इसकी खेती की जाए तो इससे भूमि उपजाऊ बनती है. अगर आप भी मटर की खेती करना चाहते हैं और उसकी उन्नत किस्म पीबी-89 का बीज मंगवाना चाहते हैं तो आप नीचे दी गई जानकारी की सहायता से मटर के बीज ऑनलाइन अपने घर पर मंगवा सकते हैं.
यदि किसान इसकी खेती अक्टूबर और नबंवर महीने के बीच में करें तो अधिक पैदावार के साथ ही भूरपूर मुनाफा भी कमा सकते हैं. आजकल बाजार में भी सालों भर मटर की मांग बनी रहती है जिससे किसानों की कमाई बढ़ रही है.
राष्ट्रीय बीज निगम (National Seeds Corporation) किसानों की सुविधा के लिए ऑनलाइन मटर की उन्नत किस्म पीबी-89 का बीज बेच रहा है. इस बीज को आप ओएनडीसी के ऑनलाइन स्टोर से खरीद सकते हैं. यहां किसानों को कई अन्य प्रकार की फसलों के बीज भी आसानी से मिल जाएंगे. किसान इसे ऑनलाइन ऑर्डर करके अपने घर पर डिलीवरी करवा सकते हैं.
पीबी-89 किस्म पंजाब में उगने वाली मटर की एक उन्नत किस्म है. इस किस्म की फलियां जोड़े में उगती हैं. यह किस्म बिजाई के 90 दिनों के बाद पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है. इसके बीज स्वाद में मीठे होते हैं और इसकी फलियां 55 प्रतिशत बीज देती हैं. इसकी औसतन उपज 60 क्विंटल प्रति एकड़ होती है. अगर आप भी इस किस्म की खेती करना चाहते हैं तो इस बीज का एक किलो का पैकेट 175 रुपये में राष्ट्रीय बीज निगम के वेबसाइट पर मिल जाएगा.
आजकल देश में सबसे अधिक चर्चा मोटे अनाजों की खेती की है. ऐसा ही एक मोटा अनाज रागी है, जिसे फिंगर मिलेट या मडुआ के नाम से भी जाना जाता है, यह एक पौष्टिक अनाज है, जिसकी खेती दुनिया के कई क्षेत्रों में की जाती है. वहीं रागी की कुछ किस्में हैं जिनकी खेती किसानों के लिए लाभदायक साबित होंगी. इसमें एक किस्म है वीएल-376 जो कि रागी की उत्तम किस्म मानी जाती है. इसकी उपज क्षमता 12 क्विंटल प्रति एकड़ है. इसकी फसल 103 से 109 दिन में तैयार हो जाती है.
इस किस्म की खेती देश के सभी हिस्सों में की जा सकती है. वहीं दूसरी किस्म है वीएल-379 किस्म जिसे भारत में ज्यादातर जगहों पर खरीफ की फसल के रूप में उगाया जाता है. इसकी फसल रोपाई के 95 से 100 दिन बाद पककर तैयार हो जाती है. अगर आप भी इस किस्म की खेती करना चाहते हैं तो इस बीज का एक किलो का पैकेट मात्र 57 रुपये में राष्ट्रीय बीज निगम के वेबसाइट पर मिल जाएगा.
शकरकंद की खेती कंद वर्गीय फसलों की श्रेणी में आती है. इसे रबी, खरीफ और जायद तीनों मौसम में उगाया जा सकता है. लेकिन यह विशेष रूप से सर्दियों के मौसम में ज्यादा होता है. वैसे तो शकरकंद की खेती पूरे भारत में की जाती है. श्रीभद्र शकरकंद, शकरकंद की अधिक उपज देने वाली किस्म है. यह एक छोटी अवधि की फसल है. यह 90 से 105 दिन में तैयार हो जाती है. इसकी चौड़ी पत्तियां होती हैं. कंद आकार में छोटे और गुलाबी होते हैं.
अगर आपको भी इस किस्म का बीज खरीदना हो तो आप राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट से श्रीभद्र किस्म के शकरकंद के बीज का 500 ग्राम का पैकेट 1,562 रुपये में खरीद सकते हैं. यह सुविधा ऑनलाइन मिल रही है.