छत्तीसगढ़ में इस साल धान खरीद का नया रिकॉर्ड बन सकता है. राज्य में अब तक सर्वाधिक 127 लाख टन धान की खरीद एमएसपी पर की गई है. कहा जा रहा है कि यह एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि नवंबर 2000 में यह राज्य मध्य प्रदेश से अलग होकर बना था. उस समय धान की भरपूर पैदावार के बावजूद किसानों को प्रभावी प्रणाली के अभाव में उचित लाभ नहीं मिल पाता था. इसके अगल साल 2001 में, राज्य में कुल 23 लाख टन धान का उत्पादन हुआ था, जिसमें से 4.63 लाख टन की खरीद की गई थी.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा सरकार को उम्मीद है कि 130 लाख टन का अनुमानित लक्ष्य आसानी से पूरा हो जाएगा. अभी किसानों के पास उपज बेचने के लिए 3 दिन का और समय बचा हुआ है, क्योंकि धान खरीद की लास्ट डेट 31 जनवरी है. ऐसे भी राज्य में धान खरीदी हमेशा से एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा रहा है. विधानसभा चुनावों से पहले, प्रमुख प्रतिद्वंद्वियों ने किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के रूप में सर्वोत्तम रिटर्न की पेशकश करने में एक-दूसरे से आगे निकलने की कोशिश की थी.
हालांकि, हर गुजरते साल के साथ, धान उत्पादकों की ताकत और पंजीकृत बोए गए धान के रकबे में काफी वृद्धि हुई है. वर्तमान में 26.85 लाख पंजीकृत किसान हैं और इस वर्ष 2.65 लाख नए उत्पादक शामिल हुए हैं. रिकॉर्ड पर धान का कुल बोया गया क्षेत्र 33.48 लाख हेक्टेयर है. पिछली रिकॉर्ड खरीद कांग्रेस शासन के दौरान 107.53 साख टन थी, जो राज्य में लाभार्थियों के रूप में कृषि समुदाय की वृद्धि का प्रतीक है. खरीद के साथ-साथ सरकार ने धान उत्पादक किसानों को 27,504 करोड़ से अधिक का भुगतान भी जारी किया है.
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पिछली सरकार ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत 2500 रुपये प्रति क्विंटल पर धान खरीदा था. भाजपा सरकार ने धान के लिए एमएसपी `31,00 प्रति क्विंटल घोषित किया है और खरीद सीमा सीमा पिछले वर्ष 15 क्विंटल प्रति एकड़ से बढ़ाकर 21 क्विंटल प्रति एकड़ कर दी है. राज्य में धान खरीदी केंद्रों की संख्या 2739 है. धान उत्पादकों की सुविधा के लिए स्थापित सहकारी समितियों की संख्या 1,333 से बढ़ाकर 2,058 कर दी गई है. अब तक कुल खरीदी में से 84 लाख टन से अधिक धान का उठाव कस्टम मिलिंग के लिए किया जा चुका है.
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के अवसर पर साई सरकार ने 11.76 लाख किसानों को वर्ष 2016-17 और 2017-18 (पूर्ववर्ती भाजपा शासनकाल) की लंबित धान बोनस राशि 3,716 करोड़ रुपये का वितरण किया.
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