आईएमडी की तरफ से जारी सलाह में कहा गया है कि पहाड़ी क्षेत्रों मं बोरो चावल की रोपाई जारी रखें. रोपाई के 20 दिनों के बाद पौधों के उचित विकास के लिए निराई गुड़ाई करें, यह बेहद जरुरी है. बोरो चावल में तना छेदक कीट के प्रभावी नियंत्रण के लिए फिप्रोनिल 5 एससी का 50 ग्राम ए.आई. प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें.
पालक, धनियां एवं मेथी की खेती करनेवाले किसान इसकी बुआई करें. वर्तमान मौसम की स्थिति में सरसों की फसल में माहू के आक्रमण की संभावना है. संक्रमण के शुरुआती चरण में संक्रमित पौधे के हिस्से को काटकर अगर करें और नष्ट कर दें.माहु कीट का नियंत्रण करने के लिए शाम के समय हाथ स्प्रेयर के लिए 500-700 प्रति हेक्टेयर और पावर स्प्रेयर क लिए 200-250 लीटर प्रति हेक्टेयर में डाइमेथोएट 30 ईसी या क्लोरपाइरीफॉस 2 मिलीलीटर प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें.
निचली ब्रहमपुत्र घाटी क्षेत्र में फॉक्सटेल बाजरा की बुवाई के लिए खेत तैयार करें.ऊपरी क्षेत्र में जल्दी बोए गए गन्ने की खेती के लिए जमीन तैयार करें. मक्के में फॉलआर्मी वॉर्म के हमले को नियंत्रित करने के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5 एसजी का 0.4 ग्राम प्रति लीटर या स्पिनोसैड 15 एससी का 0.3 मिली प्रति लीटर या क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5 एससी का 0.4 मिली प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें.
ऊपरी ब्रह्मपुत्र घाटी क्षेत्र में किसानों के जारी सलाह में कहा गया है कि किसान कोल फसलों की रोपाई जारी रखें. मौसम की अनुकूल स्थिति के कारण आलू की फसल में पिछेती झुलसा रोग का प्रकोप होने की संभावना ह, इससे बचाव के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 डब्लूपी2 ग्राम प्रति लीटर पानी का 7-10 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें.
नींबू के बागानों में छंटाई का कार्य जारी रखें. इस समय नींबू के पेड़ों में विदर टिप रोग का प्रकोप हो सकता है. इस रोग से प्रभावित होने पर पौधे में 30 दिनों के अंतराल पर कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (सीओसी) 3 ग्राम प्रति लीटर की दर से दो छिड़काव करें.
बराक घाटी क्षेत्र में, खेत में बोरो चावल के पौधे रोपने के 20 और 40 दिन बाद निराई करें. चावल के खेत में 5 सेमी पानी जमा रखें और खतों के मेड़ों को अच्छे से दुरुस्त करें ताकि रिसाव के माध्यम से सिंचित पानी की हानि को कम किया जा सक. धान की प्रति एकड़ भूमि में लगभग 7-8 संख्या में बांस 'टी' आकार के खूंटे गाड़ दें. नर्सरी से मुख्य खेत तक तना छेदक के संक्रमण को रोकने के लिए रोपाई के दौरान पत्तियों की नोकों को काटा जा सकता है.
मध्य ब्रह्मपुत्र घाटी क्षेत्र में, बोरो चावल की रोपाई के 7-10 दिनों के अंदर जो पौधे मर गए हैं उन्हें तुरंत हटा दें. साथ ही बोरो धान की रोपाई के 2-3 दिन बाद से लेकर कटाई के 7-10 दिन पहले तक खेत में 5±2 सेमी पानी जमा रखें. इससे धान की फसल अच्छी होती है. बैंगन में फल एवं तना छेदक कीट के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5 एसजी का 220 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें.
न्यूनतम तापमान में तेजी से गिरावट के कारण वनस्पति, फूल और सिलिका गठन के चरणों के दौरान रेपसीड और सरसों में एफिड्स के गंभीर संक्रमण के लिए अनुकूल है. इससे बचाव के लिए शाम के समय क्लोरैंट्रानिलिप्रोल 18.5 एससी या कोराजन 2.5 मिलीलीटर प्रति 10 लीटर पानी का उपयोग करें या डाइमेथोएट 30 ईसी या क्लोरपाइरीफोस का उपयोग करें.