केंद्रीय कृषि सचिव मनोज आहूजा ने सोमवार को कहा कि बढ़ते तापमान की वजह से गेहूं पर पड़ने वाले प्रभाव की मॉनिटरिंग के लिए कमेटी बनाई गई है. जो यह देखेगी कि कितना नुकसान हो सकता है. कमेटी खासतौर पर पंजाब और हरियाणा में देखेगी. वहीं यूपी में खास दिक्कत नहीं है, क्योंकि यहां बुवाई समय पर हुई है. मनोज आहूजा ने आगे कहा कि हीट टॉलरेंट वैराइटी और अगेती बुवाई की वजह से पिछले साल से कम असर होने का अनुमान है. कई राज्यों में गेहूं की कटाई शुरू हो गई है, लेकिन जहां अभी ग्रेन फीलिंग हो रही है. वहां दिक्कत हो सकती है.
आहूजा ने कहा कि कमेटी में राज्यों के प्रतिनिधि, केंद्रीय कृषि आयुक्त और गेहूं अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक होंगे. हालात को देखते हुए वो किसानों के लिए एडवाइजरी जारी करेंगे. वही कमेटी बन गई है और आज शाम तक इसकी आधिकारिक घोषणा हो जाएगी.
वहीं केंद्र सरकार ने रबी फसल सीजन 2022-23 में गेहूं के रिकॉर्ड पैदावार का अनुमान जारी किया है. लेकिन, बढ़ते तापमान ने किसानों की बेचैनी बढ़ा दी है. उन्हें आशंका है कि कहीं पिछले साल वाली नौबत न आ जाए. उत्पादन को लेकर असमंजस बरकरार है. क्योंकि जलवायु परिवर्तन की वजह से इस साल भी खेती पर खतरा मंडरा रहा है.
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राष्ट्रीय फसल पूर्वानुमान केंद्र के मुताबिक, '2 से आठ फरवरी 2023 के सप्ताह में मध्य प्रदेश को छोड़कर प्रमुख गेहूं उत्पादक क्षेत्रों में अधिकतम तापमान पिछले 7 वर्षों के औसत से अधिक रहा है.' इनमें हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हिमाचल, राजस्थान और गुजरात का कुछ हिस्सा शामिल है. इस समय सेंट्रल इंडिया में तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर से चल रहा है. उत्पादन कम होने के अनुमान से गेहूं का दाम कम करने की सरकारी कोशिशों को धक्का लगेगा. देश के कुछ हिस्सों में गेहूं की कटाई शुरू हो गई है, इसके बावजूद औसत दाम 33 रुपये प्रति किलो से कम नहीं हुआ है. विशेषज्ञों का कहना है कि उत्पादन कम हुआ तो नई फसल आने के बावजूद गेहूं का दाम नहीं घटेगा.
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ओरिगो कमोडिटी ने नवंबर-दिसंबर-2022 में 110 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया था. लेकिन, अब उसे घटाकर सिर्फ 98 मिलियन टन कर दिया है. जनवरी-2023 में बहुत कम बारिश और फरवरी में बढ़ते तापमान की वजह से यह अनुमान घटाया गया है. कमोडिटी के रिसर्चर इंद्रजीत पॉल का कहना है कि इस साल तापमान तेजी से बढ़ रहा है. फरवरी में पिछले साल के मुकाबले तापमान ज्यादा है, जो गेहूं की खेती के लिए ठीक नहीं है. इसलिए हमने उत्पादन का अनुमान घटा दिया है. सरकार भी पिछले साल की तरह मार्च तक अनुमान घटा सकती है. ऐसा लग रहा है कि नई फसल आने के बावजूद दाम कम नहीं होगा.