सौर मण्डल में लगने वाली ग्रहण की घटना भले ही खगोलीय हो, लेकिन ज्योतिष के मुताबिक इसके लाभ और हानि का परिणाम इसके अनुकूल होता है. इस वर्ष कुल तीन ग्रहण है. जिसमें पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल 2023 को लग चुका है. जबकि अब इस वर्ष के अंतिम में दो ग्रहण एक ही अश्विन माह 14 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण जो भारत में नहीं दिखेगा. जबकि 28-29 अक्टूबर शरद पूर्णिमा की रात चंद्रग्रहण जो भारत में दिखाई देगा. ऐसे में एक ही महीने में दो ग्रहण होने को ज्योतिष कहीं से भी लाभकारी नहीं बता रहे हैं. इतना ही नहीं 14 अक्टूबर से 4 नवंबर 20 दिन खगोलीय घटनाक्रम को भी विशेष माना जा रहा है.
जिसका प्रभाव धरती पर प्राकृतिक आपदा, भूकंप, महामारी, सुनामी, बड़े देशों में युद्ध की स्थिति और भारत सहित पूरे विश्व में राजनीतिक उतार-चढ़ाव देखने की संभावना जताई जा रही है.
ज्योतिषाचार्य पंडित ऋषि द्विवेदी ने बताया कि 2023 में भारत में दिखाई देने वाला पहला और आखिरी चंद्र ग्रहण खंडग्रास चंद्र ग्रहण होगा जो 28-29 अक्टूबर, आश्विन शुक्ल पूर्णिमा शनिवार की रात को भारत में दिखाई देगा. इससे पहले 2022 के आखिर में भारत में चंद्र ग्रहण देखा गया था. हालांकि, इस साल अक्टूबर महीने में दो ग्रहण लगेंगे जिसमें पहला आश्विन अमावस्या शनिवार 14 अक्टूबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. यह ग्रहण उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, मध्य अमेरिका, उत्तरी अफ्रीका के पश्चिमी छोर, अटलांटिक और प्रशांत महासागर में दिखाई देगा. वहीं भारत में शनिवार, 28 अक्टूबर को आश्विन पूर्णिमा पर लगने वाला चंद्रग्रहण दिखाई देगा. इसके अलावा यह ग्रहण अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर, पश्चिमी और दक्षिणी प्रशांत महासागर, अफ्रीका, यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका के पूर्वी उत्तरी भाग में दिखाई देगा. यह ग्रहण अश्विनी नक्षत्र मेष राशि पर लगेगा. भारतीय मानक समय के अनुसार ग्रहण का आरंभ 28-29 की रात्रि 1:05 बजे, स्पर्श 1:44 बजे, मध्य और मोक्ष 2:24 बजे होगा.
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उन्होंने आगे बताया कि चंद्रास्त के समय ग्रहण की शुरुआत ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी हिस्से, उत्तरी प्रशांत महासागर और रूस में दिखाई देगी. चंद्रोदय के समय ग्रहण का अंत ब्राजील और कनाडा के पूर्वी भाग और उत्तरी और दक्षिणी अटलांटिक महासागर में दिखाई देगा. भारत में ग्रहण की पूर्ण अवधि एक घंटा 19 मिनट की होगी. ज्योतिषाचार्य ऋषि देवीवेदी ने आगे बताया कि 28-29 अक्टूबर को पड़ने वाले खंडग्रास चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले यानी 28 अक्टूबर की शाम 4:05 बजे से शुरू हो जाएगा. धर्म शास्त्रों के अनुसार सूतक काल के दौरान भोजन से परहेज करने के साथ-साथ श्राद्ध आदि धार्मिक कार्य करने चाहिए. ग्रहण के दौरान किया गया मंत्र सिद्ध पैर माना जाता है. बच्चों, बूढ़ों और रोगियों को छोड़कर सभी को सनातनी का अनुसरण करना चाहिए.
उन्होंने आगे बताया कि देखा जाए 14 अक्टूबर से 4 नवंबर तक आकाश मंडल में भारी उथल-पुथल देखने को मिलेगा. जिसमें 14 और 28 अक्टूबर को दो ग्रहण होंगे, 30 अक्टूबर को राहु-केतु का राशि परिवर्तन और 4 नवंबर को शनि का कुंभ राशि पर सीधी चाल यानी 14 अक्टूबर से 4 नवंबर तक ये 20 दिन खगोलीय घटनाओं में खास रहेंगे. जिसका असर पृथ्वी पर प्राकृतिक आपदा, भूकंप, महामारी, सुनामी, बड़े देशों में युद्ध की स्थिति और राजनीतिक परिणाम भारत समेत पूरी दुनिया में देखने को मिलेंगे. ग्रहण का प्रभाव- ग्रहण 15 दिनों तक रहता है. इस बार शरद पूर्णिमा और कोजागरी पूर्णिमा भी 28 अक्टूबर को होगी. ग्रहण का सूतक लगने के कारण सूतक से पहले ही इनकी पूजा कर लेनी चाहिए.
ज्योतिषी ऋषि द्विवेदी बताते हैं कि ग्रहण का शुभ प्रभाव इन चार राशियों वालों को मिलेगा. इसमें मिथुन, कर्क, वृश्चिक और कुंभ शामिल हैं. मिथुन राशि को आर्थिक लाभ, कर्क राशि को चतुर्दिक लाभ, वृश्चिक राशि को मनोवांछित लाभ और कुंभ राशि को श्रीवृद्धि का लाभ होगा. वही चंद्रस्त 29 अक्टूबर को प्रातः 6:18 पर होगा.
एक अन्य ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि 2023 में कुल मिलाकर के तीन ग्रहण है. जिसमें दो सूर्य ग्रहण और एक चंद्र ग्रहण है. प्रथम सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल 2023 को लग चुका है और आने वाले दो ग्रहण एक सूर्य ग्रहण और एक चंद्र ग्रहण अश्विन महीने में पड़ेंगे. यह दोनों ग्रहण एक ही महीने में पड़ रहे हैं. पहले सूर्य ग्रहण जो 14 अक्टूबर 2023 को लगेगा यानी कि अश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या शनिवार के दिन. यह सूर्य ग्रहण कंकड़ सूर्य ग्रहण होगा और इसकी विशेषता यह है कि यह सूर्य ग्रहण भारतवर्ष में दिखाई नहीं देगा.
मूल रूप से यह सूर्य ग्रहण उत्तरी अमेरिका ,मध्य अमेरिका ,तथा दक्षिणी अमेरिका तथा उत्तरी अफ्रीका का किनारा, अटलांटिक और प्रशांत महासागर में दिखाई देगा. भारतीय समय अनुसार 14 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण शनिवार को रात में 8:34 पर प्रारंभ होगा और 2:25 पर इसका समापन होगा. पंडित पवन त्रिपाठी ने बताया कि क्योंकि यह ग्रहण भारत में नहीं दृश्य होगा इसलिए इसकी मान्यता भारत में नहीं होगी. यानी कि इस ग्रहण का भौतिक प्रभाव, आध्यात्मिक प्रभाव, सूतक का प्रभाव या किसी प्रकार का धार्मिक प्रभाव भारत पर नहीं पड़ने वाला है. इस ग्रहण के दौरान भारत में रहने वाले सभी लोगों के लिए सामान्य दिनचर्या होगी. शास्त्रों की माने तो ग्रहण जहां लगता है और जहां दिखता है वहीं इसका प्रभाव भी पड़ता है.
इसलिए भारत में यह ग्रहण न दिखाने देने के कारण इसका कोई भी भौतिक, अध्यात्मिक या धार्मिक प्रभाव भारतवासियों पर नहीं पड़ने वाला है. उन्होंने आगे बताया कि लेकिन अगर इस ग्रहण को विश्व परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो निश्चित रूप से अश्विन महीने में यानी कि एक ही महीने में लगने वाले दो ग्रहण समाज के लिए, विश्व के लिए अच्छा नहीं है. धर्म शास्त्रों में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि अगर एक ही महीने में दो ग्रहण लगते हैं तो यह विश्व के लिए अच्छा नहीं माना गया है. क्योंकि सूर्य ग्रहण के ठीक 15 दिन बाद 28 अक्टूबर 2023 को चंद्र ग्रहण भी लगेगा जो भारत में दिखाई देगा. इसलिए भारतवासियों के लिए यह चंद्र ग्रहण यानी की 28 अक्टूबर को लगने वाला चंद्र ग्रहण दृश्य होगा. और भारत में इसकी भौतिक और आध्यात्मिक मान्यता भी होगी, और 12 राशियों पर उसका अच्छा और बुरा प्रभाव भी पड़ेगा.