कृषि सुरक्षा को नई उड़ान देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोस्ट बजट वेबिनार में अहम घोषणा की है. भारत में आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण के लिए दूसरा राष्ट्रीय जीन बैंक स्थापित किया जाएगा. यह कदम देश की खाद्य सुरक्षा और कृषि जैव विविधता को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है. भारत का पहला राष्ट्रीय जीन बैंक, जिसे 1996 में ICAR-NBPGR द्वारा नई दिल्ली में स्थापित किया गया था, पहले से ही 0.47 मिलियन से अधिक आनुवंशिक संसाधनों का संरक्षण कर रहा है. अब, 2025-26 के बजट में, सरकार 10 लाख (1 मिलियन) जर्मप्लाज्म लाइनों को संग्रहीत करने की क्षमता वाला दूसरा राष्ट्रीय जीन बैंक स्थापित कर रही है.
जीन बैंक आनुवंशिक सामग्री का भंडार है. जैसे कि बीज, पराग या ऊतक के नमूने, जो विभिन्न पौधों की प्रजातियों से उन्हें विलुप्त होने से बचाने और भविष्य की पीढ़ियों के लिए महत्वपूर्ण किस्मों को संरक्षित करने के लिए एकत्र किए जाते हैं.
आईसीएआर-एनबीपीजीआर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो के अनुसार 15 जनवरी 2025 तक राष्ट्रीय जीन बैंक में 4.7 लाख आनुवंशिक परिग्रहण संरक्षित हैं. इनमें मुख्य रूप से अनाज 1.7 लाख, बाजरा 60,600, दलहन 69,200, तिलहन 63,500 और सब्जियां 30,000 शामिल हैं, जो वैज्ञानिकों, प्रजनकों और शोधकर्ताओं को संरक्षण और अनुसंधान में मदद करती हैं.
भारत में 811 से अधिक कृषि फसल प्रजातियां और 902 जंगली फसल संबंधी प्रजातियां हैं, जो खाद्य सुरक्षा, कृषि लचीलापन और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए आवश्यक हैं. यह नया जीन बैंक न केवल भारत की जैव विविधता को सुरक्षित करेगा, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर, विशेषकर देशों के बीच आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण में अग्रणी बनाएगा.
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आज जब जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएं और अस्थिरता बढ़ रही है, तो आनुवंशिक विविधता का संरक्षण पहले से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण हो गया है. यह जीन बैंक भारत की कृषि को और ज़्यादा लचीला बनाएगा, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करेगा और दीर्घकालिक स्थिरता को बढ़ावा देगा. यह पहल भारत को कृषि अनुसंधान, फसल सुधार और कृषि विकास में नई ऊँचाइयों को छूने में सक्षम बनाएगी. यह भावी पीढ़ियों के लिए आनुवंशिक संसाधनों का एक सुरक्षित भंडार बनाएगा. इस नए जीन बैंक की स्थापना करके, भारत न केवल अपनी आनुवंशिक विरासत को संरक्षित करेगा बल्कि वैश्विक कृषि सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा.