Fish Farming: मछलियों की ये तीन वैराइटी 18 महीने में देने लगती हैं मुनाफा 

Fish Farming: मछलियों की ये तीन वैराइटी 18 महीने में देने लगती हैं मुनाफा 

नदी-समुद्र से मछली पकड़ने के अलावा तीन और तरीके से मछलियों को पालकर बड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है. नदी में जाल लगाकर, घर-खेत में टैंक बनाकर और तालाब खोदकर भी मछलियां पाली जा सकती हैं. कम खर्च में ज्यादा मछलियां पालने के लिए तालाब को बेहतर विकल्प माना गया है.  

मछली के बीज को तालाब में डाला जा रहा है. मछली के बीज को तालाब में डाला जा रहा है.
नासि‍र हुसैन
  • नई दिल्ली,
  • Nov 02, 2023,
  • Updated Nov 02, 2023, 3:51 PM IST

वैराइटी के साथ ही मछली की बिक्री उसके वजन के हिसाब से भी होती है. बाजार में एक से डेढ़ किलो के वजन तक की मछली खूब पसंद की जाती है. राज्य के हिसाब से भी मछलियों की वैराइटी पसंद की जाती है. जैसे नॉर्थ इंडिया में रोहू, कतला और मृगल को खूब पसंद किया जाता है. मृगल को नैनी भी कहा जाता है. फिश एक्सपर्ट की मानें तो एक से डेढ़ किलो वजन तक की मछली 18 महीने में तैयार हो जाती है. ऊपर बताई गईं मछलियों की तीनों ही वैराइटी डेढ़ साल यानि 18 महीने में तैयार हो जाती हैं. 

फिश फ्राई के लिए भी इन्हें खूब पसंद किया जाता है. डेढ़ साल बाद तीनों ही वैराइटी को बाजार में बेचकर मुनाफा कमाया जा सकता है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि कैसे बीज से एक मछली को वजनदार बनाया जाता है. कैसे एक मछली हैचरी से लेकर तालाब तक का सफर तय करती है. और कब उसे बाजार में बेचकर मुनाफा कमाया जा सकता है.

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देशभर के लिए इन दो राज्यों में बिकता है मछलियों का बीज 

हरियाणा के मछली पालक रामवीर ने किसान तक को बताया कि मछली पालने के लिए कोलकाता और आंध्रा प्रदेश के अलावा और दूसरी जगहों की हैचरी से भी बीज लाया जाता है. लेकिन बीज की सबसे ज्यारदा बिक्री आंध्रा प्रदेश और कोलकाता में होती है. वैसे तो बीज तीन तरह का होता है. लेकिन सबसे ज्यादा जीरा साइज का बीज बिकता है. इसके एक-एक हजार बीज के पैकेट आते हैं. इस बीज को आप सीधे लाकर तालाब में भी डाल सकते हैं. लेकिन ऐसा करने पर बीज का सक्सेज रेट बहुत ही कम 25 फीसद तक ही होता है. 

तालाब नहीं नर्सरी में डालने से बढ़ता है बीज का सक्सेस रेट 

रामवीर ने बताया कि अगर आप हैचरी से बीज लाकर पहले उसे तालाब में डालते हैं तो उसका सक्सेस रेट कम यानि 25 फीसद तक ही रहता है. लेकिन अगर आप हैचरी से लाए गए बीज को पहले नर्सरी में डालते हैं तो उसका सक्सेस रेट बढ़कर 35 से 40 फीसद तक हो जाता है. नर्सरी में तीन से छह महीने तक आप बीज को रख सकते हैं. इस दौरान जीरा साइज का बीज फिंगर साइज या फिर 100 ग्राम तक का हो जाता है. इस साइज के बीज को आप फिर तालाब में ट्रांसफर कर सकते हैं. नर्सरी में रखने के दौरान बीज को सरसों की खल और चावल के छिलके का चूरा खिला सकते हैं.  

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एक से डेढ़ किलो वजन की खूब बिकती हैं रोहू, कतला और मृगल 

रामवीर का कहना है कि अगर तालाब में पानी की आपने उचित देखभाल की है. मछलियों में बीमारी नहीं पनपने दी है. मछलियों में फुर्ती लाने के लिए आपने जाल चलवाया है और भैंसें भी तालाब में उतरवाई हैं तो रोहू, कतला और मृगल वैराइटी की मछलियां 18 महीने में एक से डेढ़ किलो वजन तक की हो जाती हैं. दिल्ली-एनसीआर में इस वजन की मछलियां खासतौर पर पसंद की जाती हैं.    

 

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