पिछले तीन हफ्तों से वैश्विक बाजार में एक बार फिर चावल की कीमतों को लेकर उथल-पुथल का दौर जारी है. वैश्विक स्तर पर चावल के दामों में आई तेजी से थाईलैंड, वियतनाम और पाकिस्तान में चावल के दाम में बढ़ोतरी हो गई है.विस्तार से समझे तो थाईलैंड से आने वाले अनाज में 25 डॉलर प्रति टन और वहीं वियतनाम और पाकिस्तान से शिपमेंट के लिए 6-10 डॉलर प्रति टन की बढ़त हुई है. इसे इन देशों में चावल के दाम में बढ़ोतरी हुई है. ये तब हो रहा है जब उत्पादन कम होने के कारण बाजार में चावल की मांग बढ़ती जा रही है.
वहीं इंडोनेशिया, बांग्लादेश और अफ्रीका तीनों देशों पर चावल आयात करने का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है. जिसमें इंडोनेशिया 0.5 मिलियन टन (mt) चावल खरीदना चाहता है, जबकि बांग्लादेश सरकार से भारत से चावल आयात करना चाहती है. अफ्रीकी देशों पर भी चावल आयात करने का दबाव लगातारा बढ़ रहा है क्योंकि अनाज की कमी के कारण कुछ हिस्सों में खाद्य संकट गहराने की संभावनाएं बनी हुई है.
वहीं इस बीच भारत में चावल का औसत मूल्य वर्तमान में सालाना 200 रुपये बढ़कर 3,502 क्विंटल हो गया है. भारतीय चावल की कीमतें वैश्विक बाजार में सबसे अधिक है. वहीं इसे समस्या से निपटने के लिए केंद्र द्वारा 9 सितंबर से अनाज की ढुलाई पर अंकुश लगा चुकी हैऋ हालांकि इसके बावजूद अभी भी मांग तेज है. जिसके बाद सरकार ने निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. वहीं पूरी तरह से टूटे हुए चावल और गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया गया है.
ट्रेड एनालिस्ट एस चंद्रशेखरन ने चावल की खरीदी को लेकर कहा यह सिर्फ शुरुआत है. भारतीय खरीफ चावल उत्पादन और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की खरीद पर एक स्पष्ट तस्वीर उपलब्ध होने के बाद, बाजार इस साल वैश्विक उत्पादन कम होने के बाद से ऊपर की ओर संतुलन बनाने की कोशिश भारत करेगा. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन की कृषि बाजार सूचना प्रणाली ने पिछले वर्ष 525.6 मिलियन टन के मुकाबले इस वर्ष चावल उत्पादन 512.8 मिलियन टन होने का अनुमान लगाया है.
बल्क लॉजिक्स के निदेशक वीआर विद्या सागर ने कहा, विश्व में चावल की कीमतें बढ़ रही हैं. ऐसे में भारतीय कीमतों में भी जल्द ही तेजी देखने को मिलेगी, क्योंकि इससे घरेलू दरें भी बढ़ रही हैं. वहीं थाईलैंड, वियतनाम और पाकिस्तान जैसे मुख्य चावल निर्यातक देशों ने चावल की अपनी कीमतों को बढ़ा दिया है. इस अवधि के दौरान भारतीय कीमतें ट्रेंड में बनी हुई हैं लेकिन जल्द यहां पर भी कीमतें बढ़ाई जाएंगी.
इन तमाम उथल-पुथल के बीच श्रीलंका ने अपने किसानों को धान के लिए बेहतर कीमत दिलाने में लगा हुआ है जिस वजह से चावल के आयात पर रोक लगा दिया गया है. इसके अध्यक्ष रानिल विक्रमसिंघे ने पिछले हफ्ते संसद को बताया कि द्वीप राष्ट्र मौजूदा मुख्य सीजन में अच्छी फसल की उम्मीद जताई जा रही है और उत्पादकों को अच्छी कीमत मिले यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है.