किसानों के एक राष्ट्रीय संगठन भारतीय फार्मर नेटवर्क (BFN) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अपील की है कि वे देश में गैर-बासमती चावल की खेती को बढ़ावा दें. इससे बड़ी तादाद में किसानों को फायदा होगा. किसान संगठन ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि गैर-बासमती चावल की वैरायटी के विकास और उसे बढ़ावा देने पर जोर देना चाहिए. किसान संगठन का कहना है कि इस तरह के धान पर शाकनाशी (हर्बीसाइड) का असर नहीं होता यानी इस तरह की वैरायटी हर्बीसाइड प्रतिरोधी होती हैं. इसलिए खेती में इसका फायदा मिलेगा. हर्बीसाइड प्रतिरोधी किस्म होने से स्प्रे करने से धान के पौधों को कोई नुकसान नहीं होगा और खरपतवार नष्ट होंगे. इससे धान की उपज बढ़ेगी.
'बिजनेसलाइन' के मुताबिक, भारतीय फार्मर नेटवर्क ने पत्र में एचटी बासमती (हर्बीसाइड टोलरेंट बासमती) चावल के विकास में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IRAI) के काम और कोशिशों की सराहना की और कहा कि इसका लाभ अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाने के प्रयास किए जाने चाहिए. पीएम मोदी को लिखे पत्र में संगठन ने कहा है कि भले ही देश ने हाल के दशकों में धान-चावल के उत्पादन में अच्छी प्रगति की है, लेकिन अभी भी इसमें कुछ चुनौतियां जस की तस बनी हुई हैं.
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पत्र में चावल किसानों के सामने आने वाली विभिन्न चुनौतियों, जैसे खरपतवार प्रबंधन, पानी की कमी और मजदूरों की कमी के बारे में बताया गया है. इसमें तर्क दिया गया है कि अगर एचटी गैर-बासमती चावल की वैरायटी बनती है तो इसमें हाथ से निराई करने की जरूरत समाप्त हो जाएगी, पानी की बचत होगी, जिससे खेती की लागत कम इन मुद्दों का समाधान किया जा सकता है.
संगठन के नेता रविचंद्रन वंचिनाथन ने पत्र में कहा, "अगर खरपतवार पर नियंत्रण नहीं पाया जाता है तो ये अक्सर फसलों से आगे निकल जाते हैं, जिससे किसानों को काफी नुकसान होता है.'' उन्होंने दावा किया कि एचटी गैर-बासमती चावल की किस्में खरपतवार की समस्या को दूर करके चावल की खेती को बदल सकती हैं.
हर्बीसाइड टोलरेंट (शाकनाशी प्रतिरोधी) ये किस्में हाथ से निराई की जरूरत को खत्म कर देंगी, जिससे श्रम लागत बचेगी. ये किस्में, पानी बचाने और मीथेन उत्सर्जन को कम करने में मदद कर सकती हैं. यह भारत के सस्टेनेबल एग्रीकल्चर एंड क्लाइमेट एक्शन गोल्स के लिहाज से भी मदद करने में सक्षम है. उन्होंने कहा कि छोटे पैमाने पर खेती कर रहे किसानों तक ट्रेनिंग कार्यक्रमों के माध्यम से टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट की पहुंच को बढ़ावा देने की जरूरत है.