मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट बैठक हुई, जिसमें कई महत्पूर्ण फैसले लिए गए. मंत्रि-परिषद ने ‘मुख्यमंत्री मछुआ समृद्धि योजना’ को आगामी 2 साल यानी वर्ष 2024-25 और वर्ष 2025-26 में भी जारी रखने का फैसला लिया है. इसके लिए राज्य की ओर से 100 करोड़ रुपये के अंश खर्च करने को मंजूरी दी गई है, जिससे ग्रामीण तालाबों में मत्स्य बीज उत्पादन और मत्स्यपालन, ग्रामीण तालाबों में झींगा पालन, मत्स्यपालकों को प्रशिक्षण, किसान क्रेडिट कार्ड (ब्याज सब्सिडी), स्मार्ट फिश पार्लर की स्थापना, एकीकृत सूचना प्रणाली का विकास, राज्य मछली महाशीर के संरक्षण आदि कार्यक्रमों के क्रियान्वयन पर खर्च किया जाएगा.
मुख्यमंत्री मछुआ समृद्धि योजना का उद्येश्य ग्रामीण क्षेत्रों में मत्स्यपालन को बढ़ावा देकर बेरोजगारी को दूर करना है. ग्रामीण इस योजना के तहत कम समय में ज्यादा आय देने वाले व्यवसाय के रूप में अपना रहे हैं. राज्य सरकार योजना के तहत मछली उत्पादन को बढ़ाकर जन सामान्य को मछली के रूप में सस्ता प्रोटीन युक्त आहर और रोजगार उपलब्ध कराना है. योजना के तहत ग्रामीण तालाबो में झींगा पालन आय बढ़ाने का काम किया जा रहा है.
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मुख्यमंत्री मछुआ समृद्धि योजना सभी वर्गों के लिए है. इसमें एनआरएलएम, स्व-सहायता समूह, मछुआ समूह और मछुआ सहकारी समिति के माध्यम से मछली के बीज संवर्धन, उत्पादन का काम कराया जाएगा. योजना के तहत हर हितग्राही को अधिकतम 1 हेक्टेयर क्षेत्र में सब्सिडी की पात्रता रहेगी. वहीं, समूह, समिति को अधिकतम 2.00 हेक्टेयर में मछली या मछली के बीज पालन के लिए सब्सिडी दी जाएगी. योजना की इकाई लागत 4 लाख रुपये प्रति हैक्टेयर है. वहीं, इस पर मिलने वाली सब्सिडी 40 प्रतिशत है यानी मछली पालक को 1 लाख 60 हजार रुपये वापस मिल जांएगे.
झींगा या मछली पालन के लिए इच्छुक आवेदक को तालाब की विस्तृत जानकारी- तालाब पटटा आदेश, अवधि, अनुबंध की शर्तों का पालन और व्यक्ति विशेष, समूह, समिति को पहचान के लिए आवश्यक अन्य दस्तावेज, क्षेत्रीय अधिकारी के माध्यम से जिला अधिकारी मछली पालन विभाग के पास जमा करने होंगे.
पात्र लाभार्थी को योजना के तहत मिलने वाली सब्सिडी दो किस्तों में मिलेगी. सब्सिडी की पहली किस्त हितग्राही को झींगा बीज का तालाब में संचयन, आहार व्यवस्था, अन्य इन्पुट्स और इसके भैतिक सत्यापन के बाद मिलेगी. वहीं सब्सिडी की दूसरी किस्त झींगा उत्पादन के बिकने के बाद मिलेगी.