जिस मध्यप्रदेश को लगातार 7 साल तक खेती-किसानी के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन के लिए कृषि कर्मण अवॉर्ड मिला है उसी मध्यप्रदेश में इन दिनों धान घोटाले को लेकर जमकर हंगामा बरपा हुआ है. घोटाला भी छोटा-मोटा नहीं बल्कि पूरे 50 हजार क्विंटल धान की हेराफेरी से जुड़ा है. इस घोटाले के सामने आने के बाद EOW ने पूरे मध्यप्रदेश में छापामार कार्रवाई की है और पाया कि वेयरहाउस संचालकों ने किसानों का फर्जी रजिस्ट्रेशन दिखाकर सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लगाई है.
धान की जगह भूसी मिली
यही नहीं, कुछ जगहों पर बारदानों की संख्या ज्यादा दिखाने के लिए उनके अंदर धान की जगह भूसी भर कर रख दी गई. इस मामले में फिलहाल ईओडब्ल्यू ने 100 से ज्यादा लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है.
फर्जी रिकॉर्ड तैयार किया जाता है
EOW से जुड़े सूत्रों ने 'आजतक' को बताया कि धान उपार्जन समितियों द्वारा किसानों का फर्ज़ी रजिस्ट्रेशन कर लिया जाता है तथा बिना धान लिए ही ई-उपार्जन पोर्टल पर उपार्जन की फर्ज़ी प्रविष्टि कर दी जाती है, उसके बाद ट्रांसपोर्ट एवं वेयरहाउस का भी रिकॉर्ड तैयार कर लिया जाता है, समिति द्वारा प्रविष्ट की गई मात्रा के आधार पर भुगतान कर दिया जाता है. इस फर्जीवाड़े से हर साल सरकार को करोड़ों रुपये का आर्थिक नुकसान होता है. EOW को शक है कि इस फर्जीवाड़े में उपार्जन समिति के पदाधिकारियों के अलावा कुछ ट्रांसपोर्टर, वेयर हाउस तथा राइस मिलें भी शामिल हैं.
मिल मालिक के खिलाफ मामला दर्ज
छापे के दौरान ईओडब्ल्यू ने पाया कि सिवनी जिले की शकुंतला देवी राइस मिल में साल 2024-25 में मिलिंग हेतु प्राप्त धान में 3184 क्विंटल धान/चावल की कमी पाई गई. मिल में 4594 बोरियों में 2297 क्विंटल चावल मिला जो हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, बिहार, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और उड़ीसा का था जिसके बाद मिल मालिक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया.
8 जिलों की 38 समितियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज
यह घोटाला कितना बड़ा है इसका अंदाजा इसी से लगा लीजिए कि EOW ने इसमें अबतक 8 जिलों की 38 समितियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. एफआईआर में 145 व्यक्तियों के नाम दर्ज हैं. मध्यप्रदेश में किसानों और उनसे जुड़े मुद्दों पर कांग्रेस हमेशा से बीजेपी को घेरती रही है और अब धान घोटाला सामने आने के बाद कांग्रेस ने सत्तारूढ़ दल पर का आरोप लगाया है.
बहरहाल यह कोई पहली बार नहीं है जब धान या गेंहू उपार्जन को लेकर सवाल खड़े हुए हो लेकिन हैरानी इस बात पर है कि जिम्मेदार अबतक इसका कोई समाधान नहीं निकाल पाए हैं.