केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने रविवार को कहा कि डोडा जिले का भद्रवाह देश की लैवेंडर राजधानी के रूप में उभरा है और युवाओं के लिए स्टार्ट-अप का जगह बन गया है. इसके अलावा मंत्री ने भद्रवाह को भारत की 'बैंगनी क्रांति' का जन्मस्थान और एग्रीकल्चर आधारित स्टार्ट-अप का जगह भी बताया. जितेंद्र सिंह ने क्षेत्र में लैवेंडर की खेती का जिक्र करते हुए कहा कि आज जम्मू-कश्मीर में 2,500 किसान लैवेंडर की खेती कर रहे हैं. इस नई खेती से किसानों की आय में कई गुना वृद्धि हुई है. इसके अलावा, जलवायु परिस्थितियां समान होने की वजह से हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड ने लैवेंडर की फसल उगाने में रुचि दिखाई है, जिससे किसानों को अच्छी इनकम करने में मदद मिली है. ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं केंद्रीय मंत्री ने क्या कुछ कहा है-
दरअसल, केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने रविवार को भद्रवाह कैंपस में दो दिवसीय लैवेंडर महोत्सव के उद्घाटन समारोह में कहा कि भद्रवाह देश की लैवेंडर राजधानी और कृषि स्टार्टअप जगह के रूप में उभरा है. इसके अलावा भद्रवाह देश की लैवेंडर क्रांति की जननी है.
डॉ. सिंह ने आगे कहा कि भद्रवाह की भूमि और जलवायु, लैवेंडर की खेती के लिए सबसे अच्छी जगह है. इससे कई किसानों का जीवन बदल गया है. लैवेंडर की खेती करने वाले किसानों की सालाना आय कई गुना बढ़ी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिन किसानों की आय 40 हजार से 60 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर थी, उन किसानों की आय 3.50 लाख से 6 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर हो गई है.
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वहीं, भद्रवाह, डोडा जिले के किसानों ने 2019, 2020, 2021 और 2022 में क्रमश: 300, 500, 800 और 1500 लीटर लैवेंडर तेल का उत्पादन किया है. जबकि, सूखे फूल, लैवेंडर के पौधे और लैवेंडर का तेल बेचकर 2018-2022 के बीच 5 करोड़ रुपये कमाए हैं.
केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि दशकों से मक्का की पारंपरिक खेती कर रहे कुछ किसानों ने फूलों की खेती की ओर रुख किया है. अरोमा मिशन के जरिए मिले सहयोग से किसानों की आमदनी में काफी इजाफा हुआ है. अरोमा मिशन का उद्देश्य छोटे और सीमांत किसानों की आय में वृद्धि करना और कृषि आधारित स्टार्टअप विकसित करना है. मिशन के तहत जम्मू कश्मीर के किसानों को 30 लाख से अधिक मुफ्त लैवेंडर पौधे दिए गए हैं. किसानों को प्रौद्योगिकी पैकेज भी प्रदान किया गया है.
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जम्मू डिवीजन में कई लघु और सीमांत मक्का किसानों ने लैवेंडर की खेती को अपनाया है. इससे किसानों और युवाओं को रोजगार मिला है. साथ ही लैवेंडर की खेती के आसपास एक नया इंडस्ट्री विकसित हुआ है. वहीं, जम्मू-कश्मीर में 2500 से अधिक किसान लैवेंडर की खेती कर रहे हैं. इससे महिलाओं को फूलों की कटाई और प्रोसेसिंग में काम मिला है. कई युवा उद्यमियों ने लैवेंडर तेल, हाइड्रोसोल और फूलों के मूल्यवर्धन के माध्यम से छोटे पैमाने पर बिजनेस शुरू किया है.