उत्तर प्रदेश के काशी जनपद की वरुणा नदी(Varuna river) से वाराणसी की पहचान है. जिले का नाम वरुणा और अस्सी घाट को मिलाकर ही वाराणसी नाम रखा गया है. हाल के दिनों में वरुणा नदी दूषित ही नहीं बल्कि इसकी अविरलता भी प्रभावित हुई है. वरुणा नदी जिले के पांच विकासखंड की 39 ग्राम पंचायतों से होकर बहती है. वहीं इसकी अविरलता को बनाए रखने के लिए अब नदी के दोनों तटों पर तालाबों को पुनर्जीवित भी किया जाएगा. यहां तक कि नदी किनारे दोनों तटबंध की मरम्मत होगी और पौधरोपण भी किया जाएगा. जिले के मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने विकासखंड सेवापुरी,बड़ागांव, काशी विद्यापीठ , हरहुआ के बीडीओ को इसके लिए आदेशित भी किया है कि वह पुनरुद्धार के कार्यक्रम को जल्दी आगे बढ़ाएं.
वरुणा नदी वाराणसी की अस्मिता से जुड़ी हुई है. इसलिए इस नदी की साफ सफाई और इसकी अविरल धारा को बनाए रखने के लिए वाराणसी जिले के मुख्य विकास अधिकारी ने 5 विकास खंड के अधिकारियों को निर्देशित किया है. नदी के दोनों तटों के 1 किलोमीटर के दायरे में स्थित तालाबों को रिचार्ज पॉन्ड के रूप में विकसित किया जाएगा. वंही नदी का प्रभाव बढ़ाने के लिए किनारों पर स्थित तालाबों को पुनर्जीवित करने के लिए नये तालाब भी विकसित किए जाएंगे. नदी के किनारे आवश्यकतानुसार तटबंध का निर्माण होगा और यहां पर पौधारोपण भी किया जाएगा जिससे कि मिट्टी के कटान और क्षरण को रोका जा सके. इन कार्यों से नदी की स्थिति में काफी सुधार होगा. इसके साथ ही नदी संरक्षण के साथ-साथ जल संरक्षण से भूमिगत जल स्तर में भी सुधार होगा.
वरुणा नदी के किनारे तालाबों के पुनर्जीवन और तटबंध के निर्माण के कार्य को मनरेगा के माध्यम से कराया जाएगा. इससे गांव के लोगों को रोजगार भी उपलब्ध होगा. हालांकि अभी इस योजना के लिए बजट का प्रावधान नहीं किया गया है लेकिन जल्द ही कार्य योजना के माध्यम से काम को शुरू किया जाएगा.
जौनपुर के समीप मुंगरा बादशाहपुर से 12 किलोमीटर की दूरी पर जनपद प्रतापगढ़ और इलाहाबाद की सीमा के नजदीक स्थित इनऊछ ताल की झील से निकलकर वरुणा नदी 202 किलोमीटर का सफर तय कर वाराणसी के अस्सी घाट पर अस्सी नदी में समा जाती है. पुराणों में भी वरुणा नदी का जिक्र काशी पाप नाशी नदी के रूप में मिलता है. कई विद्वानों का तो यह मानना है कि यह नदी गंगा से भी पुरानी है.