कावेरी जल विवाद पर कर्नाटक ने आदेश मानने से खड़े किए हाथ, सुप्रीम कोर्ट में दिया हलफनामा

कावेरी जल विवाद पर कर्नाटक ने आदेश मानने से खड़े किए हाथ, सुप्रीम कोर्ट में दिया हलफनामा

तमिलनाडु ने अगले 15 दिनों के लिए कुल 12,500 क्यूसेक पानी (जिसमें 6,500 क्यूसेक का बैकलॉग शामिल है) छोड़ने का अनुरोध किया है. अंततः सीडब्ल्यूएमए ने सीडब्ल्यूआरसी की सिफारिशों को बरकरार रखा और आदेश दिया कि कर्नाटक को 5000 क्यूसेक पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करनी होगी. जिसको लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी.

कावेरी जल विवाद पर आज होगी सुनवाई!कावेरी जल विवाद पर आज होगी सुनवाई!
संजय शर्मा
  • Delhi,
  • Sep 21, 2023,
  • Updated Sep 21, 2023, 1:07 PM IST

कावेरी नदी जल बंटवारा विवाद पर तमिलनाडु बनाम कर्नाटक मामले में तमिलनाडु की शिकायत के खिलाफ कर्नाटक ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की है. कर्नाटक ने अपने आवेदन में कहा है कि वह 27 सितंबर तक तमिलनाडु को प्रतिदिन 5000 क्यूसेक पानी नहीं दे सकता. कर्नाटक ने कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण के 18 सितंबर के फैसले पर पुनर्विचार करने के निर्देश देने की गुहार लगाई है. कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) ने सोमवार को कावेरी जल विनियमन समिति के फैसले को दोहराते हुए कर्नाटक से अगले 15 दिनों तक तमिलनाडु को 5,000 क्यूसेक पानी जारी रखने को कहा. राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित सीडब्ल्यूएमए की बैठक में यह निर्णय लिया गया.

बैठक के बाद, सीडब्ल्यूएमए ने एक प्रेस नोट में कहा, "कर्नाटक के कावेरी बेसिन में सूखे की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए, जो लगातार बढ़ रहा है और पीने के पानी की जरूरतों और सिंचाई की न्यूनतम जरूरतों को भी खतरे में डाल रहा है. कर्नाटक ने दलील दी कि जब तक जलाशयों में प्रवाह में सुधार नहीं होता तब तक वह पानी छोड़ने की स्थिति में नहीं है.

आज इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई

इससे पहले 31 अगस्त को अहम सुनवाई हुई थी. उसमें बताया गया था कि कर्नाटक ने कावेरी जल विवाद में दिए गए निर्णय के मुताबिक  उपलब्ध जल में से 1,49,898 क्यूसेक पानी कर्नाटक द्वारा छोड़ा गया. कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष हलफनामा दायर कर कहा था कि कर्नाटक ने 12 अगस्त से 26 अगस्त तक बिलिगुंडुलु में कुल 1,49,898 क्यूसेक पानी छोड़कर सीडब्ल्यूएमए के निर्देशों को पूरा किया है.

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क्या है पूरा मामला?

प्राधिकरण ने अपने हलफनामे में कहा कि 11 अगस्त को आयोजित 22वीं बैठक में, यह निर्णय लिया गया कि कर्नाटक राज्य को कृष्णा राजा सागर और काबिनी जलाशयों से एक साथ पानी छोड़ना सुनिश्चित करना होगा, ताकि बिलीगुंडुलु में पानी मिल सके. 12 अगस्त (सुबह 8 बजे) से अगले 15 दिनों के लिए 10000 क्यूसेक की दर से पानी छोड़ना होगा.

प्राधिकरण ने आगे कहा कि " 28 अगस्त को आयोजित कावेरी जल विनियमन समिति (सीडब्ल्यूआरसी) की 85वीं बैठक में और उसके बाद 29 अगस्त को आयोजित सीडब्ल्यूएमए की 23वीं बैठक में, कर्नाटक के सदस्य ने सूचित किया कि जैसा कि सीडब्ल्यूएमए ने अपनी 22वीं बैठक में निर्देश दिया था 11 अगस्त को अगले 15 दिनों के लिए बिलिगुंडुलु में 10000 क्यूसेक के प्रवाह की प्राप्ति सुनिश्चित करने के लिए, कर्नाटक राज्य ने 12 अगस्त से 26 अगस्त तक बिलिगुंडुलु में कुल 149898 क्यूसेक पानी छोड़ कर सीडब्ल्यूएमए के निर्देशों को पूरा किया है."  

पानी के बंटवारे को लेकर चल रही ये लड़ाई

पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उसके पास इस मुद्दे पर कोई विशेषज्ञता नहीं है और कर्नाटक द्वारा किए गए पानी की मात्रा पर कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) से रिपोर्ट मांगी थी. यह मामला दशकों से कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच एक विवादास्पद मुद्दा रहा है और कावेरी नदी के पानी के बंटवारे को लेकर उनके बीच लड़ाई चल रही है, जो क्षेत्र के लाखों लोगों के लिए सिंचाई और पीने के पानी का एक प्रमुख स्रोत है.

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