हम सभी जानते हैं कि समुद्र व्यापार के मुख्य आधारों में से एक है. समुद्र में व्यापार की दृष्टि से बहुत सी उपयोगी चीजें मिलती हैं जिसमें से मछलियां प्रमुख हैं. 23वें इंडिया इंटरनेशनल सीफूड शो के विशेषज्ञों ने कहा कि लैटिन अमेरिका और दक्षिण-पूर्व एशिया से कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण जिंस के अंतरराष्ट्रीय व्यापार में उतार-चढ़ाव को खत्म करने के लिए अपने घरेलू बाजार का अधिक उपयोग करना चाहिए. विशेषज्ञों ने एक तकनीकी सत्र में बताया कि इक्वाडोर और इंडोनेशिया अमेरिकी बाजार में अपने समुद्री खाद्य पदार्थों को बहुत सस्ते दामों पर डंपिंग कर रहे हैं इसलिए भारत घरेलू उपभोक्ताओं पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर सकता है,जो राष्ट्रीय झींगा उत्पादन का लगभग एक-तिहाई हिस्सा अवशोषित कर सकते हैं.
समुद्री खाद्य व्यापार और बाजार पहुंच के प्रजेंटेशन में कहा गया कि कई प्रजातियों की पकड़ और पालन-पोषण वाली मछलियों की घरेलू कीमतें अंतरराष्ट्रीय कीमतों से बेहतर है फिर भी भारत के आंतरिक बाजार देश में 30 प्रतिशत झींगा को अवशोषित कर सकते हैं.
विशेषज्ञों ने कहा कि जब देश की ब्रांडिंग की बात आती है तो भारत के उद्योग को एक साथ आना चाहिए और इक्वाडोर के उदाहरण का पालन करना चाहिए, जिसने अमेरिका में मजबूत बाजार हिस्सेदारी के कारण झींगा उत्पादन में वृद्धि हासिल की है.भारत उत्पाद विविधीकरण के संकेत दिखा रहा है जो इसे बाजार के कंपटीशन से बचा रहा है. देश को मूल्य वर्धित समुद्री उत्पादों के लिए अपने बड़े दायरे का इस्तेमाल करना चाहिए.
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एसईएआई के महासचिव एलियास सैत ने कहा कि इक्वाडोर और इंडोनेशिया अमेरिका के डंपिंग रोधी शुल्क रडार पर नहीं हैं, जबकि भारत पर दो प्रतिशत या उससे अधिक का शुल्क लगाया जा रहा है. कुल मिलाकर भारत निर्यात के मामले में झींगा का प्रमुख देश है, जो मूल्य के मामले में लगभग 75 प्रतिशत और मात्रा के मामले में 55 प्रतिशत है. विदेश व्यापार के अतिरिक्त महानिदेशक तपन मजुमदार ने कहा कि सरकार दक्षिण कोरिया के साथ एक उन्नत एफटीए पर फिर से बातचीत कर रही है. जहां उसने 3,864 टन सीफूड का निर्यात किया. एसईएआई के महासचिव ने कहा कि चर्चा का एक दौर खत्म हो गया है और दूसरा अगले महीने के लिए निर्धारित किया गया है.