Sugar Export: दूसरे देशों को चीनी बेचने के लिए तैयार भारत! हटाया चीनी निर्यात पर लगा प्रतिबंध

Sugar Export: दूसरे देशों को चीनी बेचने के लिए तैयार भारत! हटाया चीनी निर्यात पर लगा प्रतिबंध

घरेलू उत्पादन में गिरावट के बावजूद भारत सरकार को चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता दिखाई नहीं दे रही है. ऐसा इसलिए है क्योंकि 61 लाख टन का निर्यात कोटा लगभग समाप्त हो गया है और अधिक निर्यात की कोई गुंजाइश नहीं बची है. इसलिए, निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है.

भारत ने हटाया चीनी निर्यात से प्रतिबंधभारत ने हटाया चीनी निर्यात से प्रतिबंध
क‍िसान तक
  • Noida,
  • May 05, 2023,
  • Updated May 05, 2023, 1:58 PM IST

चीनी निर्यात को लेकर आज से महज कुछ दिन पहले कई संभावनाएं जताई जा रही थी. ऐसा कहा जा रहा थी कि अब भारत दूसरे देशों को चीनी नहीं बचेगा. लेकिन महज कुछ ही दिनों में स्थिति बदलती नजर आ रही है. जी हाँ भारत ने चीनी निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध को तत्काल रूप से हटा दिया है. घरेलू उत्पादन में गिरावट के बावजूद भारत सरकार को चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता दिखाई नहीं दे रही है. ऐसा इसलिए है क्योंकि 61 लाख टन का निर्यात कोटा लगभग समाप्त हो गया है और अधिक निर्यात की कोई गुंजाइश नहीं बची है. इसलिए, निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की कोई आवश्यकता नहीं है.

आपको बता दें स्वीटनर के उत्पादन में गिरावट के बीच भारत सरकार ने चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की बात सामने आई थी. दरअसल, देश में मार्केटिंग सीजन 2022-2023 में 32.8 मिलियन टन चीनी उत्पादन होने की उम्मीद है, जो पहले के पूर्वानुमान से 3.5 प्रतिशत कम है. ऐसे में निर्यात पर रोक लगाने की संभावना जताई गई थी लेकिन अब इसकी कोई गुंजाइश नहीं बची है. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर क्यों भारत दूसरे देशों को चीनी नहीं बेचना चाह रहा था. आखिर क्यों केंद्र सरकार आखिर चीनी निर्यात पर बैन लगा रही थी.

चीनी निर्यात पर क्यों सरकार लगा रही थी बैन!

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार जल्द ही चीनी के शिपमेंट पर प्रतिबंध लगाने की नोटिफिकेशन जारी करने वाली थी. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल सहित मंत्रियों के एक पैनल द्वारा 27 अप्रैल को बुलाई गई बैठक में इस मामले पर निर्णय लिया गया, जिसमें मिलों को "तत्काल प्रभाव" से चीनी निर्यात करने से रोकने की सिफारिश की गई थी. लेकिन अब इसके ठीक विपरीत बात सामने निकलकर आ रही है. खबरों के मुताबिक, 275 लाख टन या 27.5 मिलियन टन की अनुमानित घरेलू खपत की मांग को पूरा करने के लिए वर्तमान में पर्याप्त चीनी है. लेकिन सरकार इस साल दोनों राज्य विधानसभाओं और मार्च-अप्रैल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है.

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चीनी निर्यात की अनुमति नहीं मिलने की थी संभावना

वहीं इस महीने की शुरुआत में, न्यूज एजेंसी पीटीआई ने खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा के हवाले से खबर दी थी कि बेमौसम बारिश के कारण उत्पादन प्रभावित होने के कारण सरकार इस साल अतिरिक्त चीनी निर्यात की अनुमति नहीं दे सकती है. खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा था कि हमारे पास 38.6 मिलियन टन (इथेनॉल के लिए डायवर्जन सहित) का चीनी उत्पादन लक्ष्य है. हो सकता है कि महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश के कारण उत्पादन 2-3 लाख टन कम हो जाए. उन्होंने कहा कि चीनी उत्पादन में अपेक्षित गिरावट के कारण, "अतिरिक्त चीनी निर्यात कोटा की अनुमति दिए जाने की संभावना नहीं है." इस बीच, महाराष्ट्र में आकलन के पूरी तरह से गलत साबित होने के बाद, खाद्य मंत्रालय भविष्य में इसे और अधिक सटीक बनाने के लिए उत्पादन अनुमानों को ठीक कर रहा है. “निकट-सटीक अनुमान सरकार को उसके अनुसार नीति बनाने में मदद करता है. 

40 लाख टन चीनी का हो चुका है निर्यात

व्यापार रिपोर्ट के अनुसार, खाद्य मंत्रालय ने सितंबर 2023 को समाप्त होने वाले मार्केटिंग सीजन में 60 लाख टन चीनी के निर्यात को मंजूरी दी है. इसमें से 40 लाख टन चीनी का निर्यात पहले ही किया जा चुका है. बता दें कि भारत ज्यादातर चीनी का निर्यात इंडोनेशिया, बांग्लादेश, मलेशिया, सूडान, सोमालिया और संयुक्त अरब अमीरात को करता है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च माह में समाप्त होने वाले वित्तीय वर्ष 2022-23 में देश का चीनी निर्यात रिकॉर्ड 5,770.64 मिलियन डॉलर था, जबकि 2021-22 में यह 4,602.65 मिलियन डॉलर था.

चीनी उत्पादन में गिरावट

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) 30 सितंबर को समाप्त होने वाले चालू सीजन में 34 मिलियन टन चीनी उत्पादन की उम्मीद कर रहा था. हालांकि, पश्चिमी विक्षोभ के कारण महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश से गन्ने की पैदावार में गिरावट आई है. इस्मा के अध्यक्ष आदित्य झुनझुनवाला ने रॉयटर्स को बताया कि “वर्षा अनियमित थी. गन्ने की फसल को विकास के चरण के दौरान पर्याप्त बारिश नहीं मिली और जब इसकी आवश्यकता नहीं थी तो बहुत अधिक हुई."

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