सोशल मीडिया से जूझने वाले पोल्ट्री सेक्टर के लिए एक बड़ी खुशखबरी आई है. तमाम अफवाहों को पीछे छोड़ते हुए पोल्ट्री फार्मर ने फिर से कीर्तिमान रचा है. कीर्तिमान इसलिए कि पोल्ट्री को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह की अफवाहें फैलाई जाती हैं. हाल ही में आई पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि इस साल एक बार फिर चिकन प्रोडक्शन में बढ़ोतरी हुई है. साल 2022-23 में चिकन प्रोडक्शन दो लाख टन बढ़ गया है. अब कुल चिकन प्रोडक्शन का आंकड़ा 50 लाख टन पर पहुंच गया है.
गौरतलब रहे देश के कुल मीट उत्पादन में सबसे बड़ी हिस्सेदारी भी चिकन की ही है. हिस्सेदारी का ये आंकड़ा अब 51.44 फीसद पर पहुंच गया है. देश के तीन राज्य ऐसे हैं जहां 50 हजार टन से ज्यादा चिकन प्रोडक्शन बढ़ा है. वहीं राजस्थान और उत्तराखंड समेत पांच राज्यों में चिकन प्रोडक्शन घटा है.
ब्रॉयलर पोल्ट्री फार्म में चिकन के लिए मुर्गों को तैयार किया जाता है. पशुपालन मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि बीते साल के मुकाबले 25 करोड़ मुर्गों को प्रोडक्शन बढ़ गया है. रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि साल 2021-22 में 3.06 करोड़ मुर्गों का चिकन खाया गया था. इस चिकन की मात्रा 48 लाख टन थी.
जबकि इस साल 2022-23 में 3.31 करोड़ मुर्गों का 50 लाख टन चिकन खाया गया है. चिकन का प्रोडक्शन बढ़ने के पीछे पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रेसिडेंट रनपाल डाहंडा ने बताया, ‘सभी तरह के मीट में चिकन सबसे सस्ता आइटम है. इसमे किसी दूसरे मीट की मिलावट भी नहीं हो सकती है. तीसरी सबसे बड़ी बात ये कि चिकन में प्रोटीन की भरपूर मात्रा होती है.’
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पशुपालन और डेयरी मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि देश के पांच बड़े राज्यों में चिकन का प्रोडक्शन घटा है. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2022-23 में जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में चिकन का प्रोडक्शन घट गया है. जबकि चार बड़े राज्यों में चिकन का प्रोडक्शन बढ़ा है. जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक आंध्रा प्रदेश में 50 हजार टन, केरल में 57 हजार टन, तेलंगाना में 37 हजार और हरियाणा में 22 हजार टन चिकन प्रोडक्शन में बढ़ोतरी हुई है.
देशभर में ऐग डे मनाया जाता है. इसी तर्ज पर देश में चिकन डे मनाने की तैयारी चल रही है. इस संबंध में पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया (पीएफआई) का एक प्रतिनिधि मंडल केन्द्रीय मत्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री परषोतम रूपाला से भी मिल चुका है. एक महीने पहले गोवा में एजीएम के दौरान पीएफआई के चेयरमेन ने चिकन डे मनाने की चर्चा की थी.
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पीएफआई के कोषाध्यक्ष रिकी थापर का कहना है कि प्रोटीन के बारे में जागरुक करने के लिए चिकन डे मनाना जरूरी है. खासतौर पर कोरोना के बाद और क्लाइमेट चेंज के चलते ये बहुत जरूरी हो जाता है. इस बहाने चिकन की खपत भी बढ़ेगी. लेकिन संभावना है कि इसे प्रोटीन डे के नाम से भी मनाया जा सकता है.