इंडियन शुगर एंड बायो एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (इस्मा) ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह गन्ने के रस और बी-हैवी गुड़ (बीएचएम) से बने इथेनॉल की कीमतों को बढ़ाने पर विचार करे, ताकि चीनी क्षेत्र का काम जारी रखा जा सके और किसानों को समय पर गन्ना भुगतान दिया जा सके. आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 29 जनवरी को इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2024-25 (नवंबर-अक्टूबर) के लिए सी हेवी मोलासेस (सीएचएम) में 3 प्रतिशत की वृद्धि को मंजूरी दी. नई कीमत अब 56.58 रुपये प्रति लीटर के मुकाबले 57.97 रुपये प्रति लीटर होगी. अन्य फीडस्टॉक से इथेनॉल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
मक्का से बने इथेनॉल को तेल मार्केटिंग कंपनियों द्वारा 71.86 रुपये प्रति लीटर, गन्ने के रस/सिरप से 65.61 रुपये प्रति लीटर, खराब अनाज (चावल) से 64 रुपये प्रति लीटर और बीएचएम से 60.73 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीदा जाना जारी रहेगा. एफसीआई के सब्सिडी वाले चावल से इथेनॉल के लिए कीमत 58.50 रुपये प्रति लीटर बनी हुई है.
पिछले चीनी सीजन (अक्टूबर-सितंबर) में सरकार ने केवल सीएचएम से इथेनॉल की अनुमति दी थी. इस्मा ने ने एक बयान में कहा, "पिछले दो साल से दाम में बदलाव नहीं होने के कारण, इस्मा ने गन्ना रस और बीएचएम से इथेनॉल की कीमतों को बढ़ाने का आग्रह किया है ताकि क्षेत्र का काम आगे जारी रखा जा सके और किसानों को समय पर गन्ना भुगतान सुनिश्चित किया जा सके."
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इस्मा ने कहा कि इथेनॉल बनाने की क्षमता को बढ़ाने में सक्षम है और सरकार की ओर से इथेनॉल ब्लेंडिंग के टारगेट को पाने में भी सक्षम है. इस्मा ने इसके लिए चीनी और इथेनॉल इंडस्ट्री पर 40,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है जो पिछले 5 साल में दोगुना हो गया है. अभी हर साल लगभग 850 करोड़ लीटर इथेनॉल बनाया जा रहा है.
गन्ने के रस और बीएचएम से बने इथेनॉल की कीमतों में आखिरी बार 2022-23 इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (नवंबर-अक्टूबर) में बदलाव किया गया था. दूसरी ओर, गन्ने का उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) दो बार कुल 35 रुपये प्रति क्विंटल बढ़कर अब 2024-25 सीजन के लिए 340 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है.
इस्मा ने कहा, ''एफआरपी में करीब 11.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जिसका असर इथेनॉल खरीद कीमतों पर भी दिखना चाहिए.'' इसने यह भी बताया है कि इथेनॉल के उत्पादन की लागत काफी बढ़ गई है और ऐसे में इथेनॉल उत्पादन को उचित बनाने, उद्योग को वित्तीय रूप से स्थिर रखने और किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित करने के लिए इथेनॉल की कीमत को मौजूदा स्तरों से बढ़ाने की जरूरत है.
इस्मा ने सरकार को सलाह देते हुए कहा कि गन्ने के एफआरपी से इथेनॉल की कीमतों का फॉर्मूला तय किया जाना चाहिए. इस्मा ने यह भी कहा कि सरकार जब चीनी मिलों से इथेनॉल खरीदे तो उसे गन्ने के एफआरपी का ध्यान रखना चाहिए. इथेनॉल की कीमतें तय करने में जब गन्ने के एफआरपी का ध्यान रखा जाएगा तो उसमें गन्ना उगाने की लागत भी शामिल होगी. इस आधार पर इथेनॉल प्राइसिंग का फॉर्मूला तय होना चाहिए. इससे चीनी उद्योग का अस्तित्व बना रहेगा और किसानों को समय पर गन्ने का भुगतान मिलता रहेगा.