बर्फीला रेगिस्तान और माइनस डिग्री तापमान, ऐसे मौसम में जहां कोई सब्जी उगाने के बारे में हिम्मत नहीं कर पाता है वहां फूलों की बागवानी करने वालों को लोग सनकी ही कहेंगे. लेकिन लेह के रिगजेन और कारगिल के अहमद ने इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (आईएचबीटी), पालमपुर, हिमाचल प्रदेश के साथ मिलकर लद्दाख में फूलों की खेती को सच कर दिखाया है. आज लेह-कारगिल में लिलियम-ग्लेडियोलस और टयूलिप के फूलों की खेती हो रही है. फूल लद्दाख से सीधे दिल्ली बाजार में बिकने के लिए आ रहे हैं.
हार्टिकल्चर विषय में पीएचडी करने वाले रिगजेन ने तो लद्दाख में पहली फूलों की दुकान खोली है. यहां आने वाले पर्यटक लिलियम-ग्लेडियोलस और टयूलिप के फूलों का मजा ले सकेंगे. साथ ही होटल-रेस्टोरेंट इंडस्ट्री के रूप में रिगजेन को फूलों का एक बड़ा बाजार भी मिलेगा.
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फोन पर रिगजेन ने किसान तक को बताया, 'साल 2021 से पहले लद्दाख में न तो फूलों की खेती होती थी और ना ही यहां पर फूलों का कोई बाजार था. यहां के होटल और रेस्टोरेंट वालों को अपनी जरूरत के लिए दिल्ली से फूल मंगाने पड़ते थे. लेकिन बीते साल से हम आईएचबीटी के साथ फ्लोरीकल्चर मिशन से जुड़े हुए हैं. दो साल से पायलट प्रोजेक्टे के तौर पर फूलों की खेती कर रहे हैं. खासतौर पर लिलियम-ग्लेडियोलस और टयूलिप के फूल उगा रहे हैं. फसल तैयार होने पर हवाई जहाज से फूलों को दिल्ली भेज देते हैं.'
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रिगजेन ने बताया कि पायलट प्रोजेक्टे के तौर पर उन्होंने दो किल्ला जमीन पर फूलों की खेती शुरू की थी. लेकिन एक साल में ही ये आंकड़ा चार हेक्टेयर पर पहुंच गया है. रिगजेन के दादा मोटे अनाज की खेती करते थे. उनके बाद सब्जियों की खेती होने लगी. घर में खेतीबाड़ी का माहौल देख रिगजेन ने अपनी पीएचडी हार्टिकल्चर विषय में पूरी की है. रिगजेन का कहना है कि लद्दाख में होटल-रेस्टोरेंट और पर्यटकों को देखते हुए लिलियम-ग्लेडियोलस और टयूलिप के फूलों का बड़ा बाजार है. इसीलिए उन्होंने लद्दाख में पहली फूलों की दुकान खोली है. फूलों की खेती करने के साथ ही अब उन्हे बेचेंगे भी है.