राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), पूसा ने भारत को खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने में अतुलनीय योगदान दिया है. इस संस्थान ने न केवल कृषि से जुड़े अनुसंधान व विकास कार्यों को दक्षतापूर्वक किया है, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया है कि ऐसी जानकारी प्रयोगशाला के बाहर धरातल पर जाकर आकार ले सके. उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि संस्थान ने 200 से ज्यादा नई तकनीकों का विकास किया है. वर्ष 2005 से 2020 के बीच ही आईएआरआई ने 100 से ज्यादा वैरायटीज विकसित की है और 100 से अधिक पेटेंट्स अपने नाम किए हैं. वैज्ञानिकों के साथ-साथ किसानों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 में जब भारत विकसित राष्ट्र बनकर उभरेगा, तब किसान इस यात्रा का अग्रदूत होगा.
राष्ट्रपति शुक्रवार को पूसा में स्नातक विद्यालय के 62वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थीं. इस मौके पर केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा भी मौजूद रहे. भारत रत्न सी. सुब्रमण्यम हॉल में आयोजित दीक्षांत समारोह में 26 विषयों में 5 विदेशी छात्रों सहित 543 छात्र-छात्राओं को डिग्री प्रदान की गई. साथ ही प्रतिभावान विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया. इस मौके पर संस्थान के प्रकाशनों का विमोचन करके नई वैरायटीज जारी की गईं.
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राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने, नई कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित करने व सुचारू सिंचाई प्रणाली प्रदान करने के लिए काम कर रही है. सरकार ने किसानों की आय में वृद्धि के लिए सभी फसलों की एमएसपी में महत्वपूर्ण वृद्धि की है. हम सब किसानों व कृषि संबंधी समस्याओं से अवगत हैं. किसान को उसकी उपज का सही मूल्य मिले, वह अभावग्रस्त जीवन से समृद्धि की ओर बढ़ें, इस दिशा में हमें और भी अधिक तत्परता से आगे बढ़ना होगा.
उन्होंने कहा कि भारत में एक बहुत बड़ी जनसंख्या कृषि से जीविका अर्जन करती है. कृषि का भारत के सकल घरेलू उत्पाद में भी महत्वपूर्ण योगदान है. एक कृषि प्रधान परिवार से आने के कारण मैं जानती हूं कि किसान खाद्यान्न उपलब्ध कराकर कितनी संतुष्टि का अनुभव करता है. देश की अर्थव्यवस्था मजबूत करने में किसानों का अहम योगदान है.
मुर्मु ने कहा कि ऐसा कहा जाता है कि किसान के हल की नोक से खींची गई रेखा सभ्यता के पूर्व के समाज और विकसित समाज के बीच की रेखा है. किसान न केवल विश्व के अन्नदाता हैं, बल्कि सही अर्थों में जीवनदाता हैं. समारोह में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक भी मौजूद रहे. आईएआरआई के निदेशक डॉ.अशोक कुमार सिंह ने संस्थान की उपलब्धियों का जिक्र किया.
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