देश ही नहीं विदेशों में भी साल के 12 महीने बकरों की खूब डिमांड रहती है. अगर बकरीद की बात करें तो इस मौके पर देश में बकरों की बिक्री के साथ ही दूसरे देशों में भी बकरे निर्यात होते हैं. एक्सपर्ट की मानें तो इस दौरान ज्यादा वजन वाले बकरे खूब बिकते हैं. कुछ खास नस्ल के बकरों की बहुत डिमांड रहती है. आमतौर पर मीट के लिहाज से बकरे-बकरी को 20 से 25 किलो तक का ही माना जाता है. लेकिन बकरों की कई ऐसी नस्ल भी हैं जो 50-55 और 60 किलो के वजन को भी पार कर जाती हैं.
गोहिलवाड़ी नस्ल के बकरे खासतौर पर गुजरात के राजकोट, जूनागढ़, पोरबंदर, अमरेली और भावनगर में पाए जाते हैं. देश में इनकी कम संख्या कम है, इसलिए इस नस्ली के बकरे और बकरियां बहुत ही मुश्किल से मिलते हैं. गोहिलवाड़ी नस्ल का बकरा 50 से 55 किलो वजन तक और बकरी 40 से 45 किलो तक की पाई जाती है. इनका रंग काला होता है और सींग मुड़े हुए मोटे होते हैं.
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अलवर, राजस्थांन में एक गांव है जखराना. इसी गांव के नाम पर बकरे-बकरी की एक नस्ल को जखराना के नाम से जाना जाता है. इस नस्ल को खासतौर पर दूध और मीट के लिए ही पाला जाता है. देखने में जखराना के बकरे ही नहीं बकरियां भी ऊंची और लम्बी-चौड़ी नजर आती हैं.
जखराना के बकरे 55 से लेकर 58 किलो वजन तक के तो पाए जाते ही हैं, लेकिन कभी-कभी 60 किलो और उससे ज्यादा वजन तक के भी मिल जाते हैं. बकरी का वजन 45 किलो तक होता है. जखराना की पहचान उसकी लम्बाई-चौड़ाई तो है ही, साथ में इनका काला रंग और मुंह समेत कान पर सफेद रंग के धब्बे भी होते हैं. देश में करीब 9 लाख के आसपास इनकी संख्या है.
बरबरी नस्ल का बकरा वजन में 30 से 35 किलो तक का पाया जाता है. बकरीद के मौके पर खासतौर से यूपी में बरबरी बकरे बहुत बिकते हैं. अरब देशों से भी बरबरी नस्ल के बकरे की खूब डिमांड आती है. बरबरी बकरे को मीट के लिए बहुत पसंद किया जाता है. बकरीद के दौरान लाइव बरबरे बकरे भी सऊदी अरब, कतर, यूएई, कुवैत के साथ ही ईरान-इराक में सप्लाई किए जाते हैं. देश में भी बकरीद के मौके पर लोग कुर्बानी के लिए बरबरे बकरे तलाशते हैं.
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अगर रंग की बात करें तो यह भूरे-सफेद और कत्थई-सफेद होते हैं. साइज में यह मीडियम होते हैं. कान ऊपर की ओर उठे हुए नुकीले और छोटे होते हैं. इनके सींग नॉर्मल साइज में पीछे की और मुड़े हुए होते हैं. बरबरी नस्ल की बकरी अपने दुग्धकाल में 80 से 100 लीटर तक दूध देती है.