वैसे तो साल के 12 महीने बाजार में खजूर की तमाम वैराइटी बिकती हैं. रेट भी वाजिब होते हैं, लेकिन रमजान (रोजे) के दौरान कुछ खास वैराइटी के खजूर की डिमांड होने लगती है. उसी में से एक टहनी वाला खजूर है. हालांकि इसके पीछे की वजह सिर्फ दस्तरख्वान (खाने का टेबल) को सजाना है. हालांकि और भी तमाम वैराइटी के खजूर सेहरी और रोजा इफ्तार में खाए जाते हैं. टहनी वाला खजूर इस वक्त बाजार में 460 रुपये किलो तक बिक रहा है. जबकि रोजे से पहले इसके दाम अधिकतम 350 रुपये किलो थे.
कुछ वक्त पहले तक बाजारों में रोजे (रमजान) के दौरान खजूर की उंगलियों पर गिनने लायक ही वैराइटी दिखाई देती थीं, लेकिन आज रमजान ही नहीं आम दिनों में भी खजूर की 20 से ज्यादा वैराइटियां भारतीय बाजारों में बिक रही हैं. 100 रुपये से लेकर 26 सौ रुपये किलो तक का खजूर दुकानों पर खूब बिक रहा है. रोजे के दौरान खजूर की अच्छी खासी बिक्री होती है. क्योंकि सभी रोजेदार की कोशिश होती है कि वो रोजा इफ्तार खजूर से ही करे.
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अरब का खास टहनी वाला अलमदीना खजूर को जितने लोग खरीदते हैं, उससे कहीं ज्यादा लोग देखते भी हैं. इस खजूर की खास बात ये है कि एक-एक खजूर टहनी से जुड़ा हुआ होता है. एक टहनी में करीब 50 से 55 खजूर जुड़े होते हैं. खरीदार सीधे टहनी से खजूर तोड़कर खाते हैं. बाजार में इसकी कीमत 350 से 460 रुपये किलो बताई जा रही है. वहीं अजवा खजूर एक रेट 26 सौ रुपये किलो बिक रहा है. अजवा के 250 ग्राम पैकेट की कीमत 645 रुपये है.
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खजूर के ट्रेडर्स हाजी इकबाल का कहना है कि ये पहला मौका है] जब देश के बाजार में खजूर की 20 से ज्यादा वैराइटियां मौजूद हैं. सबसे महंगे अजवा के अलावा सफवी, कलमी, अल रोजा, अलिफ रेहान, फरद, याकूत, अलमदीना, मरीयमी, कीमिया, बूमन, बट, इनसमूर, अलमदीना, किम तमूर, फेलकॉन, डेसर्ट किंग, मस्कट, अरेबियन, सीडलेस आदि पैक्ड खजूर बाजार में बिक रहे हैं. पैकिंग में नाम से बिकने वाले खजूर की कीमत बाजार में 170 रुपये किलो से लेकर 2600 सौ रुपये किलो तक है. वहीं बिना नाम के खुला बिकने वाला खजूर 100 से 110 रुपये किलो तक बिक रहा है.
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