लीची का स्वाद को लगभग हर किसी को पसंद होता है, और खूब खाते भी हैं, पर क्या आपने लीची की तरह दिखने वाले फल लौंगन का स्वाद लिया है. लौंगन एक विदेशी फल है. यह थाई लैंड और वियतनाम में पाया जाता है. इस फल में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं. वहीं लीची वाले क्षेत्रों में किसान इसकी बागवानी कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. लौंगन का सीजन 20 जुलाई से 15 अगस्त तक रहता है. फिलहाल इसकी बागवानी राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र परिसर में हुई है. वहीं राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र द्वारा इसकी बागवानी के लिए किसानों को प्रोत्साहित भी किया जा रहा है.
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. किकास दास के अनुसार, "लौंगन थाईलैंड और वियतनाम का मशहूर फल है. फिलहाल शोध के लिए राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र में लगाया गया है. इसके जर्म प्लांट बंगाल के 24 परगना से मंगाए गए थे. वहीं किसानों को लौंगन का पौधा लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. अभी जो फल लगे हैं वह इस सप्ताह से खाने के लिए उपलब्ध होंगे."
दरअसल, लौंगन के पेड़ में अप्रैल में फूल लगते हैं और जुलाई के अंत में फल पक कर तैयार हो जाता है. अगस्त के पहले सप्ताह में यह खत्म भी हो जाता है. लौंगन लीची जैसा ही होता है. एक तरह से कह सकते हैं कि यह लीची कुल का ही फल है, जो खाने में मीठा होता है. लीची की तरह इसके पत्ते भी होते हैं. पेड़ भी वैसा ही होता है. बस यह लीची की तरह लाल और अंडाकार नहीं होता है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें लीची की तरह कीड़े नहीं लगते. लीची का सीजन समाप्त होने के एक माह बाद तक यह उपलब्ध होता है.
केंद्र के विज्ञानियों की मानें तो इसमें एंटी पेन और एंटी कैंसर तत्व पाए जाते हैं. इसमें कार्बोहाइड्रेट, कैरोटीन, विटामिन-के, रेटिनाल, प्रोटीन, फाइबर, एस्कार्बिक एसिड की मात्रा होती है. ये सारे तत्व शरीर की अलग-अलग जरूरतों को पूरा कर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं.
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राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर के वैज्ञानिक डॉ सुनील कुमार ने बताया, "लौंगन लीची कुल का ही फल है. लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर में ही इसकी खेती की शुरुआत की गई थी. फिलहाल सभी पेड़ों पर अच्छी फल आ गई है. एक पेड़ पर लगभग 1 क्विंटल की उपज होगी. अभी लौंगन की फल का साइज काफी छोटा है और इसमें अभी वृद्धि होगी. 20 अगस्त से इसकी तुड़ाई शुरू होती है. लौंगन के फल में काफी मिठास होती है और यह नेचुरल स्वीटनर का भी काम करता है. लौंगन के पल्प, गुदे और बीज में कई औषधीय गुण मौजूद हैं. जिस वजह से इसका उपयोग कई तरह के औषधि बनाने में भी किया जाता है."
डॉ सुनील कुमार ने बताया कि जो भी किसान लौंगन की खेती करना चाहते हैं उन्हें लीची की तरह ही इसके लिए भी गड्ढे करने होते हैं. मई-जून में गड्ढे को तैयार किया जाता हैं और जुलाई में इसकी बागवानी होती है. इसके लिए आपको पौधे मुजफ्फरपुर लीची अनुसंधान केंद्र में मिल जाएंगे. एक साल पुराने पौधे को लेकर किसान इसकी खेती शुरू कर सकते हैं.