एक बार फिर अफ्रीकन स्वाइन फ्लू (एएसएफ) नार्थ ईस्ट में पैर पसारने शुरू कर दिए हैं. मणिपुर के बाद अब त्रिपुरा में भी एएसएफ के केस सामने आ रहे हैं. त्रिपुरा के तीन राज्यों में एएसएफ के केस सामने आने की सूचना है. एक प्राइवेट पिगरी फार्म में भी एएसएफ के केस मिलने की सूचना है. सूत्रों की मानें तो एएसएफ के केस की पुष्टी होने के बाद सूअरों को मारना शुरू कर दिया गया है. जिंदा सूअर और उनके शवों को ट्रांसपोर्ट करने पर रोक लगा दी गई है. फार्म में सिर्फ प्रजनन स्टॉक को रखने की ही अनुमति दी जाएगी. वो भी स्वास्थ्य प्रमाण पत्र के आधार पर.
गौरतलब रहे त्रिपुरा से पहले मणिपुर में एएसएफ अपना असर दिखा रहा है. ऐसी चर्चा है कि मणिपुर में कुछ लोग सूअरों के शवों को नदी में बहा रहे हैं. इस पर प्रशासन ने सख्त कदम उठाए हैं. केन्द्रीय एनीमल हसबेंडरी विभाग भी पूरे हालात पर नजर बनाए हुए हैं. बीमारी की गंभीरता को देखते हुए सभी संबंधित विभाग अलर्ट हो गए थे. कुछ सूअर पालकों ने पशु के लालच में इस बीमारी को छिपा लिया.अपने स्तर से उसका इलाज करने में लगे हैं. सोचा की चार-पांच दिन में ठीक हो जाएगा. लेकिन ऐसा हुआ नहीं और यही बीमारी को फैलाने का सोर्स बने.
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एनीमल हसबेंडरी कमिश्नीर अभिजीत मित्र ने किसान तक को बताया कि बीते कुछ दिन पहले मणिपुर में एएसएफ के केस मिलने की सूचना आ रही थी. इसीलिए हालात की गंभीरता को देखते हुए मणिुपर में दिल्ली से एक टीम भेजी गई है. त्रिपुरा के बारे में भी सूचना मिल चुकी है. अभी वहां के मामलों की जानकारी जुटाई जा रही है. जल्द ही मणिपुर और त्रिपुरा के बारे में ठोस रणनीति बनाई जाएगी. मणिपुर में मौजूद केन्द्रीय टीम से भी पूरी जानकारी ली जा रही है.
जानकारों की मानें तो कई जगह पर सूअरों को मारने के बाद जमीन में दबा दिया जा रहा है. बावजूद इसके बीमारी काबू में नहीं आ रही है. त्रिपुरा के खोवाई शहर में भी यह बीमारी फैल चुकी है. तीन अन्य गांवों से भी इस बीमारी के फैलाने की खबर आ रही है. रामचन्द्रघाट में एक निजी फार्म में इस बीमारी के फैलने की खबर आ रही है.
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एक्सपर्ट की मानें तो अफ्रीकन स्वाइन फ्लू बहुत ही घातक बीमारी है. यह घर, फार्म में पलने वाले और जंगली सूअर दोनों में ही फैलती है. यह बहुत तेजी से फैलने वाली बीमारी है. अगर सूअर में हो गई तो इसका यह मतलब कतई नहीं है कि यह दूसरे जानवरों में नहीं होगी. सूत्रों के मुताबिक त्रिपुरा और मणिपुर में इस बीमारी से सूअरों के अलावा दूसरे जानवरों की भी मौत हो रही है.