आंध्र प्रदेश के संगा रेड्डी में महिलाओं ने सीड बैंक बनाया है.इस सीड बैंक में मोटे अनाजों के साथ फसलों के देशी बीजों को संरक्षित किया गया है. बीते दिनों डेक्कन डेवलपमेंट सोसायटी की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में सीड बैंक का प्रदर्शन हुआ. इस दौरान मिट्टियों की किस्में भी प्रदर्शित की गई. कार्यक्रम में चौहान रमेश शेट्टी, ग्राम सरपंच और चंदा, एमपीटीसी, विट्टानायक थंडा कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में शामिल हुए.
कार्यक्रम में भगवान या धर्म पर विचार करने के बजाय, पारंपरिक बीजों का उत्सव मनाया गया. वहीं यहां महिलाएं और पुरुषों के द्वारा कई अलग-अलग स्टॉल भी लगाए गए हैं. इस महोत्सव में लगभग सभी किस्मों के बीज मौजूद होते हैं. इतना ही नहीं इस बार एक नहीं बल्कि कई मोटे अनाजों से संबन्धित स्टॉल लगाए गए हैं.
इस साल ना केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में लोगों को मोटे अनाजों के महत्व के बारे में बताया जा रहा है. इतना ही नहीं साल 2023 में इंटरनेशनल इयर ऑफ मिलेट्स भी घोषित किया गया है. जिसके तहत जगह-जगह पर मोटे अनाजों की प्रदर्शनी भी लगाई जा रही है ताकि लोगों को जागरूक किया जा सके. इसी बीच डेक्कन डेवलपमेंट सोसाइटी द्वारा आयोजित 'मोबाइल जैव विविधता महोत्सव' में मोटे अनाजों को भी शामिल किया गया है.
डेक्कन डेवलपमेंट सोसाइटी ने 14 जनवरी से अपने प्रतिष्ठित 'मोबाइल जैव विविधता महोत्सव' के 23वें संस्करण की शुरुआत की है. इस कार्यक्रम में मंगलवार को डॉ. संजना रेड्डी, प्रधान वैज्ञानिक, भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान (IIMR) ने अतिथि के तौर पर शिरकत की. इस दौरान लोगों को मोबाइल जैव विविधता के बारे में बताया.
यह त्यौहार दो दशकों से अधिक समय से मनाया जा रहा है. इस साल बाजरा और उसके महत्व को समझने के लिए जगह-जगह पर इसकी प्रदर्शनी की जा रही है ताकि लोगों के अंदर बाजरे को लेकर जागरूकता बढ़ाई जा सके. ऐसे में अलग-अलग ढंग से बाजरे को प्रस्तुत किया जा रहा है ताकि लोगों को इस ओर आकर्षित किया जा सके.
डेक्कन डेवलपमेंट सोसाइटी द्वारा आयोजित इस फेस्टिवल में '20 ईयर्स ऑफ मोबाइल बायोडायवर्सिटी फेस्टिवल' नामक एक लघु फिल्म दिखाई गई. फ़िल्म में दिखाया गया है कि कैसे त्योहार एक निरंतर सांस्कृतिक के रूप में अपने आने वाले कल को मजबूती से आगे लेकर बढ़ रहा है.