
देशभर में इस साल प्याज के दाम लगातार नीचे बने रहने के बावजूद एक बार फिर प्याज का भारी मात्रा में उत्पादन होने को है, जिससे आने वाले साल में भी पूरे देश में इसकी भरमार रहेगी और फिर किसानों को दाम के लिए रोना पड़ सकता है. इस बीच, अभी भी थोक मंडियों में कीमतों में गिरावट बरकरार है. महाराष्ट्र में किसानों को प्याज का उचित दाम मिलना बेहद मुश्किल दिखाई दे रहा है. महाराष्ट्र की कई प्रमुख मंडियों में 4 दिसंबर को प्याज के भाव कमजोर रहे. सोलापुर की भारी आवक 18,298 क्विंटल तक पहुंची और औसत रेट 850 रुपये प्रति क्विंटल पर बने रहे.
महाराष्ट्र राज्य कृषि मार्केटिंग बोर्ड (MSAMB) की ओर से जारी आंकड़ो के मुताबिक, आज पुणे में 11,516 क्विंटल प्याज की आवक दर्ज हुई, जबकि कीमतें 1000 रुपये औसत पर सीमित रहीं. धुले, नासिक, देवला और जमखेड जैसी मंडियों में भी न्यूनतम भाव 100 से 300 रुपये के बीच रहे, जिससे किसानों को भारी घाटा उठाना पड़ा.
दरअसल, मंडियों में प्याज की आवक काफी है. लंबे समय तक भंडारण न कर पाने के कारण किसानों की भी मजबूरी है कि उन्हें उपज बाजार में लेकर जानी होती है. ऐसे में बढ़ी आवक के चलते सही दाम मिलना कठिन हो गया है. हालांकि, कई जगह अधिकतम भाव 1500 से 2200 रुपये तक दिखे, लेकिन असल लेनदेन औसत रेट पर ही हुआ.
| मंडी | आवक (क्विंटल में) | न्यूनतम कीमत (रु/क्विंटल) | अधिकतम कीमत (रु/क्विंटल) | औसत कीमत (रु/क्विंटल) |
| सोलापुर | 18298 | 100 | 2300 | 850 |
| धुले | 2722 | 300 | 900 | 800 |
| लोनांद | 1125 | 200 | 2200 | 1200 |
| देवला | 300 | 250 | 1510 | 930 |
| पुणे | 11516 | 300 | 1700 | 1000 |
| जमखेड़ | 653 | 100 | 1600 | 850 |
| मंगलवेधा | 24 | 200 | 1230 | 610 |
| नाशिक | 990 | 250 | 1350 | 800 |
| देवला | 4280 | 170 | 1450 | 1000 |
कई महीनों से लगातार घाटा झेल रहे किसानों का कहना है कि प्याज के उत्पादन में अब लागत बढ़ गई है. प्रति क्विंटल उत्पादन में ही अब लगभग 2200 से 2500 रुपये का खर्च आता है यानी एक किलो प्याज पर 22 से 25 रुपये की लागत. लेकिन जब फसल बेचने की बारी आती है तो दाम 10 रुपये किलो भी नहीं मिलता. ऐसे में उन्हें भारी नुकसान हो रहा है.
इधर, केंद्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से जारी अनुमानित आंकड़ों के मुताबिक, प्याज उत्पादन पिछले साल का स्तर भी पार कर सकता है, जिससे यह खपत, निर्यात और सामान्य तौर पर होने वाली उपज की बर्बादी के सारे आंकड़े जोड़ने के बाद भी बहुत ज्यादा मात्रा में उपलब्ध रहने वाला है. ऐसे में जब अभी पहले से ही दाम गिरे हुए हैं तो आने वाले समय में प्याज किसानों के लिए नई बंपर आवक ‘दाम का संकट’ खड़ा कर सकती है.