धान खरीदी (फाइल फोटाे)आंध्र प्रदेश सरकार ने चालू खरीफ सीजन में धान खरीद को तेज गति देने के लिए व्यापक व्यवस्था खड़ी की है. राज्य के सिविल सप्लाई मंत्री नदेंडला मनोहर ने मंगलवार को बताया कि अब तक 1.7 लाख किसानों से कुल 11.9 लाख टन धान खरीदा जा चुका है. किसानों को भुगतान में देरी न हो, इसके लिए 2,830 करोड़ रुपये सीधे उनके बैंक खातों में जमा कर दिए गए हैं. मंत्री ने कहा कि एनडीए गठबंधन सरकार किसानों को समय पर भुगतान और सुचारू खरीद प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए लगातार निगरानी कर रही है.
उन्होंने बताया कि कई जिलों से मिल रही शिकायतों को देखते हुए विजयवाड़ा स्थित कनूरू सिविल सप्लाई भवन में एक विशेष कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है. यह कंट्रोल रूम राज्यभर में चल रही खरीद प्रक्रिया के दौरान किसानों द्वारा बताई गई समस्याओं का त्वरित समाधान करेगा. इसके साथ ही एक टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 1967 जारी किया गया है.
किसान इस नंबर पर फोन करके रजिस्ट्रेशन से जुड़ी दिक्कतें, टोकन मिलने में देरी, रायतु सेवा केंद्रों और मिलों पर तोल में गड़बड़ी, एफटीओ लंबित रहने जैसी समस्याओं की शिकायत दर्ज करा सकते हैं. अगर परिवहन व्यवस्था या बोरे (बैग) की कमी जैसी स्थिति सामने आती है तो उसकी जानकारी भी इसी नंबर पर दी जा सकती है.
मंत्री ने बताया कि शिकायत को प्रभावी तरीके से दर्ज करने के लिए किसानों को फोन करते समय अपना आधार नंबर, रजिस्ट्रेशन आईडी, टोकन का विवरण, गांव का नाम और संबंधित आरएसके की जानकारी देनी होगी. यह जानकारी मिलने के बाद कंट्रोल रूम तुरंत मामले को संबंधित जिले के अधिकारियों को भेज देगा, ताकि बिना देरी किए कार्रवाई हो सके.
उन्होंने कहा कि जिला स्तरीय सिविल सप्लाई टीमें लगातार किसानों, मिलर्स और आरएसके संचालकों से संपर्क कर रही हैं, ताकि किसी भी बाधा को पहले ही पहचानकर दूर किया जा सके. सरकार का लक्ष्य है कि राज्य भर में धान खरीद पूरी तरह पारदर्शी रहे और किसानों को बिना परेशान हुए उनका पूरा हक मिले.
उधर, वाईएसआरसीपी प्रमुख जगन मोहन रेड्डी ने राज्य सरकार पर किसानों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि आंध्र प्रदेश में केले का भाव गिरकर सिर्फ 50 पैसे प्रति किलो रह गया है, जो “एक माचिस या बिस्किट से भी सस्ता” है. उन्होंने इसे किसानों के लिए ‘निर्दयी झटका’ बताया, जो लाखों रुपये खर्च कर महीनों मेहनत करते हैं. जगन ने कहा कि प्याज, टमाटर और अन्य फसलों को भी उचित दाम नहीं मिल रहे.
जगन ने आरोप लगाया कि टीडीपी नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने मुफ्त फसल बीमा, आपदा राहत व सब्सिडी जैसी मदद नहीं दी. पूर्व सरकार के दौरान केले का औसत भाव 25,000 रुपये प्रति टन तक रहा और किसानों की मदद के लिए स्पेशल ट्रेनें व कोल्ड स्टोरेज बनाए गए थे, उन्होंने दावा किया. जगन ने चेतावनी दी कि मौजूदा हालात में किसान लागत भी नहीं निकाल पा रहे, जिससे खेती “अस्थिर और अलाभकारी” बनती जा रही है. (पीटीआई)
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