
हरियाणा में सरकारी धान खरीद जारी है. इस बीच करनाल मंडी में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है. यहां फर्जी गेट पास जारी करने से जुड़े मामले में करनाल पुलिस ने एक और एफआईआर दर्ज की है. ऐसे में इस सीजन की ये तीसरी एफआईआर है. दरअसल, ये नया मामला करनाल मार्केट कमेटी की सचिव आशा रानी और तीन अन्य - बुधनपुर विरान (इंद्री ब्लॉक) के राजेंद्र कुमार, दादूपुर रोरान के अमित कुमार और नरुखेड़ी गांव के अजय कुमार के खिलाफ नियमों में हेरफेर करके फसल आवक को सुविधाजनक बनाने के लिए फर्जी गेट पास जारी करने के आरोप में FIR दर्ज किया गया है.
इससे पहले 24 अक्टूबर को हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड के मुख्य प्रशासक मुकेश कुमार आहूजा ने तीन मंडी कर्मचारियों - पर्यवेक्षक हरदीप, अश्वनी और नीलामी रिकॉर्डर सतबीर को कई आईपी पते के माध्यम से फर्जी पास बनाने के लिए निलंबित कर दिया था, जिससे धान की आवक में असामान्य वृद्धि हुई थी.
कुछ मंडियों से अधिक आवक की सूचना मिलने के बाद अतिरिक्त उपायुक्त (एडीसी) सोनू भट्ट द्वारा दिए गए सत्यापन के बाद नई एफआईआर दर्ज की गई. जांच में पता चला कि गेट पास, जो 'मेरी फसल मेरा ब्यौरा (एमएफएमबी)' पोर्टल पर रजिस्टर्ड किसानों को जारी किए जाने चाहिए. वो अलग-अलग आईपी एड्रेस का उपयोग करके मंडी परिसर के बाहर से बनाए जा रहे थे, जो खरीद प्रोटोकॉल का स्पष्ट उल्लंघन है.
जांचकर्ताओं ने पाया कि राजेंद्र, अमित और अजय के मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल सिस्टम तक पहुंचने और दूर से गेट पास जारी करने के लिए किया गया था. जांच से यह भी पता चला कि सचिव आशा रानी ने कथित तौर पर इस काम के लिए निजी व्यक्तियों को नियुक्त किया था, जो आधिकारिक प्रक्रियाओं का खुलेआम उल्लंघन था. एफआईआर में कहा गया है कि चूंकि करनाल मार्केट कमेटी के कामकाज में गेट पास जारी करने में गड़बड़ी पाई गई, इसलिए इसके अधिकारियों की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता. ऐसा प्रतीत होता है कि सचिव अपने कर्तव्यों का प्रभावी ढंग से निर्वहन करने में विफल रही हैं.
पुलिस अधीक्षक (एसपी) गंगा राम पुनिया ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि हमने जिला विपणन प्रवर्तन अधिकारी ईश्वर सिंह की शिकायत पर धारा 318(4) के तहत आशा रानी और तीन अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है. हर संभव पहलू से जांच की जाएगी. उपायुक्त उत्तम सिंह ने सख्त कार्रवाई का आश्वासन देते हुए कहा कि प्रशासन खरीद में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करेगा. टीमें कई सुरागों पर काम कर रही हैं, जो भी इसमें शामिल पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
बता दें कि प्रशासन ने हरियाणा-उत्तर प्रदेश सीमा पर मंगलोरा और शेरगढ़ टापू में नाके लगाकर और मिलों के भौतिक सत्यापन और अनाज मंडियों के सीसीटीवी फुटेज के आदेश देकर जांच कड़ी कर दी है. वहीं, एक पखवाड़े में दर्ज तीन एफआईआर के साथ, करनाल की खरीद प्रक्रिया अब गहन जांच के घेरे में है. सचिवों और निरीक्षकों से लेकर निजी एजेंटों तक, आरोपियों की बढ़ती सूची निगरानी में व्यवस्थागत विफलता की ओर इशारा करती है, जिससे हरियाणा के अनाज व्यापार में जवाबदेही और पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं.