देशभर की मंडियों में खरीफ की दालों और तिलहनों के दाम इस समय 2025-26 के लिए तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से काफी नीचे चल रहे हैं. नई फसल की आवक शुरू हो चुकी है, लेकिन किसानों को उनकी उपज का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है. औसतन मंडी भाव MSP से 1,076 रुपये से लेकर 1,778 रुपये प्रति क्विंटल तक कम हैं. अगर अक्टूबर के मध्य से आपूर्ति बढ़ने के बाद भी दाम कम रहते हैं तो सरकार को कीमतें संभालने के लिए दखल देना पड़ सकता है.
ताजा आंकड़ों के मुताबिक, मूंग का औसत भाव 7,220 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जबकि MSP 8,768 रुपये है. उड़द का भाव 6,368 रुपये प्रति क्विंटल मिला, जबकि MSP 7,800 रुपये है. इसी तरह अरहर (तूर) 6,222 रुपये प्रति क्विंटल बिकी, जबकि इसका MSP 8,000 रुपये तय है.
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, तिलहन फसलों की हालत भी कुछ अलग नहीं है. मूंगफली का औसत भाव 5,682 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जबकि MSP 7,263 रुपये है. सोयाबीन का भाव 4,252 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जबकि MSP 5,328 रुपये तय है. ये आंकड़े कृषि मंत्रालय की इकाई एगमार्कनेट पोर्टल पर 1 से 18 सितंबर तक की देशभर की औसत मंडी कीमतों के आधार पर जुटाए गए हैं.
विशेषज्ञ मानते हैं कि दामों का दबाव तब और चिंता का विषय है, जब कई दालों और तिलहनों की बुवाई पहले ही कम हुई है. सरकार राष्ट्रीय तिलहन मिशन चला रही है और जल्द ही राष्ट्रीय दाल मिशन शुरू करने की तैयारी में है, इसके बावजूद दाम गिर रहे हैं.
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी हाल ही में तिलहन और दलहन की घटती बुवाई पर चिंता जताई थी. हालांकि, उन्होंने कहा था कि किसान अपनी सुविधा के अनुसार फसल का चुनाव करते हैं और सरकार के लक्ष्य का मतलब यह नहीं होता कि हर हाल में उतनी ही बुवाई हो.
कृषि विशेषज्ञ विजय सरदाना का कहना है कि पूरे साल दाम कम रहे हैं और अभी भी वही हाल है. एमएसपी अंतरराष्ट्रीय बाजार के भाव से मेल नहीं खाता, ऊपर से सरकार उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए आयात पर शून्य या बेहद कम शुल्क लगाती है. ऐसे में व्यापारी विदेश से खरीदना ज्यादा मुनाफे वाला समझते हैं और भारतीय किसानों की फसल एमएसपी से नीचे बिकती है.
हाल ही में हुई रबी सम्मेलन में कर्नाटक के कृषि मंत्री ने केंद्र से खरीफ की दालों और तिलहनों की तुरंत खरीद शुरू करने की मांग की, क्योंकि नई फसल की आवक हो रही है और मंडी भाव MSP से काफी नीचे हैं. वहीं तेलंगाना के कृषि मंत्री ने भी दालों और तिलहनों की खरीद पर किसी तरह की पाबंदी न लगाने की अपील की.
सरकार ने अभी खरीफ सीजन 2025-26 की पहली अग्रिम उत्पादन अनुमान रिपोर्ट जारी नहीं की है. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि तूर, मूंग, मोठ और सोयाबीन की बुवाई में कमी आई है और कई राज्यों में भारी बारिश से भी फसलें प्रभावित हुई हैं. राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और कर्नाटक के कई इलाकों में बारिश का असर फसलों पर पड़ा है.