Basmati Export: यूरोप में भारतीय बासमती की धूम, पाकिस्‍तानी चावल को झटका, जानिए क्‍या है वजह

Basmati Export: यूरोप में भारतीय बासमती की धूम, पाकिस्‍तानी चावल को झटका, जानिए क्‍या है वजह

Basmati Export Data: इस साल विदेशी बाजार में भारतीय बासमती को बड़ी बढ़त मिली है. यूरोप समेत कई देशों ने पाकिस्तान के मुकाबले भारत से ज्यादा चावल खरीदा जा रहा है. जानिए इसकी वजह...

Basmati Rice Export Basmati Rice Export
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Sep 11, 2025,
  • Updated Sep 11, 2025, 1:39 PM IST

पाकिस्‍तान कई फसलों, कृषि-खाद्य उत्‍पादों के व्‍यापार में भारत का बड़ा प्रतिस्पर्धी है. इनमें बासमती चावल एक प्रमुख उत्‍पाद है, जिसमें लगातार दोनों देशों में प्रतिस्‍पर्धा बनी रहती है. लेकिन, इस साल भारतीय बासमती चावल ने वि‍देशी बाजार में पाकिस्‍तानी बासमती चावल को पछाड़ दिया है. विदेशी खरीदार भारतीय चावल को प्राथमिकता दे रहे हैं. इस साल यूरोप ने भारत से ज्यादा बासमती चावल खरीदा है, क्योंकि पाकिस्तान का बासमती भारतीय चावल से करीब 250 डॉलर प्रति टन महंगा रहा. 

पाकिस्‍तानी बासमती 250 डॉलर महंगा

‘बिजनेसलाइन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एब्रो इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक ग्राहम कार्टर ने कहा कि पाकिस्तानी बासमती पूरे साल भारतीय चावल की तुलना में 250 डॉलर से भी अधिक महंगा रहा, जबकि दो साल पहले स्थिति उलटी थी. तब भारतीय बासमती पाकिस्तानी बासमती से करीब 200 डॉलर महंगा था. उन्होंने बताया कि इस बार भारतीय बासमती को अंतरराष्ट्रीय बाजार में साफ बढ़त मिली है.

एब्रो इंडिया, मशहूर ब्रांड ‘टिल्डा’ के नाम से बासमती चावल बेचती है. यह स्पेन की बहुराष्ट्रीय कंपनी एब्रो फूड्स एसए की यूनिट है. यह कंपनी 60 से अधिक देशों में काम करती है और इसका वैश्विक कारोबार 3.2 अरब यूरो से ज्यादा का है. एब्रो इंडिया ने 2012 में भारत में संचालन शुरू किया था और यहां कीटनाशक अवशेष जांचने के लिए एक अत्याधुनिक लैब भी बनाई है.

पाकिस्‍तान में कम हुई धान की फसल 

कार्टर ने कहा कि पाकिस्तान में पिछले साल धान का उत्पादन कम हुआ था, जिसके चलते कई व्यापारियों ने ऊंची कीमतों पर बासमती का स्टॉक किया. उन्हें उम्मीद थी कि बाजार में कीमतें और बढ़ेंगी और वे लाभ कमा पाएंगे. लेकिन, उनकी यह रणनीति उलटी साबित हुई, क्योंकि कीमतें उम्मीद के अनुसार नहीं बढ़ीं. इस कारण कई व्यापारी असमंजस में फंस गए.

हालांकि, बाद में मध्य-पूर्व से आई मांग ने उन्हें काफी हद तक बचा लिया और वे अपना स्टॉक बेच पाए. थाई राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अनुसार, भारतीय 2% टूटा बासमती 880 डॉलर प्रति टन पर उपलब्ध रहा, जबकि पाकिस्तान का बासमती 1,120 डॉलर प्रति टन के भाव पर बिक रहा था. यही वजह रही कि खरीदारों ने भारत की ओर रुख किया.

चार महीने में 17.3 लाख टन बासमती निर्यात

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष अप्रैल से जुलाई 2025 के बीच भारत ने 17.3 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया, जिसकी कीमत 1.5 अरब डॉलर रही. वहीं, पूरे 2024-25 वित्तीय वर्ष में भारत ने 60.6 लाख टन बासमती का निर्यात किया, जिससे 5.94 अरब डॉलर की आमदनी हुई.

कई देश सिर्फ कम कीमत देखकर खरीदते हैं बासमती 

रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ने इसी वित्त वर्ष में 8.3 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया और 795.69 मिलियन डॉलर की कमाई की. कार्टर ने कहा कि भारतीय बासमती खरीदने से विदेशी खरीदारों ने अच्छी-खासी बचत की. उन्होंने बताया कि बासमती का बाजार जटिल है, कुछ गंतव्य केवल भारतीय चावल पसंद करते हैं, कुछ पाकिस्तानी, जबकि कुछ देशों को फर्क नहीं पड़ता, वे सिर्फ कीमत देखते हैं.

ऑस्‍ट्रेलिया में बढ़ रही भारतीय बासमती की डिमांड

कार्टर ने कहा कि टिल्डा ब्रांड की मांग भारत समेत यूरोप और कई अन्य देशों में लगातार मजबूत हो रही है. कंपनी भारत से सीधे अमेरिका, कनाडा, कतर, दुबई, सऊदी अरब और अफ्रीका सहित कई गंतव्यों पर निर्यात करती है. इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी भारतीय बासमती की खपत लगातार बढ़ रही है. उन्होंने बताया कि टिल्डा ब्रिटेन का नंबर वन राइस ब्रांड है और दुनियाभर में इसकी मजबूत पहचान है. कंपनी अब भारतीय घरेलू बाजार में भी टिल्डा ब्रांड के जरिए अपनी पकड़ मजबूत करने और बड़े स्तर पर विस्तार की योजना बना रही है.

MORE NEWS

Read more!