सहजन को कूड़ेदान में फेंकने को मजबूर किसान, मंडी-बाजार में 10 रुपये किलो भी नहीं मिल रहा भाव

सहजन को कूड़ेदान में फेंकने को मजबूर किसान, मंडी-बाजार में 10 रुपये किलो भी नहीं मिल रहा भाव

मदुरै के केंद्रीय बाजार में जिले भर से और पड़ोसी जिलों से ड्रमस्टिक यानी सहजन की भारी मात्रा में आवक होती है. बुधवार को बाजार में इसकी कीमत 10 रुपये से लेकर 20 रुपये प्रति किलो तक थी. व्यापारियों ने बताया कि बाजार में आवक में लगातार बढ़ोतरी के साथ कीमतों में गिरावट जारी है.

गुजरात के किसान प्रवीण सहजन की खेती से सालाना कमा रहे 20 लाख रुपये कमा रहे हैं. गुजरात के किसान प्रवीण सहजन की खेती से सालाना कमा रहे 20 लाख रुपये कमा रहे हैं.
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Mar 27, 2025,
  • Updated Mar 27, 2025, 3:17 PM IST

सहजन की खेती फायदे की बताई जाती है. इसकी फली को स्वास्थ्य का खजाना बताया जाता है. मगर कुछ किसानों पर यह बात लागू नहीं होती. मामला तमिलनाडु के मदुरै जिले का है जहां सहजन की खेती और खपत बड़े पैमाने पर होती है. लेकिन खेती तो अच्छी हुई है, इसकी खपत ठीक नहीं चल रही. यही वजह है कि मंडी-बाजार में सहजन का भाव 10-20 रुपये किलो तक गिर गया है. इससे किसान परेशान हैं. ऐसी खबरें हैं कि किसानों ने सहजन की उपज को कूड़े की ढेरी पर फेंक दी क्योंकि उन्हें ढोना घाटे का सौदा था.

रिपोर्ट के मुताबिक, मदुरै में सहजन की कीमतों में भारी गिरावट के बाद किसान बड़ी मात्रा में सब्जियों को कूड़ेदानों में फेंक रहे हैं. सहजन को डंप में फेंकने के अलावा उनके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है.

आवक अधिक होने से रेट में तेजी

मदुरै के केंद्रीय बाजार में जिले भर से और पड़ोसी जिलों से ड्रमस्टिक यानी सहजन की भारी मात्रा में आवक होती है. बुधवार को बाजार में इसकी कीमत 10 रुपये से लेकर 20 रुपये प्रति किलो तक थी. व्यापारियों ने बताया कि बाजार में आवक में लगातार बढ़ोतरी के साथ कीमतों में गिरावट जारी है.

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मदुरै के सेंट्रल मार्केट ऑल ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष और व्यापारी एन चिन्नामयन ने कहा, "औसतन, हर एक व्यापारी कचरे के डिब्बे में लगभग 10 से 25 बैग ड्रमस्टिक (प्रत्येक बैग में 70 से 80 किलोग्राम ड्रमस्टिक होते हैं) डाल रहा है. यहां तक कि सफाई कर्मचारी भी कचरे को साफ करने से इनकार कर रहे हैं."

5-6 रुपये रेट दे रहे व्यापारी

किसान कर्णन ने TNIE को बताया, "व्यापारी सहजन के लिए 5 से 6 रुपये प्रति किलो की दर दे रहे हैं, जिससे हमारा यात्रा खर्च भी पूरा नहीं हो पाता. दो से तीन दिन तक स्टॉक रखने के बावजूद किसान इसे बेच नहीं पा रहे हैं, जिससे उन्हें मजबूरन इसे कूड़ेदानों में फेंकना पड़ रहा है." 

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व्यापारियों ने आगे कहा कि बाजार में कोल्ड स्टोरेज की सुविधा न होना इतनी बड़ी मात्रा में सब्जियों के बर्बाद होने का एक बड़ा कारण है. उन्होंने बाजार में इसकी व्यवस्था करने के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग की.

 

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