देशभर में थोक मंडियों में प्याज की कीमतों को बुरा हाल है. एक ओर जहां राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आम उपभोक्ता एक किलो प्याज के लिए 30 रुपये प्रतिकिलो कीमत चुका रहा है. वहीं, सबसे बड़े प्याज उत्पादक राज्य में किसान को प्रति किलो प्याज का भाव मात्र 33 पैसे मिल रहा है. कई मंडियों में बुधवार 17 सितंबर को न्यूनतम कीमत 100 रुपये, 101 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज की गई. प्याज की कीमतों के मामले में महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के किसानों की सबसे ज्यादा हालत खराब है. इसकी बानगी महाराष्ट्र के अहिल्यानगर जिले में देखने को मिली, जहां किसानों को 10 क्विंटल से ज्यादा प्याज बेचने पर पूरे 400 रुपये भी हासिल नहीं हुए. अब इसका बिल सोशल मीडिया पर चर्चा में है.
बिल पर लिखी जानकारी के मुताबिक, किसान नजीर ख्वाजाउद्दीन शेख ने बीते दिन (17 सितंबर को) जिले के श्रीरामपुर स्थित कृषि उत्पन्न बाजार समिति में प्याज के आढ़ती और सप्लायर सुदाम सचिन टकसाल की दुकान पर 1075 किलो प्याज बेचा और उसे सारी कटौतियां होने के बाद सिर्फ 361 रुपये ही मिले. यह भाव इतना कम है कि किसान को प्रति किलो प्याज के लिए मात्र 33 पैसे का ही भाव मिला, जबकि दिल्ली में कंज्यूमर को प्याज 30 रुपये प्रति किलो मिल रहा है.
बता दें कि इस साल लंबे समय से किसान प्याज की कम कीमतों की समस्या से जूझते दिखाई दे रहे हैं और सरकार से लगातार हस्तक्षेप और ठोस निर्यात नीति की मांग कर रहे हैं. लेकिन, सरकार की तरफ से कोई साफ जवाब या राहत नहीं मिल रही है. बीते महीने बांग्लादेश में प्याज का निर्यात शुरू होने से किसानों को कुछ दिन के लिए राहत मिली थी, क्योंकि भाव करीब दोगुना बढ़ गए थे. लेकिन, उसके बाद फिर वही हालात बन गए हैं. किसानों के अनुसार, मंडियों में मिल रहे भाव से पहले ही लागत निकाल पाना मुहाल हो गया है. अब दाम और गिरते जा रहे हैं.
महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संघ के अध्यक्ष भरत दिघोले के पूर्व में ‘किसान तक’ को दिए गए बयान के अनुसार, किसानों को प्रति किलो प्याज पर 22 से 25 रुपये प्रति किलो लागत आती है, लेकिन किसानों को इतना दाम मिलना बड़ा मुश्किल हो गया है. किसान घाटा उठा रहे हैं.
एपीडा की वेबसाइट पर उपलब्ध डेटा के मुताबिक, भारत में प्याज उत्पादन में महाराष्ट्र का दबदबा सबसे ज्यादा है, जो कुल उत्पादन का करीब 35% हिस्सा देता है. इसके बाद मध्य प्रदेश दूसरे स्थान पर है, जिसकी हिस्सेदारी लगभग 17% है. इनके अलावा कर्नाटक, गुजरात, बिहार, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और तेलंगाना भी प्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों में गिने जाते हैं. यह आंकड़े वर्ष 2023-24 की दूसरी अग्रिम अनुमान रिपोर्ट पर आधारित हैं.