6,000 रुपये बिकने वाला अदरक 15 रुपये किलो तक गिरा, लागत के लिए तरस गए इस राज्य के किसान

6,000 रुपये बिकने वाला अदरक 15 रुपये किलो तक गिरा, लागत के लिए तरस गए इस राज्य के किसान

किसानों ने बताया, पिछले साल कीमतें औसत स्तर पर चल रही थीं. मगर इस साल दाम ऐसे गिरे हैं कि किसान लागत नहीं निकाल पा रहे. यहां तक कि किसानों को ढुलाई और मजदूरी का खर्च भी नहीं मिल पा रहा है. पूरे मैसूर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अदरक की खेती होती है. इसमें मैसूर के लगभग सभी जिले शामिल हैं. यहां के अधिकांश क्षेत्रों में बाहर के लोग अदरक की खेती करते हैं जो धान के खेतों को सालाना ठेके पर लेते हैं और उसमें अदरक उगाते हैं.

अदरक की खेती (सांकेतिक तस्वीर)अदरक की खेती (सांकेतिक तस्वीर)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Feb 06, 2025,
  • Updated Feb 06, 2025, 2:16 PM IST

पिछले साल अदरक के दाम में बड़ी तेजी देखी गई. 60 किलो वाले बैग की कीमत 5,000 रुपये से 6,000 रुपये दर्ज की गई. लेकिन अभी वही कीमत 800 से 900 रुपये पर आ गई है. इससे किसानों की कमाई पर बड़ा धक्का लगा है. यहां तक कि किसान अदरक की खेती की लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. कहा जा रहा है कि अदरक के भाव में आगे और भी गिरावट आएगी जब इसकी खुदाई शुरू होगी. मैसूर के अदरक किसान इस गिरावट को लेकर बहुत परेशान हैं.

'टाइम्स ऑफ इंडिया' की एक रिपोर्ट में कहा गया है, 2023 में लहसुन का दाम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था और 60 किलो वाले बैग की कीमत 9,000 रुपये थी. लहसुन की महंगाई ऐसी हुई थी कि खेतों और दुकानों से उसकी चोरी होने लगी थी. यहां तक पुलिस थानों में मुकदमे दर्ज किए गए थे. लेकिन इस साल हालत ऐसी है कि खेत से लेकर बाजार-हाट तक उसे पूछने वाला कोई नहीं है जबकि इसका इस्तेमाल दवा और मसालों में बड़े पैमाने पर किया जाता है.

दाम गिरने से किसान परेशान

किसानों ने बताया, पिछले साल कीमतें औसत स्तर पर चल रही थीं. मगर इस साल दाम ऐसे गिरे हैं कि किसान लागत नहीं निकाल पा रहे. यहां तक कि किसानों को ढुलाई और मजदूरी का खर्च भी नहीं मिल पा रहा है. पूरे मैसूर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अदरक की खेती होती है. इसमें मैसूर के लगभग सभी जिले शामिल हैं. यहां के अधिकांश क्षेत्रों में बाहर के लोग अदरक की खेती करते हैं जो धान के खेतों को सालाना ठेके पर लेते हैं और उसमें अदरक उगाते हैं. अदरक बोने और काटने तक 8 महीने तक का समय लेता है.

कर्नाटक राज्य रायता संघ के नेता होसुर कुमार जो अदरक की खेती करते हैं, उन्होंने कहा कि अभी यह पता नहीं चल पा रहा है कि अदरक के दाम क्यों घट रहे हैं. वे कहते हैं, 'मैसूर में, अदरक के लिए अलग से कोई बाजार नहीं है. इसके व्यापारी बाहर से आते हैं और खुद ही दाम फिक्स करने के बाद उस पर खरीदारी करते हैं. दाम को फिक्स करने के लिए यहां कोई सिस्टम नहीं है.कई बार तो ऐसा होता है कि व्यापारी किसानों को पैसे भी नहीं देते.' उन्होंने कहा कि इस विषय पर उन्होंने राज्य सरकार से संपर्क किया है.

किसानों ने सरकार से की मांग

यहां के अदरक किसान राज्य और केंद्र सरकारों से मांग कर रहे हैं कि बाजार को स्थिर करने के लिए कोई प्लान लाया जाए. होंसुर के एक किसान गंगन्ना ने 'टाइम्स ऑफ इंडिया' से कहा, अभी बाजारों में ऐसे व्यापारी अदरक की खरीद कर रहे हैं जिन्हें कोई जानता भी नहीं है जिससे कीमतों पर गलत असर देखा जा रहा है. अभी समय की मांग है कि अदरक की खरीद-बेच के लिए एक सिस्टम बनाया जाए. इससे किसान और व्यापारी दोनों को फायदा होगा.

 

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