क्या पीली दाल भी महंगी होगी? आयात शुल्क पर जल्द फैसला लेगी सरकार

क्या पीली दाल भी महंगी होगी? आयात शुल्क पर जल्द फैसला लेगी सरकार

Yellow peas import duty: सरकारी सूत्रों ने बताया कि सरकार पीली मटर पर अधिक से अधिक शुल्क लगा सकती है ताकि इसके आयात को कम किया जाए. पीली मटर अधिक आयात होने से घरेलू बाजार में दामों पर बुरा असर देखा जा रहा है. देश में उगाने जाने वाली मटर की मांग कम हो रही है और विदेशी मटर की सप्लाई बढ़ रही है. इसे कम करने के लिए सरकार पीली मटर पर अधिक शुल्क लगा सकती है.

भरपूर आपूर्ति के लिए अक्टूबर तक 3 लाख टन दाल और आयात की जाएगी.भरपूर आपूर्ति के लिए अक्टूबर तक 3 लाख टन दाल और आयात की जाएगी.
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Mar 03, 2025,
  • Updated Mar 03, 2025, 2:50 PM IST

Yellow peas import duty: पीली मटर के आयात पर शुल्क लगेगा या नहीं, इस पर जल्द फैसला हो सकता है. इसे लेकर मंगलवार को मंत्रियों के एक पैनल की मीटिंग होनी है जिसमें आयात शुल्क पर फैसला हो सकता है. भारत में पीली मटर की खपत बहुत अधिक है जो चना दाल की जगह पर इस्तेमाल में ली जाती है. भारत में दालों में पीली मटर का रोल बहुत बड़ा है क्योंकि यह कुछ सस्ती होने के साथ ही स्वादिष्ट भी होती है.

'फाइनेंशियल एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट में कहा गया है, सरकार ने अभी तक पीली मटर के बिना शुल्क आयात को लेकर कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है जबकि इसकी मियाद 28 फरवरी को ही खत्म हो गई है. सूत्रों ने बताया कि आयात शुल्क पर विचार करने या बिना शुल्क के आयात को जारी रखने पर 4 फरवरी को फैसला हो सकता है क्योंकि उस दिन मंत्रियों की एक कमेटी बैठक करने वाली है.

आयात घटाने पर विचार

सरकारी सूत्रों ने बताया कि सरकार पीली मटर पर अधिक से अधिक शुल्क लगा सकती है ताकि इसके आयात को कम किया जाए. पीली मटर अधिक आयात होने से घरेलू बाजार में दामों पर बुरा असर देखा जा रहा है. देश में उगाने जाने वाली मटर की मांग कम हो रही है और विदेशी मटर की सप्लाई बढ़ रही है. इसे कम करने के लिए सरकार पीली मटर पर अधिक शुल्क लगा सकती है. 

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दिसंबर 2023 में सरकार ने सस्ती दालों के बिना शुल्क आयात को मंजूरी दी थी क्योंकि उस वक्त चने की पैदावार बहुत कम हुई थी. बिना शुल्क आयात के नियम में सरकार समय-समय पर ढील देती रही है. अभी फरवरी तक पीली मटर का आयात बिना शुल्क के चल रहा था, लेकिन अभी तक कोई नया फैसला नहीं हुआ है. इससे पहले 2017 में दालों पर सरकार ने 50 परसेंट इंपोर्ट ड्यूटी लगाई थी ताकि घरेलू बाजार में देसी चने की सप्लाई को बढ़ावा दिया जा सके.

व्यापारियों की क्या है राय

इससे पहले व्यापार संस्था - इंडिया पल्सेस एंड ग्रेन्स एसोसिएशन (IPGA) ने जीरो इंपोर्ट ड्यूटी जारी रखने के खिलाफ आग्रह किया था, खासकर तब जब 30 लाख टन से अधिक (एमटी) चना की सस्ती किस्म का आयात किया जा चुका है. चना प्रमुख दाल की किस्म है जिसका उपयोग बड़े पैमाने पर फूड प्रोसेसिंग में किया जाता है. 

आईपीजीए के चेयरमैन बिमल कोठारी ने हाल ही में कहा था, "पीली मटर की बहुत अधिक डंपिंग हुई है, जिसका असर घरेलू उत्पादकों और किसानों पर पड़ना शुरू हो गया है, क्योंकि दालों की किस्मों की लागत भारत में दालों के औसत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम नहीं होनी चाहिए." कोठारी ने कहा कि देश में दालों का एमएसपी 56 रुपये प्रति किलोग्राम से लेकर 85 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच है.

कितना है पीली मटर का भाव? 

पिछले वर्ष भारत ने रिकॉर्ड 67 लाख टन दालों का आयात किया, जिसमें से लगभग 30 लाख टन पीली मटर थी. ज्यादातर कनाडा और रूस से आयातित पीले मटर की लागत वर्तमान में 32 रुपये प्रति किलोग्राम - 35 रुपये प्रति किलोग्राम है और इससे बनी दाल लगभग 40 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रही है, जबकि बाकी दालें खुदरा बाजार में 90 रुपये से 160 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच चल रही हैं.

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व्यापार सूत्रों ने एफई को बताया कि ताजा रबी फसल की आवक के साथ, महाराष्ट्र में चना की मंडी कीमतें 2024-2025 के मार्केटिंग सीजन के लिए 5650 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के मुकाबले 5200 रुपये प्रति क्विंटल - 5350 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में चल रही हैं.

 

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