कर्नाटक में आम पर बवाल मचा हुआ है. एक तरफ आंध्र प्रदेश ने कर्नाटक के आम पर प्रतिबंध लगा दिया तो दूसरी ओर आम की कीमतों में उम्मीद से कहीं ज्यादा गिरावट के कारण कर्नाटक के कोलार में श्रीनिवासपुरा तालुक में अशांति फैल गई है, जिसके कारण बुधवार को पूरे तालुक में बंद का आह्वान किया गया. आम उगाने वाले किसानों के संघ ने कीमतों में भारी गिरावट के विरोध में बंद का आह्वान किया और आम की उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग की है.
किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए श्रीनिवासपुरा में कड़ी पुलिस सुरक्षा तैनात की गई. सार्वजनिक परिवहन और ऑटो सेवाएं दिन भर के लिए निलंबित कर दी गईं. शहर में दुकानें और व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे, केवल आवश्यक वस्तुएं ही उपलब्ध रहे. शिक्षा विभाग ने अभी तक स्कूलों और कॉलेजों के लिए आधिकारिक तौर पर अवकाश घोषित नहीं किया है.
पिछले 15 दिनों से श्रीनिवासपुरा - जिसे दुनिया की आम राजधानी के रूप में जाना जाता है - में आम के बाजार में अराजकता देखी जा रही है. मौसम की शुरुआत से ही आम की कीमतों में लगातार गिरावट आ रही है. कुछ इलाकों में बेमौसम बारिश ने फसल की क्वालिटी को प्रभावित किया है, जबकि अन्य में मांग कम होने के कारण बाजार में मंदी छाई हुई है.
किसान, व्यापारी और बाजार मालिक सभी को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. श्रीनिवासपुरा के लगभग 70 परसेंट किसान अपनी आजीविका के लिए केवल आम की खेती पर निर्भर हैं.
पिछले वर्षों में आम की कीमत 15,000 रुपये प्रति टन थी, जबकि वर्तमान में एक टन आम की कीमत केवल 3,000-4,000 रुपये है. कीमतों में गिरावट के कारण खरीदारों की कमी ने संकट को और बढ़ा दिया है.
बंद को प्रगतिशील, कन्नड़ और किसान-हितैषी संगठनों का समर्थन मिला है. यह बुधवार सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक मनाया गया. मैंगो ग्रोअर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष चिन्नापारेड्डी ने लोगों से बंद का शांतिपूर्ण तरीके से समर्थन करने की अपील की. पुलिस ने निर्देश दिया है कि बंद के दौरान किसी को भी अपने प्रतिष्ठान बंद करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए.
दूसरी ओर आंध्र प्रदेश ने कर्नाटक के तोतापुरी आम के चित्तूर जिले में बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस अचानक और एकतरफा प्रतिबंध ने कर्नाटक के आम किसानों को काफी परेशान कर दिया है, खास तौर पर बॉर्डर वाले जिलों के किसानों को, जो बड़ी मात्रा में तोतापुरी आम की खेती करते हैं और अपनी उपज की मार्केटिंग के लिए चित्तूर स्थित प्रोसेसिंग यूनिट पर बहुत अधिक निर्भर हैं. इससे किसानों की रोजी-रोटी को तत्काल खतरा पैदा हो सकता है और बाद में आम के पूरी तरह से तुड़ाई के बाद काफी नुकसान हो सकता है.(नागार्जुन और सगय राज का इनपुट)