आज 10 फरवरी को विश्व दाल दिवस मनाया जाता है. यह एक संयुक्त राष्ट्र (UN) की पहल है जिसका मकसद पूरी दुनिया में दालों के महत्व को बढ़ावा देना है. भारत में भी दालें प्राचीन काल से खाई और उगाई जा रही हैं और भारतीय घरों, खास तौर पर शाकाहारी घरों में पोषण का प्रमुख स्रोत हैं. मगर विश्व दाल दिवस पर हमें एक नजर भारत में दाल के हाल पर डालनी होगी, क्योंकि भारत आज भी अपनी दाल की खपत का एक बहुत हिस्सा दूसरे देशों से आयात करता है. इसलिए आज हम विश्व दाल दिवस के मौके पर आंकड़ों की मदद से ये जानेंगे कि विश्व पटल पर भारत दालों के उत्पादन, खपत और आयात में क्या स्थान रखता है.
अगर संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता लगता है कि साल 2022 के दौरान दालों का पूरे विश्व में कुल रकबा लगभग 959.68 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया था. इन आंकड़ों के मुताबिक, साल 2022 में इस रकबे के हिसाब से दालों का कुल उत्पादन 973.92 लाख टन रहा और उत्पादकता दर 1015 किलोग्राम/हेक्टेयर दर्ज की गई. इन आंकड़ों में ये भी साफ दिखता है कि दाल के मामले में सबसे हैरान करने वाले हालात भारत के ही हैं.
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के दालों पर जारी आंकड़ों में सबसे चौंकाने वाले और चिंताजनक हालात भारत के ही हैं. दरअसल, इसमें पता लगता है कि भारत पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा दाल का उत्पादन करता है. विश्वभर के दाल उत्पादन में भारत 28% का योगदान देता है. जब बात दालों के रकबे की आती है तो भी भारत ही सबसे ऊपर है. पूरी दुनिया में दालों के रकबे में भारत 38% का योगदान देता है. लेकिन जब बात दालों की उत्पादक दर की आती है तो भारत का हाल पूरी दुनिया सबसे बुरा है. FAO के ये आंकड़े बताते हैं कि भारत में दालों की उत्पादकता 766 किलोग्राम/हेक्टेयर है, जो विश्व में दूसरी सबसे खराब दर है. बता दें कि दालों की औसत उत्पादकता 1015 किलोग्राम/हेक्टेयर होनी चाहिए.
जैसा कि संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन द्वारा जारी ये आंकड़े दिखा रहे हैं कि भारत में सबसे ज्यादा एरिया में दाल की खेती की जाती है और उत्पादन भी भारत में ही सबसे ज्यादा होता है. मगर भारत की दालों में उत्पादकता दर बेहद खराब है. ये आंकड़े बता रहे हैं कि भारत में कुल 361.1 लाख हेक्टेयर में दालों का रकबा होता है और 276.69 लाख टन दालों का उत्पादन भी होता है. पूरे विश्व के दाल के रकबे में भारत का 38% का योगदान है और उत्पादन में 28% का योगदान है. मगर फिर भी भारत की दाल की उत्पादकता दर 766 किलो प्रति हेक्टेयर ही है.
आंकड़ों से साफ जाहिर है कि भारत दालों के रकबा और उत्पादन में सबसे आगे है मगर अपनी खराब उत्पादन दर की वजह के कारण अपने ही देशवासियों के दाल की पूर्ति नहीं कर पा रहा है. लिहाजा भारत को हर साल दूसरे देशों से करीब 32 हजार करोड़ रुपये खर्च करके दालें आयात करनी पड़ती हैं.
अगर एक आधिकारिक अनुमान की मानें तो भारत का साल 2023-24 के दौरान दाल का आयात 97 प्रतिशत बढ़कर 31,071 करोड़ रुपये हो गया. यही आयात एक साल पहले 15,780 करोड़ रुपये से अधिक था. वहीं भारत का दाल आयात 2016-17 के दौरान 28,300 करोड़ के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था. साल 2016-17 के दौरान दाल आयात की मात्रा 6.6 मिलियन टन पर पहुंच गई थी. हालांकि, बाद के सालों में जब घरेलू उत्पादन बड़ा तो इस आयात में गिरावट आई.
सबसे ज्यादा दाल की उत्पादकता वाला देश रूस है, जहां 1996 किलो प्रति हेक्टयर दाल की उत्पादन दर है. जबकि रूस का दालों का कुल रकबा मात्र 23.09 लाख हेक्टेयर ही है. FAO (2022) के आंकड़ों के मुताबिक, पूरे विश्व में सालाना 959.68 लाख हेक्टेयर में दाल का रकबा होता है और पूरी दुनिया का कुल दाल उत्पादन 973.92 लाख होता है.
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