महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में अभी बाघों की दहशत थमी भी नहीं थी कि अब जंगली हाथियों का आतंक शुरू हो गया है. जिले के सिंदेवाही तहसील के गांवों में जंगली हाथियों ने दहशत मचाई हुई है. किसान पहले से ही बाघ के भय से जूझ रहे हैं, वहीं अब जंगली हाथियों की मौजूदगी ने लोगों की चिंता और भय को और गहरा कर दिया है. ग्रामीणों में डर का माहौल बन गया है. किस कदर जंगली हाथी गांव में घूम रहे हैं, ग्रामीणों ने इसका वीडियो बनाया है. लोगों के पीछे जंगली हाथी उत्पात मचाते नजर आ रहे हैं.
ओडिशा से छत्तीसगढ़ होते हुए गढ़चिरोली में दाखिल हुए जंगली हाथियों का दल एक बार फिर बुधवार को महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले के सावली वनपरिक्षेत्र में देखा गया. बुधवार रात के समय वैनगंगा नदी पार करते हुए ये हाथी सावली वनपरिक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांवों- गेवर, डोंगरगांव, निफंद्रा और मेहा के जंगलों से होते हुए दाखिल हुए.
इसके बाद गुरुवार रात को उन्होंने सिंदेवाही वनपरिक्षेत्र की ओर रुख किया और गुंजेवाही के जंगलों से होते हुए शुक्रवार सुबह कलमगांव गन्ना व कुकडहेती गांवों के आसपास दिखाई दिए. हाथियों की इस अप्रत्याशित एंट्री से पूरे क्षेत्र में दहशत फैल गई है.कलमगांव गन्ना और कुकडहेती गांव में जब हाथी दिखाई दिए तो शुरू में ग्रामीणों को कुछ समय तक यह एक रोमांचक अनुभव जैसा लगा, लेकिन जब हाथी नागरिकों के पीछे दौड़ते हुए नजर आए तो यह रोमांच डर में बदल गया.
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इस घटना के बाद लोगों में घबराहट है. शुक्रवार सुबह सिंदेवाही तहसील में दो जंगली हाथियों की घुसपैठ ने ग्रामीणों के बीच भारी दहशत पैदा कर दी. सिंदेवाही क्षेत्र पहले से ही घने जंगलों से घिरा हुआ है और यहां हिंसक जंगली जानवरों का डर आम बात है. अब इस भय में हाथियों की नई डरावनी मौजूदगी ने मानव-वन्यजीव संघर्ष को चरम पर पहुंचा दिया है.
नागरिकों की ओर से वन विभाग से मांग की जा रही है कि जल्द से जल्द इन हाथियों को काबू में किया जाए और ग्रामीणों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए. जानकारी के अनुसार, शुक्रवार सुबह साढ़े पांच बजे के करीब यह हाथी कलमगांव गन्ना और कुकडहेती गांवों से होकर शिवणी वनपरिक्षेत्र के कुकडहेती बिट के जंगल में दाखिल हुए हैं. शिवणी वन विभाग की टीम इन हाथियों पर निगरानी रखने की पूरी कोशिश कर रही है.
सिंदेवाही तहसील के गांवों में हाथियों की इस दहशत ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि मानव और वन्यजीवों के बीच का संघर्ष अब खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है. अगर समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो यह स्थिति और भी विकराल हो सकती है. ज्ञात हो कि इसी परिसर में हाल ही में बाघ के हमले में 18 दिनों 11 लोगों की जान गई है. (विकास राजुरकर की रिपोर्ट)