Rice Export: चावल की कीमतों पर एक्‍सपर्ट्स ने कर दी बड़ी भविष्‍यवाणी, मौसम का भी पड़ेगा असर!

Rice Export: चावल की कीमतों पर एक्‍सपर्ट्स ने कर दी बड़ी भविष्‍यवाणी, मौसम का भी पड़ेगा असर!

भारत में 10 साल के उच्च स्टॉक और रिकॉर्ड खरीफ उत्पादन से चावल कीमतों पर दबाव बनने की आशंका है. वहीं, सेनेगल में लाइसेंस खत्म होने से निर्यात अस्थायी रूप से रुका हुआ है. जानिए चावल के उत्‍पादन और निर्यात पर क्‍या कहते हैं एक्‍सपर्ट्स...

rice export and price predictionrice export and price prediction
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Nov 28, 2025,
  • Updated Nov 28, 2025, 2:17 PM IST

दुनियाभर के बाजारों में  पिछले कुछ हफ्तों में चावल के दाम में मामूली बढ़त दर्ज की गई है, लेकिन व्यापार से जुड़े लोगों का कहना है कि यह तेजी ज्‍यादा समय टिकने वाली नहीं है. क्योंकि अंतरराष्ट्रीय और घरेलू स्तर पर चावल की सप्‍लाई भरपूर है. भारत में तो चावल का स्टॉक रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, जिससे भविष्य में कीमतों पर और दबाव बनने के संकेत मिल रहे हैं. भारत से चावल निर्यात करने वाले कारोबारियों का कहना है कि सेनेगल द्वारा कुछ समय के लिए जारी किए गए आयात लाइसेंस खत्म हो जाने से देश के लिए भेजे जाने वाले कार्गो फिलहाल अटक गए हैं. हालांकि, यह असर सीमित अवधि का ही माना जा रहा है.

10 साल में सबसे ज्‍यादा चावल का स्‍टॉक

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली के एक निर्यातक राजेश पहाड़ि‍या जैन ने बताया कि भारत के पास चावल का अत्यधिक भंडार मौजूद है, जिसके चलते वैश्विक कीमतों में आई हालिया मजबूती ज्यादा दिन टिकने की संभावना नहीं दिखती. भारतीय खाद्य निगम यानी एफसीआई के पास फिलहाल 33.6 मिलियन टन चावल और लगभग 30.91 मिलियन टन धान का जखीरा है, जो चावल में बदलने पर करीब 21 मिलियन टन होगा है. यह पिछले एक दशक का सबसे ऊंचा स्तर है.

346 डॉलर प्रति टन बिक रहा भारतीय चावल

वैश्विक व्यापार में भारत की 5 फीसदी टुकड़े वाले सफेद चावल की किस्म 346 डॉलर प्रति टन की दर से पेश की जा रही है, जो थाईलैंड और वियतनाम जैसी प्रतिस्पर्धी आपूर्तिकर्ता राष्ट्रों की तुलना में अधिक आकर्षक मूल्य है. हालांकि, पाकिस्तान ने 340 डॉलर प्रति टन के साथ सबसे प्रतिस्पर्धी मूल्य पेश किया हुआ है.

दुनियाभर में चावल का भारी उत्‍पादन

कृषि मंत्रालय के ताजा अनुमान बताते हैं कि चालू खरीफ मौसम में भारत का चावल उत्पादन 125.40 मिलियन टन तक पहुंच सकता है, जो पिछले साल के 122.77 मिलियन टन से अधिक है. अंतरराष्ट्रीय अनाज परिषद ने भी वैश्विक उत्पादन को 543 मिलियन टन के नए उच्च स्तर पर आंका है. विश्व स्तर पर व्यापार 61 मिलियन टन और खपत 549 मिलियन टन रहने का अनुमान है, जबकि साल के अंत में स्टॉक 189 मिलियन टन तक पहुंच सकते हैं.

कीमतों में आ सकती है गिरावट: विश्‍लेषक

मार्केट विश्लेषक एस. चंद्रशेखरन का कहना है कि भारत में चावल की भरपूर उपलब्धता और बढ़ते उत्पादन से आगे कीमतें नरम पड़ सकती हैं. तेलंगाना से अतिरिक्त उत्पादन आने की भी चर्चा है, जिसे कलेश्वरम परियोजना का लाभ माना जा रहा है. हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि सोना मसूरी और बीपीटी जैसी कुछ विशेष किस्मों का उत्पादन इस बार कम हुआ है, क्योंकि बीते वर्ष किसानों को इन वैरायटी पर बेहतर दाम नहीं मिले थे. दिलचस्प यह है कि घरेलू बाजार में पर्याप्त आपूर्ति के बावजूद तेलंगाना में चावल के दाम ऊंचे बने हुए हैं. चेन्नई के व्यापारी एम. मदन प्रकाश का कहना है कि इस साल चावल निर्यात मोर्चे पर कोई खास हलचल देखने को नहीं मिली है.

गैर बासमती चावल एक्‍सपोर्ट पर विश्‍लेषक का अलग मत

APEDA के आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में गैर-बासमती चावल का निर्यात 7.02 मिलियन टन रहा है. पिछले वर्ष इसी अवधि में निर्यात पर रोक थी, जबकि 2022-23 के दौरान यही आंकड़ा लगभग 9 मिलियन टन था. अफ्रीकी देशों की ओर से डॉलर की कमी और भुगतान संबंधी चुनौतियों ने मांग को प्रभावित किया है, हालांकि खरीदार स्थानीय मुद्रा में भुगतान करने को तैयार बताए जा रहे हैं.

चंद्रशेखरन ने यह भी कहा कि भारत ने गैर-बासमती चावल पर से पाबंदी अक्टूबर 2024 में एक झटके में हटाई, जबकि इसे चरणबद्ध तरीके से खत्म किया जाना चाहिए था. इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की स्थिति कमजोर हुई है और खरीदार अन्य स्रोतों की ओर देखने लगे हैं. कुछ भारतीय निर्यातक नुकसान से बचने के लिए वियतनाम में स्टॉक एंड सेल मॉडल अपनाने लगे हैं, जहां माल की कीमतें गंतव्य बंदरगाहों के नजदीक पहुंचने पर तय होती हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, सेनेगल द्वारा अस्थायी रूप से आयात रोकने से भारतीय निर्यात पर थोड़ी सुस्ती जरूर आएगी, लेकिन व्यापार जगत मान रहा है कि इसका असर सीमित रहेगा क्योंकि प्रभावित मात्रा 50 हजार टन से भी कम है. वहीं, मौसम के मोर्चे पर भी धान-चावल को लेकर अनिश्चितता बढ़ रही है. चंद्रशेखरन ने चेतावनी दी कि अगर चक्रवात सेन्यार के प्रभाव और दिसंबर के आसपास उभरने वाली ला नीना की स्थिति गहराती है तो आगे चलकर उत्पादन पर असर संभव है.

MORE NEWS

Read more!