Fertilizer Facts: क्यों बदल रहा हमारे भोजन का स्वाद और चमक? हर किसान कर रहा ये गलती

Fertilizer Facts: क्यों बदल रहा हमारे भोजन का स्वाद और चमक? हर किसान कर रहा ये गलती

वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक शिवधर मिश्रा के अनुसार, भारत में किसान मुख्य रूप से केवल नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश जैसे कुछ ही उर्वरकों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि पौधों के लिए 17 आवश्यक पोषक तत्व होते हैं. उनका कहना है कि बाकी 13 पोषक तत्वों के बारे में ज़्यादातर किसानों को जानकारी भी नहीं है.

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क‍िसान तक
  • नोएडा,
  • Nov 15, 2025,
  • Updated Nov 15, 2025, 3:28 PM IST

भारत में किसान मुख्य रूप से केवल नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश जैसे कुछ ही उर्वरकों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि पौधों के लिए 17 आवश्यक पोषक तत्व होते हैं. ये बात वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक शिवधर मिश्रा ने किसान तक के पॉडकास्ट 'अन्नगाथा' में बताई. उनका कहना है कि बाकी 13 पोषक तत्वों के बारे में ज़्यादातर किसानों को जानकारी भी नहीं है. मिश्रा ने इस प्रक्रिया की तुलना 'माइनिंग' से की है, जहां लगातार फसल उगाने से ज़मीन से इन सूक्ष्म पोषक तत्वों का खनन हो रहा है, जिससे मिट्टी में इनकी भारी कमी हो गई है. इस कमी का सीधा असर फसल की गुणवत्ता पर पड़ रहा है, जिससे उत्पादों का स्वाद और चमक दोनों कम हो रहे हैं.

'17 में से 13 पोषक तत्वों का नाम भी नहीं जानते किसान'

वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि किसी भी जगह पर हमारे भारत में तीन तरीके की फर्टिलाइज़र यूज़ करते थे. ज्यादातर लोग नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश डालते है. इसमें भी अगर देखा जाए तो कहीं अंधाधुंध नाइट्रोजन ज्यादा यूज़ कर रहे हैं. फास्फोरस और पोटाश का नाम नहीं है. कहीं बहुत कम मात्रा में फास्फोरस पोटाश यूज़ कर रहे हैं. आजकल जिंक की कमी होने लगी है तो जिंक का भी कुछ किसान धान, गेहूं, फसल चक्र में जिंक का भी प्रयोग करने लगे हैं. मान लीजिए 17 में से आप 4 पोषक तत्व दे रहे हैं. मगर बाकी 13 पोषक तत्व का किसान नाम भी नहीं जानते और ना ही उसपर ज्यादा ज़ोर दिया जाता. क्योंकि बहुत सूक्ष्म मात्रा में उसकी आवश्यकता होती है और ये हमारी भूमि में उपलब्ध है. लेकिन हम वर्षों से हज़ारों साल से ये करते आ रहे हैं.

क्या है समस्या का समाधान?

किसान तक के पॉडास्ट 'अन्नगाथा' में वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक शिवधर मिश्रा ने बताया कि इस समस्या का समाधान एग्रोनॉमिक फोर्टिफिकेशन है, जिसमें क्षेत्र-विशेष की मिट्टी की ज़रूरतों के अनुसार संतुलित मात्रा में सभी पोषक तत्व दिए जाएं. इसका उपाय ये है कि बायोफॉर्टीफिकेशन से यानी जेनेटिक विधियों से या जो अनुवांशिकी के रूप से अच्छी वेरायटी विकसित करके हो सकती थी. इसका दूसरा उपाय है फर्टी-फॉर्टिफिकेशन. यानी कि हम किस तरीके से पौधों में पोषक तत्वों को डालें, किस तरीके से उसका समावेश करें, संतुलित मात्रा में करें, समुचित मात्रा में करें, जिससे कि हमारा उत्पाद गुणवत्ता युक्त हो. उसमें पूरे पोषक तत्व हो और सारी चीजें जो होनी चाहिए.

शिवधर मिश्रा ने आगे बताया कि हमें किस विशेष क्षेत्र में किस पोषक तत्व की कितनी कमी और कितनी मात्रा की आवश्यक है इस तरीके की एक नीती निर्धारित करके और उस तरीके की फर्टिलाइजर्स या जो भी पोषक तत्वों के स्रोत हैं, उनको डालकर पूरा कर सकते है.

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