भूमिहीन किसान भी सस्ते में कर सकते हैं बड़ी खेती, समझिए ये प्राचीन फॉर्मूला

भूमिहीन किसान भी सस्ते में कर सकते हैं बड़ी खेती, समझिए ये प्राचीन फॉर्मूला

जो लोग खेती करना चाहते हैं और उनके पास अपने खेत नहीं हैं, उनके लिए भी खेती करने का विकल्प मौजूद होता है. खेती का ये तरीका ना सिर्फ गांव के भूमिहीन लोगों के लिए अच्छा है, बल्कि शहरों में खेती करने का मन बना रहे लोगों के लिए अच्छा है जो गांव जाकर खेती कर सकते हैं. आज हम आपको इसी फॉर्मूला के बारे में विस्तार से बता रहे हैं.

किराए पर खेती करने का सिस्टमकिराए पर खेती करने का सिस्टम
स्वयं प्रकाश निरंजन
  • नोएडा,
  • Feb 11, 2025,
  • Updated Feb 11, 2025, 1:41 PM IST

जब भी हम खेती की बात करते हैं तो इस शब्द की शुरुआत में ही पहले 'खेत' आ जाता है. आज भी ज्यादातर लोगों का ऐसा मानना है कि खेती करने के लिए खुद का खेत होना बहुत जरूरी है. यही वजह है कि हमारे देश में प्राचीन काल से ही खेतिहर किसानों और जमींदारों को समाज में सम्मान की नजर देखा जाता रहा है. आज भी गांवों में ऐसा बहुत बड़ा वर्ग है जिसके पास अपने खेत नहीं हैं और मजबूरी में दूसरे छोटे काम या मजदूरी करनी पड़ती है. ऐसे लोग खेती तो करना चाहते हैं मगर मजबूर होते हैं. इसके अलावा शहरों में भी बहुत सारे लोग, खास तौर पर युवा अपनी नौकरियां छोड़कर जैविक खेती करने का विचार करते हैं, मगर खुद के खेत ना होने के कारण हाथ पर हाथ रखकर रह जाते हैं. इसलिए आज हम आपको खेती का एक ऐसा प्राचीन फॉर्मूला बता रहे हैं जिसकी मदद से आप बिना खेत खरीदे ही खेती कर सकते हैं. 

क्या है ये प्राचीन फॉर्मूला?

दरअसल, हम जमीन किराए पर लेकर खेती करने के सिस्टम के बारे में बात कर रहे हैं. इस चीज को देश के अलग-अलग राज्यों क्षेत्रीय भाषाओं में कई दूसरे नामों से जाना जाता है. ये सिस्टम एक दम आसान है. आपको अगर खेती करनी है तो अपने गांव में किसी ऐसे किसान को खोजें जो अपना खेत किराए पर देने का इच्छुक हो. ये खेत आपको कुछ पैसे नकद देने के बाद सालभर या एक सीजन के हिसाब से (रबी या खरीफ) किराए पर मिल जाएगा. इसपर आप बंपर पैदावार करके लाखों रुपये कमा सकते हैं और किराया भी बड़े आराम से निकाल लेंगे. बता दें कि ये सिस्टम बटाईदारी से अलग है. बटाई पर खेत देने में कोई नकदी नहीं देनी पड़ती बल्कि फसल में से आधा या तय किया हुआ हिस्सा भूमि मालिक को देना होता है.  

किराए पर खेत लेना क्यों फायदेमंद?

इसके पीछे बेहद आसान गणित है. अगर आप खेती करना चाहते हैं और आपके पास कोई खेत नहीं है, तो खुद की कृषक जमीन खरीदना बेहद महंगा पड़ेगा. कम से कम दाम पर भी 1 एकड़ खेत 1 लाख रुपये से तो ज्यादा का ही पड़ेगा. फिर अच्छी खेती के लिए एक नहीं बल्कि कई एकड़ खेती की जरूरत पड़ेगी. जाहिर है कि 2-4 एकड़ खेत खरीदने के लिए आपको कई लाख रुपये की मोटी रकम खर्च करनी पड़ेगी.

लेकिन वहीं अगर आप 1 एकड़ खेत किराए पर लेने जाएंगे तो करीब 10 हजार रुपये में सालभर या सीजन के लिए आसानी से मिल जाएगा. किराए का रेट खेत की जगह, इलाके, पानी के स्रोत, मिट्टी की उर्वरा के हिसाब से कम और ज्यादा होता है. अब अगर आप 2-4 एकड़ खेत भी किराए पर लेंगे तो 30 से 40 हजार रुपये खर्च करके ही कृषक जमीन मिल जाएगी. इन किराए के खेतों पर आप अपने हिसाब से फसल लगा सकते हैं, चाहें तो मल्टीकॅॉप सिस्टम से एक ही खेत में कई तरह की फसलें करके अच्छी कमाई कर सकते हैं.

इन चीजों पर निर्भर होता है रेट

अगर आप खेत किराए पर लेकर खेती करना चाहते हैं तो ये भी जान लें कि हर एक खेत का किराया कई सारी चीजों पर निर्भर होता है.

  • खेत कितना उपजाऊ और किस फसल के लिए कितनी उत्पादन शक्ति है.
  • जो खेत किराए पर ले रहे हैं वह जमीन सिंचित या असिंचित है.
  • खेत की बाड़बंदी या तार-फेंसिंग पहले से है या आपको करानी होगी.
  • खेत मेन रोड पर है अंदर की तरफ है, यानी रखवाली कितनी मुश्किल होगी.

खेत का जरूर कराएं अनुबंध

अगर आपने किराए पर खेत लेकर खेती करने का मन बना लिया है तो इसका पक्का अनुबंध जरूर कराना चाहिए. इससे दो फायदे होंगे, एक तो कभी भविष्य में जमीन के मालिक से विवाद हो तो कानून आपको पास कई अधिकार रहेंगे और बेईमानी-धोखाधड़ी से भी बचे रहेंगे. इसके अलावा पक्का अनुबंध कराने से तमाम तरह की सरकारी योजनाओं का भी लाभ आपको मिलता रहेगा.

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