बिहार में जमीन बंटवारे की नई व्यवस्था, अब झगड़े होंगे खत्म, जानें क्या है प्रक्रिया

बिहार में जमीन बंटवारे की नई व्यवस्था, अब झगड़े होंगे खत्म, जानें क्या है प्रक्रिया

बिहार सरकार ने पारिवारिक भूमि को आसान और विवादमुक्त बनाने के लिए नई डिजिटल व्यवस्था शुरू की है. अब एक ही आवेदन से परिवार के सभी मानदंडों के नाम, उनकी जमीन पर जमा की जा सकती है.

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क‍िसान तक
  • Patna,
  • Dec 28, 2025,
  • Updated Dec 28, 2025, 11:00 AM IST

बिहार सरकार ने पारिवारिक ज़मीन के बंटवारे की प्रक्रिया को आसान, तेज और विवाद-मुक्त बनाने के लिए एक अहम और सराहनीय कदम उठाया है. राज्य सरकार ने 27 दिसंबर से बिहार भूमि पोर्टल पर ज़मीन के रिकॉर्ड के बंटवारे और म्यूटेशन के लिए एक नया सिस्टम लागू किया है. इस नए सिस्टम का मुख्य मकसद आम लोगों को ज़मीन से जुड़े मामलों में होने वाली दिक्कतों से राहत देना और परिवारों के बीच जमीन के विवादों को रोकना है.

एक आवेदन से पूरे परिवार का काम होगा पूरा

नई व्यवस्था के तहत, परिवार की संपत्ति के बंटवारे के बाद, हर सह-मालिक को अलग से ज़मीन के रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई नहीं करना पड़ेगा. पहले, हर भाई, बहन या दूसरे सह-मालिक को ज़मीन में अपने हिस्से के लिए अलग-अलग एप्लीकेशन देनी पड़ती थी, जो समय लेने वाला, महंगा और मेहनत वाला काम था. अब, एक ही एप्लीकेशन से परिवार के सभी सदस्यों के नाम और ज़मीन में उनके हिस्से एक साथ रजिस्टर किए जा सकते हैं. इससे प्रोसेस आसान होगा और लोगों का भरोसा बढ़ेगा.

उपमुख्यमंत्री ने दी नई व्यवस्था की जानकारी

उपमुख्यमंत्री और राजस्व और भूमि सुधार मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस नई सुविधा की घोषणा की. उन्होंने बताया कि जनता को होने वाली लंबे समय से चली आ रही समस्याओं को देखते हुए, विभाग को सिस्टम में सुधार करने का निर्देश दिया गया था. इन निर्देशों के बाद, प्रधान सचिव सी.के. अनिल के नेतृत्व में एक विभागीय टीम ने कम समय में नया डिजिटल सिस्टम विकसित किया, जिसे अब बिहारभूमि पोर्टल पर लागू कर दिया गया है.

डिजिटल जमाबंदी से मिलेगी राहत

उप मुख्यमंत्री ने आम जनता से अपील की है कि वे अपनी पुश्तैनी ज़मीन का औपचारिक रूप से बंटवारा करें और डिजिटल तरीकों से ज़मीन के रिकॉर्ड अपने नाम पर रजिस्टर करवाएं. डिजिटल लैंड रजिस्ट्रेशन से ज़मीन के दस्तावेज़ सुरक्षित रहते हैं और भविष्य में किसी भी कानूनी या पारिवारिक विवाद से बचा जा सकता है. इससे सरकारी योजनाओं का लाभ उठाना भी आसान हो जाता है.

मौखिक बंटवारे से होने वाले नुकसान

उन्होंने खास तौर पर उन लोगों को सलाह दी जिनके परिवार सिर्फ़ मौखिक समझौतों के आधार पर ज़मीन का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसे मामलों में, ज़मीन का बंटवारा सरकारी दस्तावेज़ों में दर्ज नहीं होता, जिससे अक्सर बाद में बड़े विवाद होते हैं. नई व्यवस्था अब मौखिक समझौतों को भी सरकारी रिकॉर्ड में रजिस्टर करने की इजाज़त देती है, जिससे ज़मीन के मालिकाना हक साफ़ होते हैं और मजबूत होते हैं.

उत्तराधिकार के साथ बंटवारा भी संभव

नए सिस्टम में उत्तराधिकार-सह-बंटवारे की सुविधा भी शामिल है. इस सिस्टम के तहत, किसी पूर्वज की मृत्यु के बाद, ज़मीन को सभी वारिसों के बीच बांटा जा सकता है, और हर वारिस के हिस्से की ज़मीन के लिए एक साथ अलग-अलग ज़मीन के रिकॉर्ड (जमाबंदी) बनाए जा सकते हैं. इससे वारिसों को कई ऑफिसों के चक्कर लगाने से मुक्ति मिलेगी.

पंचायत स्तर पर होगा आवेदनों का निपटारा

उप मुख्यमंत्री ने बताया कि हाल ही में खत्म हुए रेवेन्यू कैंपेन के दौरान लाखों आवेदन मिले थे. इन आवेदनों को प्रोसेस करने के लिए जनवरी से मार्च के बीच पंचायत स्तर पर कैंप लगाए जाएंगे. इसके अलावा, भूमि सुधार जन कल्याण संवाद पहल के तहत, अधिकारी गांवों का दौरा करेंगे ताकि लोगों की समस्याओं को सुना जा सके और उन्हें तय समय सीमा के भीतर हल किया जा सके. यह पहल भूमि प्रशासन को ज़्यादा पारदर्शी, सरल और लोगों पर केंद्रित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

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