किशमिश पर शुरू होगी तगड़ी रिसर्च, इस जिले में खुलेगा सेंटर, किसानों को मिलेंगे ये फायदे

किशमिश पर शुरू होगी तगड़ी रिसर्च, इस जिले में खुलेगा सेंटर, किसानों को मिलेंगे ये फायदे

महाराष्ट्र के सांगली जिले में जल्द ही समर्पित किशमिश रिसर्च और ट्रेनिंग सेंटर शुरू होगा. विधायक सुधीर गाडगिल की मांग पर शिवाजी विश्वविद्याल की सीनेट ने प्रस्ताव स्वीकार किया और किशमिश अनुसंधान केंद्र खोलने की मंजूरी दे दी.

Sangli to get Kishmish Research CentreSangli to get Kishmish Research Centre
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 26, 2025,
  • Updated Dec 26, 2025, 4:26 PM IST

महाराष्ट्र का सांगली जिला देश में अंगूर और किशमिश उत्पादन का बड़ा केंद्र माना जाता है. अब इसी पहचान को और मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम उठाया जा रहा है. दरअसल, सांगली में जल्द ही एक समर्पित किशमिश अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किया जाएगा, जिससे राज्य भर के किशमिश उत्पादकों को सीधा लाभ मिलने की उम्मीद है. यह प्रस्ताव हाल ही में शिवाजी विश्वविद्यालय, कोल्हापुर की सीनेट बैठक में मंजूर किया गया. इस मुद्दे को सांगली के विधायक सुधीर गाडगिल ने मजबूती से उठाया था. 

विधायक सुधीर गाडगिल ने कही ये बात

'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, सीनेट ने प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है, जिसके बाद यह केंद्र विश्वविद्यालय के अधीन स्थापित किया जाएगा. विधायक सुधीर गाडगिल ने कहा कि सांगली देश के प्रमुख अंगूर और किशमिश उत्पादक जिलों में शामिल है. इसके बावजूद महाराष्ट्र में अब तक कोई भी ऐसा विशेष शोध केंद्र नहीं है, जो केवल किशमिश पर केंद्रित हो. जबकि राज्य में कई अंगूर और किशमिश प्रोसेसिंग यूनिट पहले से काम कर रही हैं. ऐसे में किसानों और प्रोसेसरों को वैज्ञानिक सलाह, नई तकनीक और प्रशिक्षण के लिए बाहर पर निर्भर रहना पड़ता है.

रिसर्च सेंटर में होंगे ये काम

गाडगिल ने कहा कि किशमिश उत्पादन में गुणवत्ता सुधार, प्रोसेसिंग तकनीक, भंडारण और वैल्यू एडिशन जैसे क्षेत्रों में रिसर्च की सख्त जरूरत है. नया केंद्र किसानों को आधुनिक तरीकों की जानकारी देगा और युवाओं को स्किल ट्रेनिंग भी उपलब्ध कराएगा. इससे न केवल उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता भी मजबूत होगी.

अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में चीन दे रहा टक्‍कर

सांगली और आसपास के क्षेत्रों में बनने वाली किशमिश की गुणवत्ता पहले से ही अच्छी मानी जाती है और इसकी मांग देश और विदेश दोनों जगह है. लेकिन, हाल के वर्षों में निर्यात बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ी है. खासकर चीन से आयात होने वाली सस्ती किशमिश ने स्थानीय उत्पादकों की चिंता बढ़ा दी है. किसानों का मानना है कि अगर रिसर्च और तकनीकी सहयोग मिले तो वे गुणवत्ता और लागत दोनों स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं.

अभी अस्‍थायी जगह से शुरू होगा सेंटर

विश्वविद्यालय प्रशासन ने तय किया है कि शुरुआती चरण में यह केंद्र किसी अस्थायी स्थान से शुरू किया जाएगा. बाद में इसे स्थायी परिसर में स्थानांतरित किया जाएगा. इसके साथ ही जरूरी स्टाफ की नियुक्ति भी चरणबद्ध तरीके से की जाएगी. यह केंद्र किशमिश उद्योग के लिए मार्गदर्शक भूमिका निभाएगा और सांगली को राष्ट्रीय स्तर पर और मजबूत पहचान दिलाएगा.

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