Seed Research: रिसर्चर्स बोले इन बीजों का सेवन मीट से भी ज्‍यादा पौष्टिक, किसानों के लिए भी फायदेमंद

Seed Research: रिसर्चर्स बोले इन बीजों का सेवन मीट से भी ज्‍यादा पौष्टिक, किसानों के लिए भी फायदेमंद

यह रिसर्च प्रोजेक्‍ट ब्राजील के इंस्टिट्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी (Ital), जर्मनी के फ्राउनहोफर IVV और यूनिवर्सिटी ऑफ कैंपिनास (UNICAMP) के रिसर्चर्स की तरफ से चलाया जा रहा है. इसमें उन्‍होंने यह तलाशने की कोशिश की कि क्या रोजमर्रा के भोजन के लिए एक आम तिलहनी फसल बेहतर और किफायती प्रोटीन प्रदान कर सकती है.

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Dec 03, 2025,
  • Updated Dec 03, 2025, 4:59 PM IST

ब्राजील के एक रिसर्च कैंपस में हुई रिसर्च उन तमाम लोगों के लिए राहत की सांस लेकर आई है जो अक्‍सर मीट न खाने की वजह से कम न्‍यूट्रिशिसन मिलने के ताने सुनते थे. पिछले कई सालों से साइंटिस्‍ट्स प्‍लांट बेस्‍ड मीट तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं जो स्वादिष्ट, पोषणयुक्त और स्थानीय कृषि के अनुकूल हो. अब ब्राजील और जर्मनी के रिसर्चर्स की एक टीम ने पाया कि आमतौर पर  तेल निकालने या ग्रेनोला में इस्तेमाल होने वाले सूरजमुखी के बीज को मीट के विकल्‍प के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है. 

क्‍या था प्रोजेक्‍ट का मकसद 

यह प्रोजेक्‍ट ब्राजील के इंस्टिट्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी (Ital), जर्मनी के फ्राउनहोफर IVV और यूनिवर्सिटी ऑफ कैंपिनास (UNICAMP) के रिसर्चर्स की तरफ से चलाया जा रहा है. इसमें उन्‍होंने यह तलाशने की कोशिश की कि क्या रोजमर्रा के भोजन के लिए एक आम तिलहनी फसल बेहतर और किफायती प्रोटीन प्रदान कर सकती है. सूरजमुखी का तेल पहले से ही यूरोप और ब्राजील में लोकप्रिय है लेकिन तेल निकालने के बाद बचा ठोस हिस्सा अक्सर पशु चारे के रूप में ही जाता है. अब रिसर्चर्स ने इसे अपग्रेड कर इंसानों के खाने के लिए सुरक्षित और स्वादिष्ट बनाया. उन्होंने बीज के बाहरी छिलके को हटाकर अंदर के हिस्से से तेल निकाल दिया और फिर इसे बारीक पीसकर हल्का आटा तैयार किया. 

रिसर्चर्स ने तैयार किए प्रॉडक्‍ट्स 

रिसर्चर्स ने इसके बाद इस आटे से दो तरह के प्रॉडक्‍ट डेवलप किए. पहली विधि में भुना हुआ सूरजमुखी बीज आटे का इस्तेमाल हुआ जिससे स्वाद और सुगंध बढ़ी. इस वर्जन का प्रयोग बर्गर, स्टफिंग और प्लांट-बेस्ड मीटबॉल्स में किया जा सकता है. दूसरी विधि में टेक्स्चर्ड सूरजमुखी प्रोटीन का उपयोग किया गया. एक्सट्रूजन प्रॉसेस की मदद से प्रोटीन को धागे-जैसी संरचना दी गई, जिससे यह पकाते समय आकार बनाए रखता है और चबाने में भी बेहतर रहता है. 

क्‍या है प्रोटीन की खासियत 

पोषण की दृष्टि से टेक्स्चर्ड सूरजमुखी प्रोटीन में प्रोटीन की मात्रा ज्‍यादा और फैट प्रोफाइल भी बेहतर थी. इसमें मोनोअनसैचुरेटेड फैटी ऐसिड्स प्रचुर मात्रा में थे, जो ऑलिव ऑयल और कुछ मेवों में पाए जाते हैं. साथ ही, यह आयरन, जिंक, मैग्नीशियम और मैंगनीज से भी समृद्ध था, जो रेड मीट से परहेज करने वालों के लिए महत्वपूर्ण हैं. सूरजमुखी प्रोटीन की खासियत यह है कि यह आमतौर पर GMO नहीं होता, जिससे नॉन-GMO प्रॉडक्‍ट के तौर पर बाजार में आसानी से जगह बना सकता है.

ग्‍लोबल ट्रेंड के बराबर 

रिसर्चर्स के अनुसार खेती की दृष्टि से यह फसल सोया और मक्का के साथ अच्छी तरह मिलती है. साथ ही इसकी खेती बढ़ने से किसानों का मुनाफा भी बढ़ सकता है. तेल निकालने के बाद बचे बीज-खली को खाद्य सामग्री में बदलना अपसाइकलिंग के ग्‍लोबल ट्रेंड से मेल खाता है. ग्‍लोबल प्‍लांट बेस्ड मीट बाजार पर सोया, मटर और गेहूं का दबदबा है, लेकिन सूरजमुखी प्रोटीन एक अलग विकल्प देता है. यह एलर्जी कम करता है, कई जलवायु में उग सकता है और प्‍लांट बेस्‍ड प्रोटीन की पोषण क्‍वालिटी को बढ़ाता है. 

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