Linkedin पर PM Modi ने लिखी गजब की पोस्ट, खूब इमोशनल होकर कही Natural Farming की कहानी

Linkedin पर PM Modi ने लिखी गजब की पोस्ट, खूब इमोशनल होकर कही Natural Farming की कहानी

कोयंबटूर के नेचुरल फार्मिंग समिट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गहराई से प्रभावित किया है. उन्होंने बताया कि कैसे तमिलनाडु के किसान पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक तकनीक से बिना रसायन वाली खेती का नया मॉडल खड़ा कर रहे हैं और युवाओं व वैज्ञानिकों की भागीदारी इसे गति दे रही है. पढ़ें उनकी साझा की गई पोस्‍ट की मुख्‍य बातें...

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Linkedin पर PM Modi ने लिखी गजब की पोस्ट, खूब इमोशनल होकर कही  Natural Farming की कहानीपीएम मोदी ने नेचुरल फार्म‍िंग पर शेयर की पोस्‍ट

देशभर में प्राकृतिक खेती को लेकर किसानों में तेजी से जागरूकता बढ़ रही है. केंद्र और राज्‍य सरकारें भी इसे लगातार बढ़ावा दे रही हैं. वहीं, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अ‍मित शाह भी लगातार इस कृषि पद्धति को बढ़ावा देने के लिए कह रहे हैं. इस बीच, आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी लिंक्‍ड‍इन (LinkedIn) पोस्ट में प्राकृतिक खेती को लेकर एक विस्तृत अनुभव साझा किया है, जिसमें उन्होंने दक्षिण भारत के किसानों की पहल, प्रयोग और नवाचारों को भारत के कृषि भविष्य का नया रास्ता बताया है.

दो सप्ताह पहले कोयंबटूर में हुए साउथ इंडिया नेचुरल फार्मिंग समिट ने प्रधानमंत्री पर गहरा प्रभाव छोड़ा और इसी अनुभव को उन्होंने देश के सामने रखा है. उन्होंने किसानों से अपील की है कि वे ‘एक एकड़, एक सीजन’ के सिद्धांत से शुरुआत करें, जिससे धीरे-धीरे आत्मविश्वास बढ़े और प्राकृतिक खेती का दायरा बढ़ सके. पीएम मोदी ने युवाओं को एफपीओ से जुड़ने और इस क्षेत्र में स्टार्टअप शुरू करने के लिए भी प्रोत्साहित किया है.

19 नवंबर को कार्यक्रम में शामिल हुए थे PM मोदी

पीएम मोदी ने पोस्‍ट में लिखा- अगस्त में तमिलनाडु के कुछ किसानों ने मुझसे मुलाकात की थी और बताया था कि वे कैसे नई टिकाऊ तकनीकों से खेती को अधिक उत्पादक और सुरक्षित बना रहे हैं. किसानों के न्योते पर वे 19 नवंबर को कोयंबटूर पहुंचे थे, जहां एमएसएमई (MSME) हब माने जाने वाला यह शहर प्राकृतिक खेती के एक बड़े सम्मेलन का मेजबान बना.

प्रधानमंत्री ने पोस्‍ट में लिखा कि प्राकृतिक खेती भारत की पारंपरिक कृषि बुद्धि और आधुनिक पारिस्थितिकी सिद्धांतों का ऐसा संगम है, जो बिना रासायनिक खादों और कीटनाशकों के खेती को स्वाभाविक तरीके से समृद्ध बनाता है. इसमें खेतों, पशुओं और पौधों की सह-अस्तित्व वाली विविधता को बढ़ावा दिया जाता है और मिट्टी की ताकत को बढ़ाने के लिए जैविक अवशेषों, मल्चिंग और एरेशन का सहारा लिया जाता है.

किसानों से बातचीत को बताया सबसे खास

समिट में किसानों से सीधी बातचीत प्रधानमंत्री के लिए सबसे विशेष क्षणों में से एक रहा. उन्होंने लिखा कि यहां उन्हें ऐसे किसान मिले जिन्होंने कॉर्पोरेट करियर छोड़ा, विज्ञान और तकनीक से जुड़ी नौकरियां छोड़ीं और खेती को फिर से अपने जीवन का केंद्र बना लिया. उनकी प्रतिबद्धता और जमीन से जुड़ाव ने मुझे प्रभावित किया.

पीएम मोदी ने इन किसानों के दिए उदहारण

पीएम मोदी ने कुछ किसानों के उदाहरण भी साझा किए हैं. एक किसान 10 एकड़ में मल्टीलेयर फार्मिंग से केला, नारियल, पपीता, काली मिर्च और हल्दी उगा रहे हैं और साथ में 60 देसी गायें, 400 बकरियां और स्थानीय पोल्ट्री भी संभाल रहे हैं. एक अन्य किसान पारंपरिक धान किस्मों जैसे मापिल्लई सांबा और करुप्पु कवुनी को बचाने में जुटे हैं और उनसे हेल्थ मिक्स, पफ्ड राइस, चॉकलेट और प्रोटीन बार जैसे उत्पाद तैयार कर रहे हैं.

एक प्रथम पीढ़ी के ग्रैजुएट किसान 15 एकड़ की प्राकृतिक खेती चलाते हैं और अब तक 3,000 से अधिक किसानों को प्रशिक्षित कर चुके हैं. कुछ किसान अपने एफपीओ चलाकर कसावा यानी टैपिओका आधारित उत्पादों को बायोएथेनॉल और CBG के लिए टिकाऊ विकल्प के रूप में बढ़ावा दे रहे हैं. वहीं, कुछ युवा इनोवेटर्स समुद्री शैवाल आधारित बायोफर्टिलाइजर और पोषक तत्वों से भरपूर बायोचार तैयार कर रहे हैं, जिससे मिट्टी की सेहत मजबूत हो रही है.

लाखों किसान नेचुरल फार्मिंग से जुड़े

प्रधानमंत्री ने कहा कि इन सबकी पृष्ठभूमि अलग है, लेकिन चार बातें सबमें समान हैं- मिट्टी के प्रति आदर, टिकाऊ कृषि के प्रति प्रतिबद्धता, समाज के उत्थान का भाव और उद्यमिता की ताकत. पीएम मोदी ने लिखा कि देश में प्राकृतिक खेती को लेकर प्रयास तेजी से बढ़ रहे हैं. केंद्र सरकार का नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग लाखों किसानों को इससे जोड़ चुका है. श्री अन्न यानी मिलेट्स के प्रति बढ़ती रुचि, महिलाओं की बढ़ती भागीदारी और किसानों के लिए बढ़े संस्थागत क्रेडिट ने इस बदलाव को और बल दिया है.

रासायनिक उर्वरकों की निर्भरता पर भी की बात

प्रधानमंत्री ने रासायनिक उर्वरकों पर बढ़ती निर्भरता के असर पर भी बात की और कहा कि प्राकृतिक खेती पंचगव्य, जीवामृत, बीजामृत और मल्चिंग जैसी तकनीकों के जरिए मिट्टी की सेहत को बचाती है, लागत घटाती है और जलवायु अनिश्चितता से निपटने में मदद करती है.

अंत में प्रधानमंत्री ने कहा कि कोयंबटूर में किसानों, विज्ञान, उद्यमिता और सामूहिक प्रयासों का जो सम्मिलित रूप उन्होंने देखा, वह प्रेरणादायक है. वे मानते हैं कि यह संगम भारत की कृषि को अधिक उत्पादक, सुरक्षित और टिकाऊ बनाने की दिशा में निर्णायक कदम साबित होगा.

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